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पत्रकार सुरक्षा कानून। राजस्थान में यह मुद्दा गरमाया हुआ है। आईएफडब्ल्यूजे ने इस मांग के समर्थन में 18 जुलाई को जयपुर में पिंकसिटी प्रेस क्लब, नारायण सिंह सर्किल से विधानसभा तक पैदल मार्च का एलान किया है। प्रदेशाध्यक्ष उपेंद्र सिंह राठौड़ कहते हैं, ‘मुख्यमंत्री ने कई दफा कहाकि आप मांगते-मांगते थक जाओगे और मैं देते-देते नहीं थकूंगा। हम साढ़े चार साल से इस सरकार को पत्रकार सुरक्षा कानून बनाने की मांग कर रहे हैं लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही। ऐसे में मजबूरन हमें यह कदम उठाने पड़ रहे हैं।’
आईएफडब्ल्यूजे का मानना है कि बदलते दौर में पत्रिकारिता का रास्ता बेहद कठिन होता जा रहा है। सच सुनने के लिए कोई तैयार नहीं। चाटुकारिता को ही पत्रकारिता मान लिया जाने लगा है। ऐसे में पत्रकारिता बेहद जोखिम का पेशा बनकर रह गया है। जरा सी बात पर पत्रकार पर हमले हो रहे। झूठे मुकदमे दर्ज किए जाने लगे। ऐसे में पत्रकार सुरक्षा कानून समय की जरूरत है।
प्रदेशाध्यक्ष उपेंद्र सिंह राठौड़ कहते हैं, ‘अब इस मांग को लेकर संघर्ष तेज करने की जरूरत है। इसलिए हमने तय किया है कि जो पत्रकार इस वक्त इस मांग की अनदेखी कर रहे हैं, जब भविष्य में उनके साथ कोई अनहोनी होती है तो पहले उन्हें अहसास करवाया जाएगा कि जब संगठन पत्रकार सुरक्षा कानून को लेकर संघर्ष कर रहा था तो आप चुप क्यों थे ? उस वक्त आपने इसके महत्व को क्यों नहीं समझा ?’ राठौड़ दो टूक कहते हैं कि अब चुप रहने का समय नहीं बल्कि मुखर होने की जरूरत है। भले इस कानून के लिए पैदल मार्च, घेराव, धरना, प्रदर्शन, भूख हड़ताल आदि कुछ भी करना पड़े, निर्भीकता के साथ करेंगे लेकिन पत्रकार सुरक्षा कानून लागू करवाकर ही दम लेंगे।’ आईएफडब्ल्यूजे ने पत्रकारों से आग्रह किया कि वे 18 जुलाई को अधिकाधिक संख्या में जयपुर के इस कार्यक्रम में अपनी सहभागिता सुनिश्चित करें ताकि सरकार को इसके महत्व का अंदाजा हो सके।