भटनेर पोस्ट पॉलिटिकल डेस्क. जयपुर.
योजनाओं के माध्यम से आम जन को आकर्षित करने में सफल रहे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अब विधानसभा चुनाव में संगठनात्मक ढांचे को अनुकूल बनाने के प्रयासों में जुटे हैं। यूथ कांग्रेस कार्यकारिणी की बैठक में गहलोत 100 सीटों पर कमजोर स्थिति की बात कहकर बड़ा संकेत देने में सफल रहे। गहलोत के इस दावे को गलत ठहराना जल्दबाजी होगी। जिस तरह विधायकों के कामकाज को लेकर सवाल उठते रहे हैं, ऐसे में उनकी कमजोर स्थिति का आकलन गलत भी नहीं। माना जा रहा है कि इस बयान के पीछे गहलोत की अपनी रणनीति है। वे उन विधायकों का ‘कर्ज’ चुकाना चाहते हैं जिन्होंने संकट के समय सरकार को समर्थन देकर तत्कालीन डिप्टी सीएम सचिन पायलट के ‘तख्तापलट’ की रणनीति को फेल कर दिया था। जाहिर है, वे कांग्रेस सहित निर्दलीय व बसपा से आए विधायक भी हो सकते हैं। गहलोत चाहते हैं कि जिस तरह सरकार की योजनाओं से आम जन को फायदा मिल रहा है, उसका परिणाम अनुकूल ही रहेगा। इससे विपक्ष भी बेचैन है। काबिलेगौर है गहलोत ने यूथ कांग्रेस प्रतिनिधियों के बीच कहा था कि कई विधायक को भी अपनी सीट पर हार का खतरा दिख रहा है। पिछले विधानसभा चुनाव में 100 सीटे ऐसी है जहां पार्टी हार गई थी। इन सीटों पर भी नए सिरे से टिकट के लिए कवायद की जाएगी। खास बात यह भी है कि सरकार को समर्थन दे रहे अधिकांश निर्दलीय विधायक की राजनीतिक पृष्ठभूमि कांग्रेसी रही है। वे टिकट न मिलने पर निर्दलीय लड़े और जीते। जीतने के बाद वे खुद गहलोत के साथ खड़े नजर आए थे। गहलोत ऐसे विधायकों को रिपीट करने के पक्षधर हैं। इनमें बाबूलाल नागर, संयम लोढ़ा, महादेव खंडेला, राज कुमार गौड़, लक्ष्मण मीणा, रामकेश मीणा, रमीला खडिया व पूर्व गवर्नर कमला बेनीवाल के पुत्र आलोक बेनीवाल आदि प्रमुख हैं।
कांग्रेस को मिली थी 99 सीटें
पिछले चुनाव में कांग्रेस को 200 में से 99 सीटों पर सफलता मिली थी। भाजपा को 73, निर्दलीय-13, बसपा-6, आरएलपी-3, सीपीएम-2, बीटीपी-2 व राष्ट्रीय लोकदल को महज 1 सीटें हासिल हुई थीं। बाद में सभी निर्दलीयों, बीटीपी, लोकदल के विधायकों ने कांग्रेस को समर्थन दिया। बसपा विधायकों ने कांग्रेस में शामिल होने की घोषणा की और माकपा के एक विधायक भी गहलोत खेमे में नजर आए।