केजरीवाल के लिए क्यों ‘खास’ हैं राजस्थान के हनुमान!

गोपाल झा.
नई दिल्ली में जनपथ-क्नॉट प्लेस स्थित इंपीरियल होटल पंचसितारा है। सियासी उठापटक का अड्डा भी। मंगलवार शाम जब राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत और पूर्व सीएम वसुंधराराजे के कोरोना पॉजिटिव होने की खबर आई, उससे चंद घंटे पहले उस होटल को देखकर सहसा भरोसा करना संभव नहीं था कि यहां पर आज राजस्थान की राजनीति को प्रभावित करने के लिए होने वाले गठजोड़ की संभावनाओं की पटकथा लिखी जाएगी। शाम करीब साढ़े छह बजे से लेकर रात 12 बजे तक यहां पर सियासी चेहरों का आना-जाना जारी रहा। दरअसल, राजस्थान लोकतांत्रिक पार्टी सुप्रीमो व सांसद हनुमान बेनीवाल की इकलौती बिटिया दीया बेनीवाल का जन्मोत्सव था। राजस्थान भाजपा विधायक दल के उप नेता सतीश पूनिया, राज्यसभा सदस्य पंडित घनश्याम तिवाड़ी, राज्य प्रवक्ता रामलाल शर्मा, विधायक अशोक लाहोटी, कांग्रेस से राजस्थान बीज निगम अध्यक्ष धर्मेंद्र राठौड़, राजस्थान अन्य पिछड़ा वर्ग वित्त आयोग अध्यक्ष पवन गोदारा, राजस्थान स्टेट एग्रो इंडस्टी डवलपमेंट बोर्ड अध्यक्ष रामेश्वरलाल डूडी और मुकेश भाकर आदि की मौजूदगी से पार्टी गुलजार थी। इतना ही नहीं, पार्टी में आकर्षण का केंद्र थे दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, कांग्रेस के लोकसभा में नेता नेता प्रतिपक्ष रहे अधीर रंजन चौधरी, आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता व सांसद संजय सिंह, आरएलडी सुप्रीमो जयंत चौधरी, सांसद अगाधा संगमा, शिवसेना ठाकरे गुट से संजय राउत सहित कई अन्य सियासी चेहरे। सांसद हनुमान बेनीवाल का कमाल है कि बुधवार सुबह केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी भी उनके सरकारी आवास पहुंचे और बिटिया को आशीर्वाद दिया।  
राजनीति के जानकार इस सियासी जमघट के मायने तलाश रहे हैं। इस साल के आखिर में राजस्थान विधानसभा चुनाव है और अगले साल लोकसभा चुनाव। बेनीवाल बीजेपी के सहयोगी थे लेकिन किसान आंदोलन के समर्थन में उन्होंने भाजपा से नाता तोड़ लिया था। अब चूंकि दो चुनाव भाजपा के लिए बेहद खास है तो हनुमान बेनीवाल के लिए भी। बीजेपी को चुनाव हारना पसंद नहीं और बेनीवाल को पता है, हारे तो फिर कहीं का न रहेंगे। लिहाजा, तीन विकल्पों पर फोकस कर रहे हैं। पहला विकल्प है भाजपा के साथ पुनः गठजोड़। बीजेपी भी यही चाहती है। उसे राजस्थान में जाट वोट चाहिए। किसान आंदोलन के बाद जाट यानी किसान वर्ग बीजेपी से खफा है। अगर फिर दोनों साथ होते हैं तो दोनों को फायदा होगा, ऐसा कहा जा रहा है। अगर यह संभव होता है तो भाजपा केंद्रीय मंत्रीमंडल से कैलाश चौधरी की छुट्टी कर हनुमान बेनीवाल को मंत्री बना सकती है।
दूसरा विकल्प है, बेनीवाल कांग्रेस के साथ राज्य में गठबंधन करें। इसके तहत वे अपने विधायक नारायण बेनीवाल को मंत्री बनवा सकते हैं और चुनाव में सीटों पर समझौता कर सकते हैं। तीसरा विकल्प है, आम आदमी पार्टी के साथ मिलकर राज्य में थर्ड फ्रंट का गठन। दरअसल, इसमें बेनीवाल से ज्यादा आम आदमी पार्टी की रुचि है। यही वजह है कि केजरीवाल व मान पार्टी में सबसे अधिक समय तक देखे गए। केजरीवाल राजनीति के माहिर खिलाड़ी माने जाते हैं। अभी तक उनके पास कोई प्रभावी चेहरा नहीं है, हनुमान बेनीवाल उनके लिए मददगार साबित हो सकते हैं। देखा जाए तो दोनों एक-दूसरे के पूरक हो सकते हैं। राजनीति में दोस्ती और दुश्मनी क्षणभंगुर है। पानी का बुलबुला जैसा। कब छू मंतर हो जाए, पता नहीं। भाजपा, कांग्रेस, ‘आप’ और आरएलपी नेता इस बात को बखूबी समझते हैं। ऐसे में आने वाले समय में इन तीनों विकल्पों में से एक का परिणाम आना तय है। यानी हनुमान बेनीवाल ने बिटिया दीया के जन्मदिन के बहाने सभी दलों को एक साथ एकत्रित कर सियासी अटकलों को जन्म तो दिया ही है। वहीं, जन्मदिन पार्टी में राजस्थान कैडर के करीब 20 ब्यूरोक्रेट्स की मौजूदगी चर्चा का विषय हो सकती है।    

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