



भटनेर पोस्ट डेस्क.
हनुमानगढ़ जिले में अधिवक्ताओं के सम्मान और उनके पेशेवर सशक्तिकरण को समर्पित एक ऐतिहासिक पहल की शुरुआत होने जा रही है। पहली बार जिले में अधिवक्ता दिवस का आयोजन 3 दिसंबर को लायंस क्लब हनुमानगढ़ और द लॉ पॉइंट के संयुक्त तत्वावधान में किया जा रहा है। यह केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि जिले के विधिक समुदाय को नई दिशा देने वाला प्रयास माना जा रहा है। लंबे समय से वकालत के क्षेत्र में काम कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता भी मानते हैं कि युवा वकीलों को प्रोत्साहित किए बिना न्याय व्यवस्था की मजबूती की कल्पना अधूरी है। इसी सोच को आधार बनाकर इस आयोजन को आकार दिया गया है।

जिले के छहों प्रमुख तहसील नोहर, भादरा, रावतसर, टिब्बी, संगरिया और पीलीबंगा से अब तक बड़ी संख्या में आवेदन प्राप्त हो चुके हैं। आवेदन की अंतिम तिथि भले ही 30 नवंबर तय की गई थी, लेकिन आयोजकों ने इसे सख्त सीमा नहीं बनाया। उनका कहना है कि कोई भी युवा अधिवक्ता यदि अंतिम तिथि के बाद भी आवेदन करना चाहता है, तो उसके लिए दरवाजे खुले हैं। यह लचीला रुख इस आयोजन की उस भावना को दर्शाता है, जिसमें उद्देश्य अधिक से अधिक युवा वकीलों को मंच देना और उन्हें आत्मविश्वास से आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करना है।

लायंस क्लब हनुमानगढ़ के सचिव प्रमोद खारीवाल ने इस आयोजन को जिले के विधिक समुदाय के लिए ‘गौरव का क्षण’ बताया। उन्होंने कहा कि पहली बार होने जा रहे इस आयोजन में जिले के युवा अधिवक्ताओं को सम्मानित करने के साथ-साथ उन्हें विचार-विमर्श और सीखने का अवसर भी मिलेगा। खारीवाल का कहना था कि आमतौर पर युवा वकीलों के पास प्रतिभा तो होती है, लेकिन उन्हें उचित मार्गदर्शन और मंच मिलना हमेशा आसान नहीं होता। यह आयोजन उसी कमी को पूरा करने की कोशिश है।

द लॉ पॉइंट के फाउंडर एडवोकेट नितिन छाबड़ा ने बताया कि अधिवक्ता दिवस का प्रथम आयोजन जिले के युवा विधिवेत्ताओं के लिए प्रेरक सिद्ध होगा। छाबड़ा ने स्पष्ट किया कि इस मंच का उद्देश्य केवल सम्मान नहीं, बल्कि युवाओं को उनके संघर्ष की वास्तविकता समझाते हुए उन्हें आगे बढ़ने का साहस देना है। उन्होंने कहा कि द लॉ पॉइंट लंबे समय से नए अधिवक्ताओं के लिए कानूनी शिक्षा, कोर्ट प्रैक्टिस और पेशे की चुनौतियों पर उपयोगी मार्गदर्शन प्रदान कर रहा है। शुरुआती वकालत में आने वाली दिक्कतें, जैसे क्लाइंट बनाना, केस समझना, कोर्ट में प्रस्तुतीकरण, और पेशेगत दबाव इन सब पर व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

छाबड़ा के अनुसार, जिले में कई ऐसे युवा अधिवक्ता हैं जिन्हें सिद्धांत तो कॉलेज में मिल जाते हैं, लेकिन कोर्ट की असल दुनिया में खड़े होने के लिए आवश्यक व्यावहारिक ज्ञान की कमी रहती है। यह सेमिनार उस कमी को काफी हद तक दूर करेगा। कार्यक्रम में विधि विशेषज्ञ नए भारतीय न्याय संहिता पर विस्तृत जानकारी देंगे। बीएनएस, जो पुराने दंड संहिता का स्थान ले चुका है, देश की आपराधिक न्याय प्रणाली में एक बड़ा और ऐतिहासिक परिवर्तन है। इस नए कानून को समझना और इसके प्रावधानों को कोर्ट में लागू करना हर अधिवक्ता के लिए आवश्यक है, खासकर उन युवाओं के लिए जो अभी-अभी पेशे में कदम रख रहे हैं।



