


भटनेर पोस्ट साहित्य डेस्क.
हवा में अभी भी कागद की स्याही की गंध तैर रही है। वह स्याही जो विचारों को वाणी देती है, और संवेदनाओं को शब्द। हनुमानगढ़ की साहित्यिक भूमि पर इस बार पुनः वह क्षण आने वाला है, जब दिवंगत साहित्यकार ओम पुरोहित ‘कागद’ की स्मृति को शब्दों के चिरंजीव पुष्प अर्पित किए जाएंगे। कागद फाउंडेशन की ओर से वर्ष 2025 के ‘कागद सम्मान’ के लिए जिन तीन साहित्यकारों का चयन हुआ है, वे न केवल लेखनी की विविध धाराओं के प्रतिनिधि हैं, बल्कि अपने-अपने क्षेत्र की आवाज़ भी हैं।
फाउंडेशन के महासचिव नरेश मेहन ने बताया कि चयन प्रक्रिया को परिपक्व दृष्टिकोण, गहन अध्ययन और निष्पक्ष मूल्यांकन की कसौटी पर परखा गया। तीन सदस्यीय निर्णायक मंडल भगवती पुरोहित, कृष्ण कुमार ‘आशु’ और राजेश चड्ढा ने जिन नामों को इस प्रतिष्ठित सम्मान के योग्य पाया है, वे हैं हिंदी साहित्य के लिए गोविंद शर्मा (संगरिया), राजस्थानी साहित्य के लिए रामस्वरूप किसान (परलीका), व युवा रचनाशीलता के लिए पवन ‘अनाम’ (बरमसर)। इन तीनों साहित्यकारों की यात्रा अलग-अलग रास्तों से होकर निकली है, परंतु मंज़िल एक ही है। संवेदना के लोक तक पाठक को पहुँचाना।
गोविंद शर्मा, जिनकी रचनाओं में आम जन की पीड़ा, ग्रामीण संघर्ष और सामाजिक अंतर्द्वंद्व की गहरी अनुगूंज सुनाई देती है, हिंदी कथा व बाल साहित्य के सशक्त हस्ताक्षर हैं। उनका लेखन एक दर्पण है, जिसमें समाज अपने यथार्थ को निर्भीकता से देख सकता है।
रामस्वरूप किसान, राजस्थानी भाषा की आत्मा में डूबे हुए शब्दों के सच्चे साधक हैं। उनकी कविताएँ और लोकगीत रेत पर चलते पगों की तरह हैं। क्षणिक नहीं, बल्कि समय को चीरने वाले। उनकी लेखनी ने राजस्थानी लोकधुनों, संस्कारों और संघर्षों को शब्द-गौरव दिया है।
पवन ‘अनाम’, युवा पीढ़ी की ओर से एक ऐसी आवाज़ हैं जो आधुनिकता और परंपरा के बीच पुल का कार्य करती है। उनकी कविताओं में बेचैन आत्मा की पुकार है, और शब्दों में नई दृष्टि का विस्तार। वे उस नवांकुर की तरह हैं, जो साहित्य की भूमि में भविष्य की छाया गहराता है।
महासचिव नरेश मेहन के मुताबिक, कागद सम्मान समारोह 10 अगस्त को हनुमानगढ़ जंक्शन स्थित बेबी हैप्पी मॉडर्न पीजी कॉलेज में होगा। अध्यक्षता कागद फाउंडेशन की अध्यक्ष भगवती पुरोहित ‘कागद’ करेंगी, जो न केवल ओम पुरोहित कागद की धर्मपत्नी हैं, बल्कि स्वयं भी साहित्य की सेवा में संलग्न हैं।
यह केवल एक सम्मान समारोह नहीं होगा, बल्कि यह एक साहित्यिक ऋतु का आरंभ होगा, जहाँ काव्य, कथा, भाषा और भावनाएं एक मंच पर एकत्र होंगी। यह उस विरासत का उत्सव है, जिसे ओम पुरोहित ‘कागद’ ने अपने जीवन की कलम से रचा और आज भी उनके नाम से सजीव है। कागद सम्मान सिर्फ पुरस्कार नहीं, एक उत्तरदायित्व है, उस परंपरा को आगे बढ़ाने का जो मनुष्य को शब्दों के माध्यम से मनुष्य बनाती है। उपाध्यक्ष राजेश चड्ढा ने 10 अगस्त को बेबी हैप्पी मॉडर्न पीजी कॉलेज में होने से वाले साहित्य के इस त्रिवेणी संगम में सभी साहित्यप्रेमियों को आमंत्रित किया है।
