



एमएल शर्मा.
कहते है कि जोश, जुनून, जिद्द, जद्दोजहद के साथ मेहनत का मिश्रण हो तो कामयाबी के गले मिलने में संदेह की कोई गुंजाईश नहीं रहती। विदेशी सरजमीं पर ऐसा ही करिश्मा भारतीय क्रिकेट टीम ने कर दिखाया। आज 4 अगस्त को इंग्लैंड के ओवल स्टेडियम में एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी के लिए हुई सीरीज के पांचवे व अंतिम टेस्ट मैच के आखिरी दिन हिंदुस्तानी लड़ाकों ने ब्रिटिश टीम के जबड़ों से जीत छीन ली। हालांकि, क्रिकेट अनिश्चिताओं का खेल है। खेल में कुछ भी हो सकता है पर भारतीय खिलाड़ियों का आज किया कारनामा क्रिकेट इतिहास में करिश्मा ही कहा जाएगा।

मैच के पहले दिन इंग्लैंड ने टॉस जीतकर गेंदबाजी को चुना। भारतीय टीम 224 रन ही बना सकी। वहीं इंग्लैंड ने पहली पारी में 247 रन बनाकर मामूली बढ़त हासिल कर ली। टेस्ट की दूसरी पारी में भारतीय टीम ने गजब का खेल दिखाया और 396 रन ठोक डाले तथा विपक्षी टीम को 374 रन का लक्ष्य दिया। भारतीय गेंदबाजी आक्रमण के सामने यह लक्ष्य लगभग मुश्किल ही था परन्तु ष्फिरंगी खिलाड़ीष् भी कहां कम थे। मैच की दूसरी पारी में इंग्लैंड के जो रूट,हैरी ब्रुक व बेन डकैट के ष्बैजबॉल अटैकष् से टीम इंडिया को धकेलते हुए 3 सौ से ज्यादा रन बनाकर दमदार प्रदर्शन किया।

अब आया मैच का अंतिम व निर्णायक दिन। बेशक, यहां इंग्लिश टीम ‘बेहतर’ स्थिति में थी। अंतिम दिन उसे जीत के लिए महज 35 रन बनाने थे और 4 विकेट शेष थे। यहां, भारतीय ‘क्रिकेटवीर’ पिच रूपी रणभूमि में डट गए। मकसद सिर्फ एक, जीत और सिर्फ जीत। इससे कम कुछ भी नहीं। अंतिम दिन मोहम्मद सिराज व प्रसिद्ध कृष्णा की आग उगलती गेंदों ने ब्रिटिश खिलाड़ियों को ऐसा पस्त किया कि ष्चमत्कारष् हो गया। महज 35 रन बनाने के चक्कर में पूरी टीम 367 रन पर पवेलियन लौट गई। पारी के 86वें ओवर की पहली गेंद पर ही जब मोहम्मद सिराज ने अंग्रेजी खिलाड़ी जी एटकिंसन को बोल्ड किया, भारतीय जनमानस खुशी के अतिरेक से झूम उठा। ऐसा भी हो सकता है, कदाचित किसी ने सपने में भी नहीं सोचा होगा। ओवल के मैदान में शान से तिरंगा लहरा उठा। युवा जोश से भरी हिंदुस्तानी टीम ने जता दिया कि सच्चे परिश्रम का ष्सुफलष् मिलना तो लाजिमी है। यह जीत और भी खास हो गई क्योंकि स्वाधीनता दिवस के 11 दिन पूर्व भारतीय पताका ब्रिटिश देश में लहरा दी गई। जीत के बाद भारतीय टीम समर्थकों ने जमकर आतिशबाजी की। खेल प्रेमियों के लिए यह जीत कभी भी विस्मृत ना होने वाला पल बन गया।



