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पूर्व मंत्री राधेश्याम गंगानगर नहीं रहे। उन्होंने जयपुर स्थित एक अस्पताल में आखिरी सांस ली। श्रीगंगानगर में ही उनका अंतिम संस्कार होगा। उनके बेटे वीरेंद्र राजपाल ने यह जानकारी दी।
श्रीगंगानगर-हनुमानगढ़ जिले में राधेश्याम की अलग ही पहचान थी। वे कांग्रेस और भाजपा में रहे। गहलोत सरकार में मंत्री भी बने लेकिन बाद में टिकट नहीं मिलने पर बीजेपी जॉइन कर ली थी। राधेश्याम गंगानगर तब सुर्खियों में आ गए जब उन्होंने 1993 के चुनाव में तत्कालीन सीएम भैरोसिंह शेखावत को पराजित किया था। उस वक्त वे देश भर में मशहूर हो गए। वर्ष 2018 में निर्दलीय चुनाव लड़ना और महज 2318 मत हासिल करना उनके लिए बड़ा झटका था। बाद में उन्होंने राजनीति से संन्यास ले लिया था। यूआईटी के चेयरमैन से लेकर मंत्री तक का सफर तय करने वाले राधेश्याम पांच दशक तक राजनीति में सक्रिय रहे। कुल 10 चुनाव लड़ने वाले राधेश्याम महज चार चुनाव ही जीत पाए लेकिन राजनीति में उनका दबदबा कायम रहा।