


भटनेर पोस्ट सिटी डेस्क.
सावन का महीना। सुवासित बयार और हरियाली से सजी प्रकृति के बीच, टाउन क्षेत्र स्थित जीएम रिसोर्ट में तीज मेला महोत्सव का भव्य आयोजन हुआ। संस्कृति, सौंदर्य, सृजन और स्त्री-सशक्तिकरण का पर्याय बने कार्यक्रम का प्रत्येक रंग, प्रत्येक रेखा, प्रत्येक रचना स्त्रीत्व की गरिमा और पारंपरिक विरासत की गूंज लिए हुए थी। रंग-बिरंगे परिधान, पारंपरिक गहनों की झनकार, और लोकगीतों की मधुर लहरियों के बीच जब महिलाएं एकत्रित हुईं तो मानो सदियों पुरानी संस्कृति स्वयं सजीव हो उठी हो। मेले की सजावट में पारंपरिक झूले, पुष्पवाटिकाएं और रंगीन वस्त्रों से सजे मंडप किसी स्वप्नलोक की भांति प्रतीत हो रहे थे। हर कोना, हर रंग, हर ध्वनि एक संदेश दे रही थी, ‘हमारी संस्कृति अभी जीवित है, धड़क रही है, मुस्कुरा रही है।’
कार्यक्रम में बड़ी संख्या में महिलाओं ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई, जिन्होंने अपने हुनर, आत्मविश्वास और सौंदर्य से आयोजन को अनुपम बना दिया। महिलाएं जहां पारंपरिक गीतों की लय पर थिरकती नज़र आईं, वहीं युवतियों और बच्चों ने भी अपनी भागीदारी से उत्सव को जीवंतता प्रदान की।
इस अवसर पर विशेष अतिथि के रूप में एएसपी नीलम चौधरी, डीवाईएसपी मीनाक्षी सहारण, पूर्व सभापति संतोष बंसल, पूर्व पार्षद मंजू रणवा और अंजना जैन आदि ने शिरकत की। उन्होंने तीज उत्सव की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे कार्यक्रम महिलाओं को सामाजिक मंच पर आत्मविश्वास के साथ प्रस्तुत करने का सशक्त अवसर प्रदान करते हैं।
महोत्सव की एक विशेष झलक महिलाओं द्वारा लगाए गए हस्तनिर्मित स्टॉल्स रहे। इन स्टॉल्स में पारंपरिक राखियाँ, रंगोली डिज़ाइंस, कढ़ाई किए हुए परिधान, आर्टिफिशियल ज्वेलरी, घरेलू उत्पाद, एवं अनेक लोककलाएं प्रदर्शित की गईं। यह स्टॉल्स न केवल महिलाओं की आत्मनिर्भरता की दिशा में एक प्रेरणादायी पहल बने, बल्कि स्थानीय शिल्प और कारीगरी को भी जनमानस के समक्ष एक नया मंच प्रदान कर गए।
आयोजन समिति की डायरेक्टर खुशबू अग्रवाल व निशा अग्रवाल ने इस महोत्सव के उद्देश्य को स्पष्ट करते हुए कहा, ‘हमारा प्रयास है कि पारंपरिक त्योहारों को नई पीढ़ी से जोड़ा जाए, ताकि हमारी सांस्कृतिक जड़ें मज़बूत बनी रहें। यह आयोजन केवल उत्सव नहीं, बल्कि महिलाओं को आत्म-अभिव्यक्ति और आत्मनिर्भरता की ओर ले जाने वाला एक आंदोलन है।’
कार्यक्रम की सफलता में सोनल अग्रवाल, अंजना जैन और गरिमा विजय का विशेष योगदान रहा, जिन्होंने न केवल योजना निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, बल्कि क्रियान्वयन के हर स्तर पर सजगता और समर्पण का परिचय दिया। महोत्सव का समापन सांस्कृतिक गीतों और सामूहिक नृत्य के साथ हुआ, जिसमें सभी महिलाएं मानो सावन की घटाओं की तरह झूम उठीं। पूरे वातावरण में उल्लास, आनंद और भारतीयता की ममतामयी मादकता घुल गई।
गरिमा विजय व अंजना जैन ने कहाकि यह आयोजन न केवल तीज के पर्व को एक सांस्कृतिक उत्सव में परिवर्तित करता है, बल्कि यह भी सिद्ध करता है कि हनुमानगढ़ जैसे नगरों में भी सामाजिक समरसता, नारी गरिमा और परंपराओं की चेतना को अक्षुण्ण बनाए रखने के प्रयास निरंतर जारी हैं। तीज, अब सिर्फ एक त्योहार नहीं रहा, यह संस्कृति की पुकार, नारी के स्वाभिमान की जयघोष, और लोक की धड़कन बन चुका है।
