





भटनेर पोस्ट ब्यूरो.
देशभर के करदाताओं और टैक्स प्रोफेशनल्स के लिए आयकर रिटर्न दाखिल करने की प्रक्रिया इस बार किसी ‘परीक्षा’ से कम साबित नहीं हुई। आयकर विभाग का ई-फाइलिंग पोर्टल पिछले कई दिनों से लगातार तकनीकी दिक्कतों से जूझ रहा है, जिससे लाखों लोग समय रहते अपना रिटर्न दाखिल नहीं कर सके। सबसे बड़ी विडंबना यह रही कि रिटर्न दाखिल करने की आखिरी तारीख़ 15 सितम्बर थी, लेकिन पोर्टल पर ‘सर्विस अनलेबल’ जैसी त्रुटियां बार-बार सामने आईं।

नाराज करदाता और पेशेवर अब अपने गुस्से का इजहार अनोखे ढंग से कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर आयकर विभाग की साइट पर ‘माल्यार्पण’ करते हुए तस्वीरें वायरल हो रही हैं। लोग व्यंग्य करते हुए कह रहे हैं कि जब वेबसाइट काम ही नहीं कर रही तो यह किसी ‘मृत वेबसाइट’ से कम नहीं।

तकनीकी गड़बड़ियों और करदाताओं की मांगों के बीच सरकार ने आईटीआर भरने की समयसीमा बढ़ाने की घोषणा तो की, लेकिन वह सिर्फ़ 1 दिन का विस्तार निकला। यानी, 15 की बजाय 16 सितम्बर तक आईटीआर दाखिल करने की नई समयसीमा तय की गई। यह कदम करदाताओं और टैक्स प्रोफेशनल्स के गुस्से को और बढ़ा गया। उनका कहना है कि जब 3-4 दिन तक पोर्टल ढंग से काम ही नहीं कर रहा, तो महज़ 1 दिन का विस्तार देना ‘मज़ाक’ जैसा है।

कई कर विशेषज्ञों ने खुलकर कहा कि सरकार ने करदाताओं की पीड़ा को गंभीरता से नहीं लिया। रिटर्न भरना सिर्फ़ फॉर्म भरने का काम नहीं है, इसके लिए दस्तावेज़ जुटाने, सत्यापन करने और तकनीकी जांच की लंबी प्रक्रिया करनी पड़ती है।

टैक्स बार एसोसिएशन समेत कई संगठनों ने सरकार से समयसीमा को कम से कम 15 दिन तक बढ़ाने की मांग की है। एसोसिएशन के अध्यक्ष एडवोकेट रोहित अग्रवाल, सचिव सीए जिनेंद्र कोचर और कोषाध्यक्ष सीए अंकुश सिंगला ने कहा कि सरकार की घोषणा से करदाताओं की मुश्किलें हल होने के बजाय और बढ़ जाएंगी।

उनका कहना है कि समयसीमा बढ़ाना कोई रियायत नहीं बल्कि परिस्थितियों को देखते हुए आवश्यक कदम है। जब लाखों लोग पोर्टल की खराबी की वजह से रिटर्न दाखिल ही नहीं कर पाए, तो उन्हें लेट फीस और पेनल्टी भरने पर मजबूर करना न्यायसंगत नहीं होगा।

समस्या सिर्फ़ तकनीकी खराबी तक सीमित नहीं है। देश के कई राज्यों में भारी बारिश और बाढ़ जैसी परिस्थितियों ने हालात को और गंभीर बना दिया है। इन राज्यों में इंटरनेट सेवाओं और बिजली की दिक्कतों ने करदाताओं के लिए समय पर रिटर्न दाखिल करना लगभग असंभव बना दिया। विशेषज्ञों का कहना है कि इन असाधारण परिस्थितियों में सरकार को और भी संवेदनशील रुख अपनाना चाहिए।

करदाता खुले तौर पर कह रहे हैं कि वे कर चुकाने या आईटीआर भरने से पीछे नहीं हट रहे, लेकिन दबाव और अव्यवस्था में रिटर्न दाखिल करना असंभव हो रहा है। कर सलाहकार एडवोकेट रोहित अग्रवाल ने कहा, ‘सरकार को समझना चाहिए कि यह केवल राजस्व का मुद्दा नहीं है, बल्कि करदाताओं के विश्वास और सुविधा का भी सवाल है। अगर लोग बार-बार तकनीकी खामियों का सामना करेंगे तो सिस्टम पर भरोसा डगमगा जाएगा।’

यह पहली बार नहीं है जब आयकर विभाग का पोर्टल समय सीमा के आसपास तकनीकी दिक्कतों का शिकार हुआ हो। हर साल आखिरी तारीख़ नज़दीक आते ही वेबसाइट पर अत्यधिक दबाव पड़ता है और सर्वर बार-बार डाउन हो जाता है। सवाल यह है कि जब सरकार डिजिटल इंडिया और ई-गवर्नेंस पर ज़ोर दे रही है तो इतना अहम पोर्टल बेहतर सर्वर और तकनीकी व्यवस्था से लैस क्यों नहीं है?

करदाताओं का कहना है कि आयकर पोर्टल किसी साधारण वेबसाइट की तरह नहीं है, बल्कि देश के आर्थिक तंत्र की रीढ़ है। अगर यह सही ढंग से काम नहीं करेगा तो राजस्व संग्रहण और पारदर्शिता दोनों पर असर पड़ेगा। वर्तमान हालात में करदाताओं की सबसे बड़ी मांग है कि सरकार तुरंत संज्ञान ले और कम से कम 15 दिन का विस्तार घोषित करे। इससे करदाताओं को राहत मिलेगी और वे बिना किसी दबाव के समय पर अपने रिटर्न दाखिल कर सकेंगे। साथ ही, यह कदम सरकार के प्रति विश्वास और सहयोग की भावना को मज़बूत करेगा।

