







भटनेर पोस्ट ब्यूरो.
टैक्स बार एसोसिएशन, हनुमानगढ़ ने आयकर रिटर्न (नॉन-ऑडिट केस) और टैक्स ऑडिट रिपोर्ट की अंतिम तिथि बढ़ाने की मांग करते हुए केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड के चेयरमैन के नाम मुख्य आयकर अधिकारी को ज्ञापन सौंपा है। एसोसिएशन के अध्यक्ष एडवोकेट रोहित अग्रवाल, सचिव सीए जिनेंद्र कोचर और कोषाध्यक्ष सीए अंकुश सिंगला ने हस्ताक्षरित इस पत्र में कहा गया है कि करदाताओं और प्रोफेशनल्स को इस वर्ष कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है, जिसके चलते निर्धारित समय पर रिटर्न और ऑडिट रिपोर्ट दाखिल करना संभव नहीं हो पा रहा है।

अध्यक्ष एडवोकेट रोहित अग्रवाल ने कहाकि इनकम टैक्स रिटर्न (नॉन-ऑडिट केस) की वर्तमान तिथि 16 सितंबर 2025 की जगह 30 सितंबर 2025 तक बढ़ाई जाए। जबकि टैक्स ऑडिट रिपोर्ट की तारीख 30 सितंबर 2025 की जगह 31 दिसंबर 2025 तक की जाए। इस मौके पर सीए राहुल यादव, यश मित्तल, साहिल गोयल, शशांक, विनय जिंदल, पीके कोचर, भूपेंद्र बलाडिया, तुषार गोयल और सुशील मित्तल, एडवोकेट ओमप्रकाश अग्रवाल, जेपी गर्ग, बीडी जिंदल, महेश चाचाण, राजेंद्र सीलू, संदीप बाघला, राजेश गुप्ता, मनीष, अंकित कुक्कड़, अमित कटारिया, गगनदीप, धीरज शर्मा, राजेश कुमार व संजय अग्रवाल आदि मौजूद थे।

एसोसिएशन के अध्यक्ष रोहित अग्रवाल, सचिव जिनेंद्र कोचर और कोषाध्यक्ष अंकुश सिंगला ने चेयरमैन को लिखे खत में लिखा कि यूटिलिटी समय पर जारी नहीं हुईं। सामान्यतः 1 अप्रैल से 31 जुलाई तक लगभग 122 दिन तैयारी और फाइलिंग के लिए मिलते हैं, लेकिन इस बार यूटिलिटीज देर से जारी होने के कारण समय बेहद कम मिला।

उन्होंने कहाकि आयकर पोर्टल की तकनीकी समस्याएं भी रहीं। रिटर्न और ऑडिट रिपोर्ट अपलोड करते समय बार-बार सिस्टम एरर, लॉगिन फेल और स्लो एक्सेस की दिक्कतें आ रही हैं। नया आईसीएआई फॉर्मेटः इस वर्ष से बैलेंस शीट और प्रॉफिट-लॉस अकाउंट का नया फॉर्मेट लागू हुआ है, जिसमें संबंधित पक्षों के लेन-देन और अन्य खुलासों को शामिल करना अनिवार्य हो गया है। इसके लिए अतिरिक्त समय की जरूरत है।

पत्र के मुताबिक, त्योहारी सीजन का दबाव है। सितंबर से नवंबर के बीच गणेश चतुर्थी, नवरात्रि, दुर्गा पूजा, दशहरा और दिवाली जैसे त्योहार आने से कार्यालयों में स्टाफ की कमी और क्लाइंट मीटिंग्स में देरी होती है। क्षेत्र में भारी वर्षा और बाढ़ जैसे हालात से बिजली कटौती और इंटरनेट समस्या बनी रही, जिससे दफ्तरों का सामान्य संचालन बाधित हुआ। पत्र में कहा गया है कि महज एक-दो दिन की मोहलत देना पर्याप्त नहीं है। यदि तिथियों में उचित विस्तार दिया जाए तो करदाता और प्रोफेशनल्स बेहतर तरीके से कार्य कर सकेंगे, जिससे सही अनुपालन, त्रुटियों में कमी और स्वैच्छिक कर भुगतान की भावना को प्रोत्साहन मिलेगा।



