



शंकर सोनी.
आज के समय में जब हमारे देश के अनेक प्रतिभावान युवा तनाव, असुरक्षा और आत्मविश्वास की कमी के कारण जीवन का दामन छोड़ रहे हैं, तब हमें यह समझने की आवश्यकता है कि समस्या केवल परीक्षा में असफलता की नहीं, आत्मबल के ह्रास की है। युवाओं की आत्महत्या की खबरें केवल एक जीवन के अंत की नहीं, पूरे समाज की आत्मा पर लगे धब्बे की तरह हैं। इन घटनाओं का मूल कारण केवल बाहरी दबाव नहीं, बल्कि आत्मविश्वास की उस नींव का कमजोर होना है जिसे बचपन से मज़बूत किया जाना चाहिए था।
हमारे सर्वाेच्च न्यायालय ने भी वर्तमान समय में छात्रों और युवाओं में आत्महत्या की बढ़ती प्रवृत्ति पर अत्यंत चिंता व्यक्त करते हुए कुछ निर्देश जारी किए हैं। जब युवा अपने भीतर के संघर्षों और असफलताओं से जूझते हैं, तब उन्हें यदि उचित मानसिक संबल, मार्गदर्शन और प्रेरणा न मिले, तो वे दुर्भाग्यवश आत्मघाती कदम उठा लेते हैं।
इस गंभीर स्थिति को समझते हुए शहीद स्मारक ई-लाइब्रेरी, हनुमानगढ़ में एक विशेष पहल शुरू की है। यहाँ प्रतिदिन प्रातः एक प्रेरक प्रार्थना और नियमित संकल्प ग्रहण की परंपरा आरंभ की गई है। इसका उद्देश्य विद्यार्थियों के मन में सकारात्मक ऊर्जा भरना, आत्मबल को जागृत करना और उन्हें यह स्मरण कराना है कि जीवन में संघर्ष अस्थायी होते हैं, लेकिन आत्मविश्वास और धैर्य ही सच्ची विजय की कुंजी हैं।
प्रार्थना के बाद विद्यार्थी शहीदों से प्रेरणा लेते हुए अपने आप से वचनबद्ध होते हैं तो निसंदेह यह प्रक्रिया युवाओं के मन-मस्तिष्क में सकारात्मकता और आत्मविश्वास का संचार करेगी। प्रातः रोज प्रेरक प्रार्थना जिनमें ‘यह मत कहो खुदा से की मुश्किलें बड़ी है ,इन मुश्किलों से कह दो मेरा खुदा बड़ा है……’, इतनी शक्ति हमें देना दाता……’, ‘ए मालिक तेरे बंदे हम ऐसे हो हमारे’, ‘तुम ही हो माता पिता तुम्ही हो’, करते हैं।
आज से सभी बच्चे नियमित रूप से निम्नलिखित ‘संकल्प वाचन’ करेंगें। ‘मैं ,भारतीय सशस्त्र संग्राम के शहीदों औरक्रांतिवीरों को नमन करते हुए सच्चे मन से संकल्प करता हूँ कि मैं शहीदों के खून से मिली आजादी की सदा रक्षा करूँगा। विराट भारत मेरा देश है। मैं भारत की सनातन संस्कृति, अखंडता और एकता का सदैव सम्मान करूँगा। मैं एक ईमानदार, कर्तव्य-परायण, निष्ठावान और प्रतिबद्ध नागरिक बन कर भ्रष्टाचार मुक्त भारत के निर्माण का प्रयत्न करूँगा। मैं अपने माता-पिता, शिक्षकों और गुरुजनों का आदर करूँगा और हर एक के साथ सदा शिष्टता और सम्मान से व्यवहार करूँगा।’
बंगाल की क्रांतिकारी अनुशीलन समितियां में शपथ और संकल्प लिए जाते थे।
नियमित रूप से ऐसी प्रार्थना और संकल्प से युवाओं में परिवर्तन आएगा और जो युवा पहले आत्म-संदेह में रहते थे, अब उनमें आत्मविश्वास सृजित होगा और वे जीवन के संघर्षों को ‘लड़ाई’ नहीं बल्कि ‘यात्रा’ मानने लगेगे। हमारी ये छोटी सी पहल आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है। जब आत्मबल जागता है, तब मृत्यु का भय भागता है।
-लेखक वरिष्ठ अधिवक्ता व नागरिक सुरक्षा मंच के संस्थापक हैं
