


भटनेर पोस्ट ब्यूरो.
जल संसाधन मंत्री सुरेश सिंह रावत ने विधानसभा में कहा कि पंजाब की फैक्ट्रियों से गंग कैनाल में आ रहे जल को विभिन्न विधियों से शुद्ध कर उपभोक्ताओं को उपलब्ध करवाया जाता है। उन्होंने कहा कि सतलुज नदी में दूषित जल प्रवाहित होने से रोकने के लिए पंजाब सरकार द्वारा भी प्रयास किये जा रहे हैं। इसके लिए सतलुज नदी के जल संग्रहण क्षेत्र में कुल 57 एसटीपी का निर्माण किया गया है, जिसकी लगातार मॉनिटरिंग की जा रही है। इसके अतिरिक्त 10 नए एसटीपी एवं सीईटीपी का निर्माण कार्य भी प्रगतिरत है। जल संसाधन मंत्री प्रश्नकाल के दौरान सदस्य द्वारा इस सम्बन्ध में पूछे गए पूरक प्रश्नों का जवाब दे रहे थे। उन्होंने बताया कि केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण मंडल द्वारा वर्ष 2011 से 2014 तक हर वर्ष जल के नमूने लिए गए, जिसमें दूषित जल की पुष्टि हुई। मंडल द्वारा पंजाब प्रदूषण नियंत्रण मंडल को प्रदूषण के मुख्य स्रोतों की जानकारी दी गई। साथ ही सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की कैपेसिटी बढ़ाने तथा स्थापित ट्रीटमेंट प्लांट की पूर्ण उपयोगिता सुनिश्चित कर सीवरेज को सतलुज में प्रवाहित नहीं करने के निर्देश भी दिए। उन्होंने कहा कि दूषित जल की मॉनिटरिंग के लिए बीकानेर कैनाल की आर.डी. 368.50 (राजस्थान-पंजाब बॉर्डर) पर रीयल टाइम वाटर क्वालिटी मॉनिटरिंग सिस्टम स्थापित किया गया है। इसके जरिये बीकानेर कैनाल के माध्यम से गंग कैनाल में आ रहे पानी की पीएच, टरबीडिटी, कन्डक्टीविटी, वाटर टेम्परेचर, डिजोल्वड ऑक्सीजन, बायो-केमिकल ऑक्सीजन डिमांड, केमिकल ऑक्सीजन डिमांड, डिजोल्वड अमोनिया नाइट्रेटस एवं क्लोराईडस पैरीमीटर्स की जांच हो रही है। इसकी सूचना ऑनलाइन प्रत्येक घण्टे के अन्तराल पर राजस्थान प्रदूषण नियन्त्रण बोर्ड जयपुर एवं जल संसाधन कार्यालय हनुमानगढ़ में स्थापित कंट्रोल रूम में प्रदर्शित होती है।

सतलुज में बूढा नाला के जरिए जा रहा प्रदूषित पानी
इससे पहले विधायक रुपिन्द्र सिंह कुन्नर के मूल प्रश्न के लिखित जवाब में जल संसाधन मंत्री ने बताया कि पंजाब राज्य के लुधियाना शहर का प्रदूषित जल बूढा नाला के माध्यम से सतलुज नदी में प्रवाहित किया जाता है। साथ ही जालन्धर, नाकोदर तथा फगवाड़ा शहरों का सीवरेज जल एवं औद्योगिक अपशिष्ट काली बेन में प्रवाहित किये जाते हैं। यह पानी सतलुज नदी में मिल जाता है। सतलुज नदी का पानी हरिके बैराज से इन्दिरा गांधी नहर, सरहिन्द फीडर व बीकानेर कैनाल के माध्यम से राजस्थान में आ रहा है। जिसमें बीकानेर कैनाल का पानी गंग कैनाल में प्रवाहित होता है। उन्होंने बताया कि जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग द्वारा श्रीगंगानगर जिले में विद्यमान गंगनहर प्रणाली से प्राप्त हो रहे जल के नमूनों में हैवी मेटल्स जैसे आर्सेनिक, केडमियम, कोबाल्ट, क्रोमियम, कॉपर, लैड, मर्करी, निकल, सिलेनियम, जिंक की जॉच प्रत्येक माह केन्द्रीय प्रयोगशाला जयपुर से करवाई जा रही है। इसके अलावा सामान्य रासायनिक, जीवाणु, डीओ, बीओडी, सीओडी की जांच विभागीय जिला प्रयोगशाला श्रीगंगानगर स्तर पर नियमित रूप से की जा रही है। रावत ने बताया कि जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के अनुसार गंग कैनाल का पानी श्रीगंगानगर जिले में विभिन्न 313 ग्रामीण पेयजल योजनाओं तथा 7 शहरी जल योजनाओं द्वारा पेयजल हेतु सेडीमेन्टेशन टैंक में जल निथार कर स्लौसैण्ड फिल्टर, रेपिड ग्रेविटी फिल्टर के माध्यम से जल को परिष्कृत किया जाता है तथा क्लोरिन गैस, ब्लीचिंग पाउडर द्वारा क्लोरीनेशन करने के पश्चात जीवाणु रहित कर वितरण प्रणालियों के माध्यम से उपभोक्ताओं को शुद्ध पेयजल उपलब्ध करवाया जाता है।



