श्रीराम यानी ब्रह्मांड का सार!

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भटनेर पोस्ट डेस्क.
जब भी हम ‘राम’ शब्द का उच्चारण करते हैं, तो सिर्फ एक नाम ही नहीं लेते, बल्कि उस अनंत ब्रह्मांड को स्मरण करते हैं जिसमें सृष्टि का कण-कण समाहित है। राम सिर्फ एक व्यक्ति, एक राजा या एक अवतार नहीं हैं, बल्कि वह तत्व हैं जो इस ब्रह्मांड के कण-कण में व्याप्त है। आइए, इस दिव्य नाम के विभिन्न अर्थों और राम के आदर्श जीवन की गहराइयों को समझें।
‘राम’ शब्द संस्कृत धातु ‘रम’ से निकला है, जिसका अर्थ है रमना, समा जाना, या आनंदित करना। ‘रमन्ते योगिनः अस्मिन सा रामं उच्यते।’ अर्थात, योगी ध्यान में जिस शून्य में रमते हैं, वही राम है। यह शून्य ब्रह्म का वह स्वरूप है, जिसमें योगी आत्मा का लय कर परम आनंद की अनुभूति करते हैं।
ब्रह्मांड का तत्व
राम का अर्थ है वह शक्ति जो सकल ब्रह्मांड में रमी हुई है। वह जो सृष्टि के हर कण में व्याप्त है। चाहे वह चर हो या अचर, जीव हो या जड़, हर कण में वही राम विराजमान हैं। यही कारण है कि राम का नाम लेते ही मनुष्य के भीतर एक गहरा संतोष और आनंद व्याप्त हो जाता है।
आदर्श व्यक्तित्व की पराकाष्ठा
जब हम राम को एक व्यक्ति के रूप में देखते हैं, तो वह मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में सामने आते हैं। मर्यादा पुरुषोत्तम का अर्थ है वह व्यक्ति जिसने जीवन के हर क्षेत्र में मर्यादा, धर्म और सत्य का पालन किया। राम ने अपने राज्य को ‘रामराज्य’ बनाया, जो आज भी आदर्श शासन व्यवस्था का प्रतीक है। उन्होंने न्याय, दया और धर्म के साथ राज किया। राम ने जीवन भर नैतिक दायित्वों का निर्वाह किया। चाहे वह पिता की आज्ञा मानकर वनवास जाना हो, पत्नी सीता की रक्षा के लिए राक्षसों से युद्ध करना हो या फिर राज्य की मर्यादा बनाए रखने के लिए निजी इच्छाओं का बलिदान देना होकृराम ने हर बार धर्म का मार्ग अपनाया।

तर्क और भावना का संगम
राम का जीवन सिर्फ आदर्शों का पालन नहीं था, बल्कि वह तर्क और भावना का अद्भुत संगम भी थे। राम के निर्णय हमेशा भावना और तर्क का संतुलन रखते थे। उन्होंने कभी आवेश में कोई निर्णय नहीं लिया, बल्कि हर स्थिति में धर्म और न्याय की कसौटी पर अपने कर्तव्यों को परखा।
नैतिकता और सौंदर्य का मेल
राम का जीवन यह सिखाता है कि नैतिकता और सौंदर्यशास्त्र का अद्भुत संयोजन कैसे किया जा सकता है। उन्होंने जीवन को इस तरह जिया कि उसमें धर्म की मर्यादा भी बनी रही और सौंदर्य का आनंद भी व्याप्त रहा।
शक्ति और शांति का प्रतीक
आज जब हर ओर ‘राम-राम’ गूंज रहा है, तो यह सिर्फ एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि शांति और शक्ति का प्रतीक भी है। कहा गया है, ‘राम से बड़ा राम का नाम।’ राम का नाम लेने मात्र से ही मन को शांति मिलती है और कष्टों से मुक्ति का मार्ग खुल जाता है।
राम नाम की ऊर्जा
राम का नाम सिर्फ आध्यात्मिक उन्नति ही नहीं देता, बल्कि जीवन में सकारात्मक ऊर्जा भी भरता है। जब हम ‘राम’ कहते हैं तो हमारे भीतर एक आंतरिक शक्ति का संचार होता है, जो हमें हर कठिनाई से लड़ने की प्रेरणा देता है।
राम के आदर्श आज भी प्रासंगिक क्यों?
आज की दुनिया में जब नैतिक मूल्यों का पतन हो रहा है, राम का जीवन हमें धैर्य, करुणा और सत्य के मार्ग पर चलने की सीख देता है। राम हमें सिखाते हैं कि राजनीति में धर्म और नीति का संतुलन कैसे बनाए रखा जाए।


सामाजिक समरसता का प्रतीक
राम ने शबरी, केवट और निषादराज से मित्रता कर समाज के हर वर्ग को समानता का संदेश दिया। राम ने परिवार के दायित्व और सामाजिक मर्यादा में संतुलन बनाए रखते हुए हर भूमिका को बखूबी निभाया।
राम: नाम और स्वरूप दोनों में दिव्यता
राम का नाम जितना दिव्य है, उनका जीवन उससे भी अधिक प्रेरणादायक। चाहे वह राजा राम हों, भक्तों के राम हों, या फिर योगियों के ध्यान का शून्य-राम हर रूप में हमारे जीवन को दिशा देने वाले आदर्श हैं।
अब जब हर ओर ‘राम-राम’ गूंज रहा है, तो यह सिर्फ धार्मिक नारा नहीं, बल्कि रामत्व को आत्मसात करने का आह्वान है। आइए, हम भी राम के आदर्शों को अपनाकर अपने जीवन को सत्य, धर्म और करुणा से भर दें।

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