


भटनेर पोस्ट पॉलिटिकल डेस्क.
संसद का मानसून सत्र शुरू होते ही देश की राजनीति का पारा चढ़ गया है। पहले ही दिन लोकसभा और राज्यसभा में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और पहलगाम घटना को लेकर जबरदस्त हंगामा देखने को मिला। विपक्ष ने इन मुद्दों पर चर्चा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सीधा जवाब मांगते हुए जमकर नारेबाजी की, वहीं सरकार ने इन संवेदनशील मुद्दों पर विस्तृत बहस की सहमति देते हुए अगले सप्ताह लोकसभा में 16 घंटे और राज्यसभा में 9 घंटे की चर्चा के लिए तैयार रहने की घोषणा की है।
सत्र के पहले ही दिन दोनों सदनों में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और पहलगाम घटना को लेकर विपक्ष ने आक्रामक रुख अपनाया। जैसे ही कार्यवाही शुरू हुई, विपक्षी सांसदों ने दोनों घटनाओं पर चर्चा की मांग करते हुए नारेबाजी शुरू कर दी।
लोकसभा में पूरे दिन चार बार कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी, अंततः शाम 4 बजे स्पीकर ओम बिरला ने सदन को अगले दिन यानी मंगलवार सुबह 11 बजे तक स्थगित कर दिया।
विपक्ष का कहना है कि चर्चा सत्र की शुरुआत में ही होनी चाहिए और प्रधानमंत्री मोदी स्वयं जवाब दें, क्योंकि मामला राष्ट्रीय सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय कूटनीति से जुड़ा है। हालांकि सरकार की ओर से जानकारी दी गई है कि अगले सप्ताह इन मुद्दों पर निर्धारित समय के तहत बहस की जाएगीकृ लोकसभा में 16 घंटे और राज्यसभा में 9 घंटे।
इस बीच रक्षा मंत्रालय और विदेश मंत्रालय के उच्च पदस्थ अधिकारी भी रणनीति को अंतिम रूप देने में जुटे हुए हैं, जिससे यह संकेत मिलता है कि सरकार अपनी स्थिति स्पष्ट रूप से सामने रखेगी। हंगामे के बीच विपक्ष ने एक और बड़ा दांव चलते हुए जस्टिस यशवंत वर्मा को हटाने के संबंध में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को महाभियोग प्रस्ताव सौंपा।
इस प्रस्ताव पर लोकसभा में 145 और राज्यसभा में 63 सांसदों के हस्ताक्षर हैं।
यह पहली बार है जब एक उच्च न्यायिक अधिकारी के खिलाफ विपक्ष एकजुट होकर संसदीय प्रक्रिया के तहत कार्रवाई की मांग कर रहा है।
विवादों और हंगामों के बीच राज्यसभा ने एक महत्वपूर्ण विधेयक ‘बिल ऑफ लैडिंग बिल, 2025’ पारित कर दिया। यह बिल 1856 के भारतीय बिल्स ऑफ लैडिंग एक्ट की जगह लेगा और समुद्री परिवहन के माध्यम से भेजे गए माल के दस्तावेज़ीकरण को आधुनिक रूप देगा।
यह विधेयक विशेष रूप से नौवहन और व्यापारिक लेन-देन में पारदर्शिता और वैधता सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। गौरतलब है कि यह बिल मार्च 2025 में लोकसभा से पहले ही पारित हो चुका था।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर जहां विपक्ष सरकार को घेरने की कोशिश कर रहा है, वहीं सरकार इसे राष्ट्रीय सुरक्षा और सैनिकों के शौर्य से जोड़कर जनमत को अपने पक्ष में करने की रणनीति में दिखाई दे रही है। इसी बीच न्यायपालिका पर विपक्ष के निशाने और समुद्री कानूनों में बदलाव जैसे मुद्दे एक व्यापक राजनीतिक विमर्श को जन्म दे रहे हैं।
नजरें अब अगले हफ्ते पर
अब सभी की निगाहें अगले सप्ताह होने वाली बहस पर टिकी हैं, जिसमें न केवल ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सैन्य रणनीति और परिणामों पर प्रकाश डाला जाएगा, बल्कि पहलगाम में हुई त्रासदी, जवानों की शहादत और खुफिया तंत्र की भूमिका पर भी सवाल उठ सकते हैं। प्रधानमंत्री मोदी इस पर सदन में खुद बोलेंगे या नहीं, यह भी एक बड़ा राजनीतिक सवाल बनकर उभर चुका है। संसद का यह मानसून सत्र केवल विधायी कार्यों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह राजनीतिक शक्ति परीक्षण और जनमत निर्माण का अखाड़ा बनता जा रहा है।
