



भटनेर पोस्ट ब्यूरो.
‘सेवा ही धर्म है’, इस विचार को आत्मसात कर जब एक सैनिक सेवानिवृत्ति के बाद भी समाज सेवा के पथ पर अग्रसर होता है, तो वह न केवल एक आदर्श बनता है, बल्कि समाज में रोशनी की लौ भी जलाता है। ऐसा ही एक प्रेरणास्पद नाम है ललन कुमार मिश्र। भारतीय सेना के एक पूर्व सैनिक, जिन्होंने रिटायरमेंट के बाद आराम करने की बजाय जरूरतमंद बच्चों के जीवन में शिक्षा का दीपक जलाने का संकल्प लिया।
रांची के हरमू हाउसिंग कॉलोनी स्थित एचआई-67 के निकट जब ललन कुमार मिश्र ने देखा कि आसपास के गरीब परिवारों के बच्चों को न तो पढ़ाई का उचित वातावरण मिल रहा है और न ही उनके माता-पिता में शिक्षा के प्रति जागरूकता है, तो उन्होंने निर्णय लिया कि वे इन बच्चों को नई दिशा देंगे। उन्होंने एक-एक अभिभावक से मिलकर उन्हें समझाया कि बच्चों की असली दौलत शिक्षा है। धीरे-धीरे उनका यह प्रयास रंग लाया और आज वे 70 से 80 बच्चों के ‘सर’ बन चुके हैं, जिन्हें वे न सिर्फ निःशुल्क शिक्षा दे रहे हैं, बल्कि अनुशासन, स्वच्छता और देशभक्ति जैसे जीवनमूल्यों से भी जोड़ रहे हैं।
ललन कुमार मिश्र हर दिन बच्चों को पढ़ाने के लिए नियमित समय निकालते हैं। वे खुद अनुशासन के प्रतीक रहे हैं, और उसी अनुशासन की छाप बच्चों में भी दिखाई देती है। उनकी कक्षा में बच्चों को केवल किताबों का ज्ञान नहीं दिया जाता, बल्कि देश के प्रति सम्मान, अपने कर्तव्यों की समझ और समाज के प्रति ज़िम्मेदारी भी सिखाई जाती है। यह शिक्षा किसी पाठ्यक्रम से अधिक व्यापक है? यह जीवन निर्माण की शिक्षा है।

कारगिल विजय दिवस के अवसर पर ललन कुमार मिश्र ने एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया, जिसमें इन स्कूली बच्चों को देशभक्ति और बलिदान के महत्व को समझाने का प्रयास किया गया। यह आयोजन हरमू स्थित सामुदायिक भवन (कल्याण एवं विकास समिति परिसर) में हुआ, जहां बच्चों ने शहीदों के सम्मान में पुष्पांजलि अर्पित की और राष्ट्रभक्ति के गीत गाए।
इस अवसर पर ललन कुमार मिश्र ने अपने भाषण में कहा, ‘कारगिल दिवस हम सब भारतवासियों के लिए गौरव और श्रद्धा का दिन है। हमारे वीर जवानों ने इस दिन अपने प्राणों की आहुति देकर तिरंगे की शान बचाई। हम सबका कर्तव्य है कि उन शहीदों के सपनों का भारत गढ़ें।’ यह सुनकर बच्चों की आंखों में जो चमक थी, वह इस बात का संकेत थी कि देश का भविष्य सच्चे हाथों में है।

हरमू कॉलोनी के नागरिक ललन कुमार मिश्र की पहल की मुक्तकंठ से सराहना करते हैं। मिहिर कुमार कहते हैं, ‘यह कार्य सिर्फ एक शिक्षण पहल नहीं है, यह एक आंदोलन है, एक विचार क्रांति, जो समाज के उन वर्गों तक शिक्षा पहुंचा रही है, जहां रोशनी पहुंचना मुश्किल था। ललन कुमार मिश्र जैसे लोगों की बदौलत समाज में सकारात्मक परिवर्तन की बयार बह रही है। वे न केवल रिटायर्ड सैनिक हैं, बल्कि आदर्श शिक्षक, मार्गदर्शक और सच्चे राष्ट्रभक्त भी हैं।’ सचमुच, ललन कुमार मिश्र की यह यात्रा हमें यह सिखाती है कि सेवा केवल युद्धभूमि पर ही नहीं, समाज की हर गली-चौराहे पर की जा सकती है, जहां अज्ञान, अभाव और असंवेदनशीलता से युद्ध लड़ा जाना बाकी है।
