





भटनेर पोस्ट ब्यूरो.
हनुमानगढ़ में अंगदान जैसे गंभीर और संवेदनशील विषय पर लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से श्री खुशाल दास विश्वविद्यालय परिसर के लता मंगेशकर भवन में एक प्रेरक संगोष्ठी हुई। इसमें चिकित्सा विशेषज्ञों, प्रशासनिक अधिकारियों और शिक्षाविदों ने भाग लिया और अंगदान के महत्व, प्रक्रिया और सामाजिक पहलुओं पर विस्तार से प्रकाश डाला। वक्ताओं ने कहा कि जैसे रक्तदान जीवन बचा सकता है, वैसे ही अंगदान किसी को दोबारा सांसें दे सकता है। उन्होंने इसे मानवता की सर्वाेच्च सेवा करार देते हुए समाज के प्रत्येक व्यक्ति से इस अभियान से जुड़ने की अपील की।

मुख्य अतिथि वरिष्ठ नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. अतुला यादव व डॉ. दीपक थे। रिटायर्ड आईजी गिरीश चावला, प्रो. आशुतोष दीक्षित, डॉ. श्यामवीर सिंह, डॉ. पुष्पेन्द्र कुमार ने अतिथियों का अभिनन्दन किया। डॉ. अतुला यादव ने कहा कि ब्लड डोनेशन हार्मफुल नहीं बल्कि लाभदायक होता है। अंगदान सुनते ही हमारे दिमाग में अलग अलग विचार आते हैं। ऑर्गन डोनेशन क्या है, इसका क्या महत्व है, इसके बारे उन्होंने विस्तार से बताते हुए कहा कि मृत व्यक्ति ही नहीं बल्कि जीवित व्यक्ति भी अंगदान कर सकता है। व्यक्ति का ट्रांसप्लांट नहीं होने से व्यक्ति समय से पूर्व ही चला जाता है। ब्रेन, हार्ट, लीवर, किडनी यदि सही ढंग से कार्य नहीं करते है तो व्यक्ति को काफी बिमारियों से जूझना पढता है। ऐसी स्थिति में व्यक्ति का यदि सही समय पर ट्रांसप्लांट होता है तो उसे नया जीवन दान मिलता है। अपने परिवार सहित समाज को अंगदान करने के लिए आप प्रेरित करें, क्योंकि इसमें समाज का सहयोग अपेक्षित है।

डॉ. दीपक पारीक ने बताया कि हर वर्ष 3 अगस्त को ‘ऑर्गन डोनेशन डे’ मनाया जाता है और सरकार विभिन्न जागरूकता अभियान चलाकर लोगों को इस विषय के प्रति संवेदनशील बना रही है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जैसे आज रक्तदान शिविरों में भारी संख्या में लोग भाग ले रहे हैं, उसी प्रकार अंगदान के क्षेत्र में भी लोगों को आगे आना चाहिए। हम अंगदान के तहत आँखे, हार्ट, लंग्स, किडनी, लीवर आदि डोनेट कर सकते है। यदि मरने से पूर्व आप किसी को ऑर्गन देकर जीवन दान देते है तो यह सबसे खूबसूरत पल होता है।

कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के डायरेक्टर जनरल गिरीश चावला ने कहा कि सेवा के कई रूप होते हैं, लेकिन रक्तदान और अंगदान को सबसे श्रेष्ठ सेवा माना गया है। हम सभी को सबसे पहले खुद को इस मुहिम से जोड़ना चाहिए और फिर अपने आस-पास के लोगों को भी इस नेक कार्य के लिए प्रेरित करना चाहिए। अगर हम जिन्दा है तो जिन्दा नजर आने चाहिए। हमें अपनी परिस्थितियों के हिसाब से समाज की सेवा करनी चाहिए क्योंकि जरूरतमंद इन्सान की सेवा से बढ़कर कोई ओर सेवा नहीं है। रजिस्ट्रार प्रो. आशुतोष दीक्षित ने आभार जताया। मंच संचालन डॉ. मनवीर कौर व सिमरन बलाना ने किया।





