




भटनेर पोस्ट साहित्य डेस्क.
हनुमानगढ़ जंक्शन स्थित सिविल लाइन्स सामुदायिक भवन 7 जून को एक सजीव साहित्यिक सुबह का साक्षी बना जब रिटायर्ड अधिकारी स्व. सरदार बख्तावर सिंह सिद्धू द्वारा लिखित तथा उनके पुत्र सरदार सतविन्द्र पाल सिंह सिद्धू द्वारा सम्पादित संस्मरणात्मक कृति ‘यादों का गुलदस्ता’ का लोकार्पण भावनात्मक परिवेश में संपन्न हुआ। यह कार्यक्रम केवल एक पुस्तक के विमोचन का अवसर नहीं था, बल्कि पिता-पुत्र के आत्मीय रिश्ते, विरासत की निरंतरता और समाजिक मूल्यों की पुनर्पुष्टि का एक साहित्यिक अनुष्ठान बन गया। मुख्य अतिथि हनुमानगढ़ विधायक गणेशराज बंसल, प्रतिष्ठित बाल साहित्यकार दीनदयाल शर्मा, साहित्यकार राजेश चड्ढा, संपादक सरदार सतविन्द्र पाल सिंह सिद्धू, सामाजिक व्यक्तित्व सरदार कुलदीप सिंह सिद्धू, सरदार हरपाल सिंह सिद्धू सहित अन्य गणमान्य अतिथियों ने संयुक्त रूप से पुस्तक का लोकार्पण किया। जैसे ही पुस्तक का आवरण मंच पर अनावृत हुआ, सभागार में उपस्थित श्रोताओं की आंखें नम हो गईं, मानो स्मृतियों का कोई गुलदस्ता हर किसी के हृदय को छू गया हो।
‘यादों का गुलदस्ता’ एक ऐसी कृति है, जिसमें न केवल पिता-पुत्र के संबंधों की आत्मीयता है, बल्कि पीढ़ियों के बीच बहने वाले संस्कारों, अनुभवों और जीवनमूल्यों की अबूझ धारा भी है। संपादक सरदार सतविन्द्र पाल सिंह सिद्धू ने इस पुस्तक को संपादित करते हुए न केवल अपने पिता की स्मृतियों को सहेजा है, बल्कि एक पीढ़ी के अनुभवों को दूसरी पीढ़ी तक संप्रेषित करने का धर्म भी निभाया है। यह पुस्तक केवल संस्मरण नहीं, बल्कि आत्मसंवाद की एक जीवंत अभिव्यक्ति है, जो हर उस व्यक्ति को भीतर तक स्पर्श करती है, जिसने कभी अपने पिता की आंखों में संघर्ष देखा हो और छांव में स्नेह पाया हो।
विधायक गणेशराज बंसल ने कहा कि ‘यादों का गुलदस्ता’ एक भावनात्मक दस्तावेज है, जिसमें रिश्तों की गहराई, सामाजिक चेतना और जीवनदर्शन की झलक मिलती है। उन्होंने सतविन्द्र पाल सिंह सिद्धू की प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्होंने अपने पिता की स्मृतियों को सिर्फ शब्दों में नहीं, बल्कि आत्मा के भाव में पिरोया है। यह कृति आने वाली पीढ़ियों के लिए न केवल प्रेरणास्रोत है, बल्कि उनके लिए एक मार्गदर्शक भी सिद्ध होगी।
समारोह में गुरजंट सिंह गुलाबेवाला, अपारजोत सिंह बराड़, जय सिंह दहिया, वरिष्ठ डॉ. बीके चावला, एडवोकेट ओमप्रकाश अग्रवाल, मनजिंद्र सिंह लेघा, डॉ. अमरजीत सिंह सिद्धू, सरदार मंजीत सिंह कोटा सहित अनेक गणमान्य साहित्यप्रेमियों, बुद्धिजीवियों और नागरिकों की गरिमामयी उपस्थिति रही। उपस्थितजनों ने इस कृति को उन दुर्लभ संस्मरणों में स्थान देने योग्य बताया, जो पाठक को न केवल अतीत में ले जाती है, बल्कि वर्तमान के भाव-संवेदन से भी जोड़ती है।
कार्यक्रम का समापन धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ, लेकिन उपस्थित लोगों के मन में बख्तावर सिंह सिद्धू की स्मृतियों की गूंज और सतविन्द्र पाल सिंह सिद्धू के प्रति सम्मान की तरंगें देर तक बनी रहीं। यह लोकार्पण समारोह एक पुस्तक का नहीं, बल्कि एक पीढ़ी की विरासत का आदर था। ‘यादों का गुलदस्ता’ अब केवल एक पुस्तक नहीं, बल्कि भावनाओं की वह बही है, जिसमें हर पाठक अपने पिता की छवि खोज सकता है, मार्गदर्शक, मित्र और मूक प्रहरी के रूप में। कार्यक्रम का संचालन डॉ. अरुण गुप्ता ने किया।




