



भटनेर पोस्ट डेस्क.
हनुमानगढ़ में बाल दिवस का मौक़ा सिर्फ़ एक औपचारिक उत्सव नहीं, बल्कि संवेदना और सामाजिक ज़िम्मेदारी का जीवंत उदाहरण बन गया। अखिल भारतीय महिला अग्रवाल सम्मेलन तथा अग्रवाल समाज समिति महिला उप समिति ने नव ज्योति सेवा संस्थान में विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के साथ यह दिन ऐसी आत्मीयता से मनाया कि उपस्थित हर व्यक्ति के मन में बच्चों के प्रति सम्मान और भी गहरा हो गया।

कार्यक्रम की शुरुआत संस्थान में रहने वाले विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के साथ केक काटकर हुई। यह क्षण किसी साधारण रस्म की तरह नहीं, बल्कि बच्चों की मुस्कान से भरा ऐसा पल था जिसने पूरे माहौल को आनंद से भर दिया। केक काटने के बाद सदस्यों ने बच्चों को प्रेमपूर्वक भोजन कराया। बच्चों की खिलखिलाहट और उनके साथ बैठकर भोजन करने का यह दृश्य उस मानवीय स्पर्श को दर्शाता था जिसकी समाज को हर पल ज़रूरत है।

अध्यक्ष एडवोकेट मिताली अग्रवाल ने बताया कि संस्थान में रह रहे बच्चे किसी भी दृष्टि से सामान्य बच्चों से कम नहीं हैं। उनके भीतर अद्भुत प्रतिभाएँ छिपी हुई है, कोई गायन में निपुण है, कोई नृत्य में अपना लोहा मनवा सकता है। किसी की कला से भरी उँगलियाँ रंगों को ज़िंदगी दे देती हैं तो कोई शब्दों से भावों को अभिव्यक्त करना जानता है। इसी प्रतिभा को देखने के लिए बच्चों द्वारा बनाई गई विविध कलाकृतियों की प्रदर्शनी भी लगाई गई। आकर्षक चित्रों और मेहनत से तैयार कलाकृतियों को देखकर आगंतुकों ने इन बच्चों के हुनर की भरपूर सराहना की। कई सदस्यों ने कहा कि यदि इन बच्चों को उचित मार्गदर्शन और मंच मिलता रहे तो वे आने वाले समय में समाज के सामने मिसाल बन सकते हैं।

नव ज्योति सेवा संस्थान के संचालक भीषम कौशिक के सेवाभाव और समर्पण की भी विशेष प्रशंसा की गई। वर्षों से संस्थान को सुचारू रूप से चलाने में उन्होंने जो अथक प्रयास किया है, वह किसी साधारण कार्य से बढ़कर एक सतत सेवा है। बच्चों की दिनचर्या से लेकर उनकी शिक्षा, स्वास्थ्य और भावनात्मक विकास तक हर पहलू में उनका योगदान इस संस्थान की रीढ़ की तरह है। उपस्थित प्रतिनिधियों ने माना कि भीषम कौशिक का यह निरंतर प्रयास समाज के लिए प्रेरणादायक उदाहरण है, जो बताता है कि सेवा केवल शब्द नहीं, बल्कि जीवन का व्यवहार होना चाहिए।

इस अवसर पर जिला संरक्षक सरोज अग्रवाल, संगठन मंत्री प्रीति गुप्ता, जिला सदस्य रिंकल गर्ग और शिमला गुप्ता ने भी सक्रिय रूप से सहभागिता निभाई। सभी ने बच्चों के बीच समय बिताया, उन्हें प्रोत्साहित किया और उनकी गतिविधियों में मन से शामिल हुए। उनकी सहभागिता ने न सिर्फ बच्चों का उत्साह बढ़ाया बल्कि यह भी साबित किया कि सामाजिक कार्य तभी सफल होते हैं जब उनमें मिलकर हाथ बँटाया जाए।



