


भटनेर पोस्ट पॉलिटिकल डेस्क.
जब आप किसी नेता को संसद या विधानसभा में चुनकर भेजते हैं, तो स्वाभाविक उम्मीद होती है कि वह आपके क्षेत्र, समाज और राज्य की समस्याओं को सदन में पूरी गंभीरता से उठाएगा। लेकिन हाल में जारी संसद रिपोर्ट कार्ड ने इस धारणा को झकझोर दिया है। रिपोर्ट बताती है कि राजस्थान से संसद पहुंचे कई सांसदों ने पूरे सत्र में चुप्पी साधे रखी, जबकि कुछ ने सवाल पूछकर अपनी सक्रियता का परिचय दिया। रिपोर्ट कार्ड में राजस्थान के सांसदों का प्रदर्शन सामने आया है। राज्यसभा सदस्य सोनिया गांधी और चुन्नीलाल गरासिया ने पूरे सत्र में एक भी सवाल नहीं पूछा। वहीं, सत्ता पक्ष में होने के बावजूद भारतीय जनता पार्टी के सांसदों ने कांग्रेस के मुकाबले ज्यादा सक्रियता दिखाई और सर्वाधिक सवाल पूछे।

भाजपा प्रदेशाध्यक्ष और राज्यसभा सांसद मदन राठौड़ 57 प्रश्न पूछकर पहले स्थान पर रहे। संसद के मानसून सत्र में 21 जुलाई से 21 अगस्त के बीच कुल 32 दिनों में 21 बैठकें हुईं, जिनमें राठौड़ की सक्रियता सबसे अधिक रही। उनके बाद जालौर-सिरोही के लोकसभा सांसद लुंबाराम चौधरी ने 44 प्रश्न पूछकर दूसरा स्थान हासिल किया, जबकि उदयपुर सांसद मन्नालाल रावत और पाली के सांसद पी.पी. चौधरी 41 सवालों के साथ संयुक्त रूप से तीसरे स्थान पर रहे।

बांसवाड़ा-डूंगरपुर के सांसद राजकुमार रोत ने 19 सवाल पूछे, हालांकि उनके अधिकांश प्रश्न झारखंड, बिहार और छत्तीसगढ़ से जुड़े विषयों पर केंद्रित रहे। वहीं, 40 से अधिक सवाल पूछने वाले सांसदों में लुंबाराम चौधरी, मन्नालाल रावत, पी.पी. चौधरी के साथ दामोदर अग्रवाल, नीरज डांगी, महिमा कुमारी और प्रमोद तिवारी जैसे नाम भी शामिल रहे।

नियमों के अनुसार, मंत्री और लोकसभा अध्यक्ष प्रश्न नहीं पूछ सकते। इसी कारण ओम बिड़ला, अर्जुनराम मेघवाल, भागीरथ चौधरी, भूपेंद्र यादव, गजेंद्र सिंह शेखावत और रवनीत सिंह बिट्टू इस सूची में शामिल नहीं हैं।

बीकानेर संभाग में तीन लोकसभा क्षेत्र हैं, बीकानेर, चूरू और श्रीगंगानगर। बीकानेर सांसद अर्जुनराम मेघवाल कानून मंत्री हैं, इसलिए वे सवाल नहीं पूछ सकते। वहीं चूरू सांसद राहुल कस्वां ने 23 प्रश्न पूछे और नौवें स्थान पर रहे। श्रीगंगानगर सांसद कुलदीप इंदौरान ने 19 सवाल पूछे और 13वें स्थान पर रहे।

रिपोर्ट कार्ड के अनुसार, कांग्रेस के कई सांसद मजबूत विपक्ष की भूमिका निभाने में विफल रहे। सोनिया गांधी और चुन्नीलाल गरासिया जैसे वरिष्ठ नेताओं का सदन में एक भी सवाल न पूछना पार्टी की निष्क्रियता को दर्शाता है।

वरिष्ठ पत्रकार विमल चौहान ने ‘भटनेर पोस्ट डॉट कॉम’ से कहा, ‘रिपोर्ट कार्ड के आधार पर कहा जा सकता है कि कांग्रेस के सांसद विपक्ष की भूमिका निभाने में कमजोर साबित हो रहे हैं। सत्ता में रहते हुए भी भाजपा के सांसदों ने सवाल पूछने से परहेज नहीं किया। अगर कांग्रेस का यही हाल रहा तो आने वाले समय में यह मुद्दा राजनीतिक रूप से और अधिक चर्चा में आ सकता है।’ संसद लोकतंत्र का मंदिर है, जहां जनता की आवाज अपने प्रतिनिधियों के माध्यम से उठती है। ऐसे में यह रिपोर्ट इस बात का आईना है कि कौन सांसद अपनी जिम्मेदारी निभा रहा है और कौन नहीं। जनता चाहती है कि उसके द्वारा चुना गया प्रतिनिधि सदन में क्षेत्र की समस्याओं, सिंचाई, बिजली, सड़क, रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाओं से जुड़ी आवाज बुलंद करे।




