






भटनेर पोस्ट डेस्क.
नवरात्रि का पर्व केवल आस्था और उत्साह का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह आत्मअनुशासन और शरीर-मन की शुद्धि का अवसर भी है। मां दुर्गा की भक्ति में डूबे इन नौ दिनों में व्रत रखना सिर्फ धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि सेहत को संवारने का भी जरिया है। सही खानपान अपनाकर आप पूरे दिन ऊर्जावान रह सकते हैं और कमजोरी से बच सकते हैं।

व्रत के दिनों में सिंघाड़े और कुट्टू का आटा सबसे ज्यादा उपयोग होता है। सिंघाड़े का आटा कैल्शियम और आयरन से भरपूर है, जो हड्डियों को मजबूत करता है। इससे बनने वाले चीले, पुरी या हलवे स्वाद और सेहत दोनों का संतुलन बनाए रखते हैं। वहीं कुट्टू का आटा प्रोटीन और फाइबर का अच्छा स्रोत है, जिसकी रोटी या पकौड़ी लंबे समय तक पेट को भरा रखती है और ताकत देती है।

साबूदाना व्रत का सदाबहार साथी है। यह कार्बाेहाइड्रेट से भरपूर होता है और तुरंत ऊर्जा प्रदान करता है। साबूदाने की खिचड़ी या खीर हर घर में चाव से खाई जाती है। इसके साथ ही शकरकंद विटामिन और फाइबर का खजाना है, जिसे उबालकर या भूनकर खाने से थकान दूर होती है और पेट भी देर तक भरा रहता है।

फल और मेवे भी व्रत का अहम हिस्सा हैं। सेब, केला, पपीता और अनार शरीर को विटामिन और एंटीऑक्सीडेंट्स प्रदान कर डिटॉक्स का काम करते हैं। वहीं बादाम, काजू और अखरोट जैसी ड्राई फ्रूट्स स्टैमिना बढ़ाते हैं। दूध और दही से प्रोटीन और कैल्शियम मिलता है। दही को सेंधा नमक डालकर या लस्सी बनाकर पीना पाचन के लिए फायदेमंद है।

शरीर को हाइड्रेट रखने के लिए नारियल पानी सर्वश्रेष्ठ विकल्प है। यह मिनरल्स से भरपूर होता है और पाचन तंत्र को बेहतर बनाए रखता है। इसी तरह तुलसी-अदरक की चाय में शहद मिलाकर पीने से न सिर्फ पाचन सुधरता है बल्कि मौसमी बीमारियों से भी बचाव होता है।

व्रत में सेंधा नमक का प्रयोग भोजन को हल्का और सुपाच्य बनाता है। कुल मिलाकर, नवरात्रि का यह पावन समय आध्यात्मिक साधना के साथ ही स्वास्थ्य और ऊर्जा से भरपूर जीवन जीने का भी संदेश देता है। भक्ति में डूबकर, सही खानपान अपनाकर और स्वस्थ जीवनशैली का संकल्प लेकर यह नवरात्रि आपके जीवन में नई ऊर्जा और उत्साह का संचार करे।


