





भटनेर पोस्ट ब्यूरो.
अगर आप संयम, शालीनता, विनम्रता और संजीदगी जैसे शब्दों को एक जगह रखें, तो एक व्यक्तित्व स्वतः आकार लेता है, भानूप्रकाश एटूरू। राजस्थान कैडर के 2003 बैच के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी भानूप्रकाश एटूरू की यही पहचान है। प्रशासनिक क्षेत्र में लगभग 22 वर्ष की सेवा में उन्होंने जिस गरिमा, निष्ठा और तटस्थता के साथ कार्य किया है, उसी का परिणाम है कि भारत सरकार ने उन्हें भारत निर्वाचन आयोग में उप चुनाव आयुक्त जैसे अति महत्वपूर्ण पद पर नियुक्त किया है। यह जिम्मेदारी न केवल उनकी प्रशासनिक क्षमता का सम्मान है, बल्कि देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था में उनकी निष्पक्षता और निर्भीकता पर जताया गया भरोसा भी है।
आईएएस भानूप्रकाश एटूरू इस वक्त राजस्थान सरकार के उच्च व तकनीकी शिक्षा विभाग में सचिव के रूप में कार्यरत हैं। 10 फरवरी 2025 को उन्होंने इस विभाग में कार्यभार संभाला था। इससे पूर्व भी वे राज्य के गृह, श्रम, आयुर्वेद, ऊर्जा और जनजातीय क्षेत्र जैसे महत्त्वपूर्ण विभागों में सचिव पद की जिम्मेदारियां संभाल चुके हैं। राजस्थान प्रशासन में उनकी छवि एक कर्मठ, स्पष्टवादी और नीतिपरक अधिकारी की है, जो न तो बेवजह प्रचार चाहते हैं और न ही राजनीति की पेचीदगियों में उलझते हैं। एक वरिष्ठ आईएएस अफसर के शब्दों में कहें तो ‘भानूप्रकाश एटूरू काम से काम रखते हैं। उन्हें किसी से कोई मतलब नहीं। बार-बार तबादले के बावजूद उन्होंने अपने कर्तव्य से कभी समझौता नहीं किया।’

जब नौकरी छोड़ने का मन बना लिया
राजधानी के शासन सचिवालय में चर्चा है कि भानूप्रकाश एटूरू ने आईएएस की नौकरी छोड़ने का मन बना लिया था। दरअसल, पिछली सरकार के कार्यकाल में एटूरू के लगातार स्थानांतरण होते रहे। आखिर में, उन्होंने सरकार तक मैसेज पहुंचाया कि क्या उनकी कार्यशैली, ईमानदारी या कर्तव्यनिष्ठा पर संदेह है? यदि नहीं, तो बार-बार प्रताड़ित क्यों किया जा रहा है? यह वही क्षण था जब उन्होंने नौकरी छोड़ने का भी मन बना लिया था। मगर वक्त रहते शासन को उनकी महत्ता का आभास हो गया और उनका स्थानांतरण चक्र थमा।
सफरनामा
आईएएस भानूप्रकाश एटूरू का जन्म 7 सितंबर 1976 को आंध्र प्रदेश के नेल्लोर जिले में हुआ। बी.ए. और एल.एल.बी. की शिक्षा प्राप्त करने के बाद उन्होंने भारतीय प्रशासनिक सेवा में कदम रखा। उनका प्रशासनिक सफर 30 अप्रैल 2004 को उदयपुर में सहायक कलेक्टर और कार्यपालक मजिस्ट्रेट के रूप में शुरू हुआ। प्रशिक्षण से लेकर कार्य अनुभव तक, उन्होंने हर पड़ाव को गंभीरता और परिपक्वता से निभाया। कलेक्टर के रूप में उन्होंने सबसे पहले 2008 में बांसवाड़ा जिले में जिम्मेदारी संभाली। इसके बाद प्रतापगढ़, हनुमानगढ़ और बाड़मेर जैसे जिलों में बतौर जिला कलेक्टर एवं मजिस्ट्रेट कार्य करते हुए उन्होंने जमीनी स्तर पर प्रशासन की सशक्त उपस्थिति दर्ज करवाई। इन जिलों की भौगोलिक, सामाजिक और प्रशासनिक चुनौतियाँ अलग-अलग थीं, लेकिन एटूरू ने हर बार समाधानोन्मुखी और संवेदनशील प्रशासनिक दृष्टिकोण से कार्य किया।

राज्य सरकार के प्रमुख विभागों में भूमिका
सचिव स्तर पर उन्होंने कई अहम विभागों की कमान संभाली है। इनमें गृह विभाग, श्रम एवं कौशल विकास, जनजातीय क्षेत्र विकास, आयुर्वेद, ऊर्जा (डिस्कॉम्स एवं जयपुर विद्युत वितरण निगम), और राजस्थान स्टेट माइन एंड मिनरल्स लिमिटेड जैसे विभाग शामिल हैं। खास बात यह रही कि उन्होंने केवल योजनाएं बनाने तक सीमित न रहकर उनके क्रियान्वयन और परिणामों पर भी बराबर ध्यान दिया। राजस्थान स्टेट माइन एंड मिनरल्स लिमिटेड, उदयपुर में प्रबंध निदेशक के रूप में उन्होंने करीब चार वर्षों तक कार्य किया। उनकी कार्यशैली में पारदर्शिता और जवाबदेही हमेशा प्रमुख रही है।

राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में जिम्मेदारी
2018 में एटूरू को आंध्र प्रदेश सरकार में प्रतिनियुक्ति पर भेजा गया। यह उनके बहुभाषी और बहुसांस्कृतिक प्रशासनिक अनुभव का विस्तार था। एक ऐसे अधिकारी के रूप में जिन्होंने दो भिन्न राज्यों में प्रशासनिक जिम्मेदारियां निभाई हों, उनकी सोच में व्यापकता और समन्वय की भावना स्वाभाविक रूप से परिलक्षित होती है।
अब जब उन्हें निर्वाचन आयोग में उप चुनाव आयुक्त नियुक्त किया गया है, तो यह तय है कि वह इस जिम्मेदारी को भी उसी परिपक्वता, निष्पक्षता और ईमानदारी से निभाएंगे, जो उनके व्यक्तित्व की मूल पहचान है। चुनाव आयोग में कार्य करना केवल आंकड़ों या प्रक्रिया का कार्य नहीं होता, बल्कि यह जनविश्वास, पारदर्शिता और संवैधानिक मूल्यों की रक्षा का दायित्व भी होता है। भानूप्रकाश एटूरू इस कसौटी पर पूरी तरह खरे उतरते हैं।
वरिष्ठ अधिवक्ता शंकर सोनी कहते हैं, ‘आज के समय में जब नौकरशाही को लेकर कई तरह के सवाल उठते हैं, तब भानूप्रकाश एटूरू जैसे अधिकारी उदाहरण प्रस्तुत करते हैं कि प्रशासनिक सेवा कैसे बिना किसी शोर-शराबे, बिना विवादों में आए, केवल कार्य के बल पर एक ऊंचाई को छू सकती है। वे उन विरले अधिकारियों में से हैं जिनकी निष्ठा, मौन परिश्रम और उद्देश्यपरक सोच युवा अफसरों के लिए प्रेरणा बन सकती है।’
आर्किटेक्ट ओम बिश्नोई कहते हैं, ‘भारत निर्वाचन आयोग में उनकी नियुक्ति केवल एक पद नहीं, बल्कि लोकतंत्र में विश्वास रखने वालों के लिए एक भरोसेमंद नियुक्ति है। उनके अनुभव, सोच और निष्पक्ष दृष्टिकोण से निश्चय ही निर्वाचन आयोग को मजबूती मिलेगी और देश को एक और बेदाग अफसर की सेवाएं।’



गोपाल जी आपने अटरू साहब के लिए जो विश्लेषण करके मंतव्य प्रकट किया है उससे मैं पूरी तरह सहमत क्योंकि मैंने कलेक्ट्रेट हनुमानगढ़ में कार्यालय अधीक्षक के पद पर रहते हुए उनके अधीनस्थ कार्य किया वास्तविक उनकी कार्यशाली प्रभावपूर्ण और काबिले तारीफ रही धन्यवाद