




डॉ. एमपी शर्मा.
गर्मियों का मौसम हो या सर्दियों की रूखी हवा, अचानक नाक से खून बहना कई बार चौंका देता है। यह स्थिति बच्चों में भी देखी जाती है और बड़ों में भी, परंतु इसके कारण, गंभीरता और समाधान दोनों ही वर्गों में अलग-अलग हो सकते हैं। चिकित्सकीय भाषा में इसे एपिस्टैक्सिस कहा जाता है, जो नाक के अंदर मौजूद बारीक रक्त नलिकाओं से रक्तस्राव की स्थिति होती है। यह अचानक हो सकती है, एक बार में ही थम सकती है या बार-बार दोहराई जा सकती है। सामान्यतः लोग इसे मामूली घटना मानकर नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन कई बार यह गंभीर बीमारियों का संकेत भी हो सकता है।

बच्चों में नाक से खून आने का सबसे सामान्य कारण नाक में उंगली डालना या चोट लगना होता है। साथ ही सर्दी-जुकाम, रूखा मौसम, एलर्जी, नाक में किसी बाहरी वस्तु का फंस जाना या बार-बार छींकना जैसी बातें भी इसकी वजह बनती हैं। वहीं वयस्कों में ब्लड प्रेशर का अचानक बढ़ना, नाक की हड्डी में विकृति, सिर या नाक में लगी चोट, कुछ दवाइयों का प्रभाव, अत्यधिक धूम्रपान या शराब का सेवन और कभी-कभी कैंसर जैसी गंभीर स्थिति भी इसके पीछे हो सकती है। स्थानीय स्तर पर चोट, सूखापन, एलर्जी, इंफेक्शन या गर्म हवाओं का सीधा संपर्क नाक की परत को नुकसान पहुंचा सकता है, जबकि प्रणालीगत कारणों में उच्च रक्तचाप, रक्तस्राव की बीमारियां, लीवर की समस्याएं, विटामिन के की कमी, दवाओं का साइड इफेक्ट या डेंगू जैसे वायरल रोगों में प्लेटलेट की कमी मुख्य रूप से शामिल हैं।
नाक से बार-बार खून आने की स्थिति में इसकी तह में जाकर कारणों की सही पहचान जरूरी होती है। इसके लिए ब्लड प्रेशर की जांच, सीबीसी, प्लेटलेट काउंट, ब्लीडिंग व क्लॉटिंग टाइम जैसी जांचों के साथ नाक की एंडोस्कोपी, एक्सरे या सीटी स्कैन भी कराना पड़ सकता है, खासकर तब जब नाक की बनावट में कोई विकृति हो या सामान्य उपचार से रक्तस्राव न रुक रहा हो।

तात्कालिक रूप से यदि नाक से खून आए, तो घबराने की बजाय व्यक्ति को सीधा बैठाएं, सिर थोड़ा आगे की ओर झुकाएं (पीछे नहीं), नथुनों को हल्के दबाव से पांच से दस मिनट तक बंद रखें और बर्फ या ठंडे पानी से सिकाई करें। सांस मुंह से लें और नाक में जोर न दें। यदि रक्त बहना न रुके तो रुई या नासिका पैकिंग का सहारा लें और जरूरत हो तो ईएनटी विशेषज्ञ से कैटराइजेशन कराएं। बार-बार रक्तस्राव की स्थिति में ब्लड प्रेशर नियंत्रित रखने, एलर्जी का इलाज कराने, और नाक को नम बनाए रखने जैसे दीर्घकालिक उपाय अपनाना जरूरी है। इसके लिए नारियल तेल या वैसलीन नाक के अंदर लगाना भी लाभकारी माना गया है।
सावधानी के तौर पर बच्चों को नाक में उंगली डालने से रोकें, सर्दियों में नाक को सूखने से बचाएं, धूल, धुआं और एलर्जन से बचाव करें, पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं और गर्म हवाओं के संपर्क से नाक को कपड़े से ढककर रखें। सबसे जरूरी है कि बार-बार नाक से खून आने की स्थिति में इसे सामान्य मानकर अनदेखा न करें, बल्कि डॉक्टर से परामर्श लेकर संपूर्ण जांच कराएं। कभी-कभी यह लक्षण एक बड़ी बीमारी की दस्तक भी हो सकता है, जिसे समय रहते पहचानना और उपचार करना आवश्यक है।
-लेखक सुविख्यात सीनियर सर्जन और आईएमए राजस्थान के प्रदेशाध्यक्ष हैं




