




भटनेर पोस्ट ब्यूरो.
सूर्याेपासना का पर्व छठ सोमवार को श्रद्धा, आस्था और लोक संस्कृति के रंगों में पूरी तरह घुल-मिल गया। उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही चार दिवसीय महोत्सव का समापन हो गया। जिला मुख्यालय जैसे पूर्वांचलमय हो गया। खुंजा नहर और कोहला नहर के घाटों पर हजारों व्रती परिवारों ने डूबते सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया। गूंजते लोकगीत, हाथों में सुप, सिर पर डलिया और कदम-कदम पर सजी सैकड़ों प्रसाद की टोकरी, सबने मिलकर ऐसा दृश्य रच दिया, मानो आस्था ने धरती पर उतरने का निश्चय कर लिया हो। महिलाएं लाल, पीले और केसरिया परिधानों में सजीं, माथे पर सिंदूर की लकीर और हाथों में थाल लिए नहर की सीढ़ियों से उतर रही थीं। चेहरे पर थकान नहीं, बल्कि तप और तृप्ति का उजास झलक रहा था। घाटों पर गीतों की स्वर लहरियां गूंज रहीं थी, ‘कांच ही बांस के बहंगिया, बहंगी लचकत जाए’। बच्चे, बुजुर्ग, युवा, हर कोई इस अलौकिक वातावरण में मग्न था।

हनुमानगढ़ जंक्शन की खुंजा नहर पर इस बार रौनक कुछ और थी। शहर के कोने-कोने से श्रद्धालु परिवार घाटों पर पहुंचने लगे। किसी ने प्रसाद की डलिया सिर पर उठाई थी, तो कोई घर से घाट तक दंडवत यात्रा कर रहा था। लोकभक्ति का संगीत गूंज रहा था। हवा में गुड़ और अरवा चावल की सुगंध घुली हुई थी। शहर के रास्तों से गुजरना मानो किसी सांस्कृतिक तीर्थ से गुजरने जैसा था।

दूसरी ओर, टाउन क्षेत्र स्थित कोहला नहर पर भी जनसैलाब उमड़ा रहा। घाटों की सफाई, सजावट और सुरक्षा के विशेष इंतजाम प्रशासन और स्थानीय समितियों ने किए थे। स्वयंसेवकों की टीमें लगातार घाटों पर निगरानी में थीं। कई समाजसेवी संगठनों ने प्रसाद वितरण और चिकित्सा शिविर भी लगाए। युवाओं ने दीप जलाकर घाटों पर सुंदर आकृतियां बनाईं, जो जल में प्रतिबिंबित होकर दृश्य को और मनमोहक बना रहीं थीं।

राजस्थान पूर्वांचल युवा समिति के प्रदेश उपाध्यक्ष संतोषमणि त्रिपाठी बताते हैं कि वे वर्षों से यहां छठ मना रहे हैं, और अब स्थानीय लोग भी इस पर्व का हिस्सा बनने लगे हैं। राजस्थान मैथिल ब्राह्मण परिषद के अध्यक्ष एडवोकेट देवकीनंदन चौधरी ने कहा, ‘सूर्य सबके हैं, आस्था किसी एक क्षेत्र की नहीं होती।’ सच भी यही है, छठ अब सिर्फ पूर्वांचल का नहीं रहा, यह भारतीय लोक जीवन की एकता और प्रकृति प्रेम का प्रतीक बन चुका है।

अनिल गुप्ता बताते हैं कि व्रतधारियों के लिए छठ सिर्फ एक पूजा नहीं, बल्कि आत्मसंयम और तपस्या का पर्व है। 36 घंटे का निर्जला व्रत, प्रकृति के प्रति अटूट आस्था और सूर्य से संवाद का माध्यम, यही तो छठ का सार है। महिलाएं दिनभर उपवास रखकर जब अर्घ्य देती हैं तो मानो सृष्टि की संतुलन साधना करती हैं। घाटों पर हर किसी की आंखों में वही आस्था थी, प्रकृति, सूर्य और जीवन के प्रति समर्पण की। रात में घाटों पर दीपों की झिलमिल से वातावरण और भी अलौकिक हो गया। जल में टिमटिमाते दीप जैसे आकाश के तारों से संवाद कर रहे हों। ठंडी हवा के झोंके जब उन दीपों को हल्के से हिलाते तो लगता, जैसे सृष्टि खुद इस अनुष्ठान का हिस्सा बन गई हो। लोकगीतों की मधुर ध्वनि देर रात तक गूंजती रही। कोई ‘उठह हे सूरज देव’ गा रहा था तो कोई ‘नदिया के पार डूब गइले सूरज देव’।
जंक्शन स्थित खुंजा नहर पर विधायक गणेशराज बंसल, भाजपा नेता अमित चौधरी, निवर्तमान सभापति सुमित रणवा, एसकेडी यूनिवर्सिटी के संस्थापक बाबूलाल जुनेजा, डॉ. विनोद मावंडिया, एसबीआई के एजीएम मुकेश कुमार, वरिष्ठ पत्रकार गोपाल झा, यातायात थाना प्रभारी अनिल चिन्दा, भाजपा नगर मंडल अध्यक्ष प्रकाश तंवर, पूर्व पार्षद हिमांशु महर्षि ने दीप प्रज्ज्वलन के साथ महोत्सव का आगाज किया।
विधायक गणेशराज बंसल ने कहा कि छठ महोत्सव भारतीय संस्कृति का अद्भुत पर्व है, जो सूर्य उपासना और प्रकृति के प्रति कृतज्ञता का प्रतीक है। यह पर्व हमें स्वच्छता, संयम और सामाजिक एकता का संदेश देता है।
भाजपा नेता अमित चौधरी ने कहा कि पूर्वांचलवासी जिस तरह वर्षों से इस परंपरा को जीवित रखे हुए हैं, वह सराहनीय है। छठ पर्व सभी को एकता और भाईचारे की भावना से जोड़ता है।
आयोजन समिति सदस्य एवं बाल कल्याण समिति सदस्य विजय सिंह चौहान ने बताया कि यह आयोजन लगातार 35 वर्षों से पूर्वांचलवासी समाज द्वारा हनुमानगढ़ में बड़े उत्साह के साथ किया जा रहा है। इस आयोजन में सर्व समाज का विशेष सहयोग रहता है, जिससे छठ महोत्सव लोक आस्था का एक प्रमुख पर्व बन गया है।

टाउन में कोहला नहर पर श्री मिथिला सेवा समिति के तत्वावधान में महोत्सव का आयोजन हुआ। पूर्व मंत्री डॉ रामप्रताप, विधायक गणेशराज बंसल, भाजपा नेता अमन संधू, सुमित रिणवा, अमित माहेश्वरी, सचिन कौशिक, बहादुर सिंह चौहान, एन के सिन्हा, जयदेव भिड़ासरा, भूपेन्द्र मेहरा, प्रदीव ऐरी, मुकेश भार्गव, शुभेन्द्र सिंह शेरी, नितिन बंसल, प्रतिभा झा, पूजा प्रियदर्शिनी आदि ने शिरकत की। अतिथियों ने श्रद्धालुओं से संवाद करते हुए कहा कि छठ पूजा न केवल पूर्वांचल और बिहार की पहचान है, बल्कि आज यह पूरे देश में लोक आस्था का पर्व बन चुका है, जो सूर्य उपासना और स्वच्छता, संयम तथा पारिवारिक एकता का प्रतीक है। शाम ढलने के साथ ही घाटों पर श्रद्धालु जल में खड़े होकर सूर्य भगवान को अर्घ्य देते नजर आए। समिति अध्यक्ष बलदेव दास ने बताया कि इस त्योहार पर महिलाएं और पुरुष व्रती चार दिनों तक कठोर नियमों का पालन करते हुए उपवास रखते हैं तथा जल में खड़े होकर अस्त और उदयमान सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं। मान्यता है कि इस दिन की गई मनोकामनाएं अवश्य पूर्ण होती हैं। कार्यक्रम में समिति अध्यक्ष बलदेव दास, उपाध्यक्ष अशोक गौतम, सचिव प्रमोद यादव, कोषाध्यक्ष दिलखुश मंडल, सह सचिव श्याम दास, सह कोषाध्यक्ष संदीप महंतो,एड.रिन्कू मिश्रा, प्रवक्ता शिवचंद यादव, सदस्य कमलेश यादव, बहरू ठाकुर, सोनू यादव, अमरजीत झा, मोहन ठठेई, अमृत विशाल, पप्पू यादव, अजय यादव, हरिसिंह, विकास रगीला, योगेश किशोर, विष्णुकांत राय सहित कई श्रद्धालु मौजूद रहे।






