


भटनेर पोस्ट ब्यूरो.
हनुमानगढ़ टाउन स्थित नगरपरिषद अस्पताल में जुलाई के आखिरी दिन बड़ा खुलासा हुआ। मरीजों को एक्सपायरी दवाइयां बांटे जाने के आरोपों को लेकर अस्पताल परिसर में भारी हंगामा हुआ। इस गंभीर लापरवाही के केंद्र में हैं डॉ. मनीष सिंघल, जो पहले भी विवादों में घिरे रहे हैं और अब एक बार फिर सुर्खियों में हैं। मामला उस वक्त सामने आया जब कुछ मरीजों व उनके परिजनों ने अस्पताल से मिली दवाओं की एक्सपायरी डेट जांची। दवाएं या तो छह महीने पहले ही एक्सपायर हो चुकी थीं या फिर उन पर एक्सपायरी डेट को मार्कर से छिपाया गया था। जैसे ही यह बात फैली, मरीजों और उनके परिजनों ने अस्पताल में हंगामा शुरू कर दिया। स्थिति को देखते हुए भाजपा नेता अमित चौधरी, जिला महामंत्री प्रदीप ऐरी व भाजपा नगर मंडल अध्यक्ष नितिन बंसल अन्य कार्यकर्ताओं के साथ मौके पर पहुंचे और पूरे मामले की तह तक जाने का प्रयास किया।
जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ी, चौकाने वाली सच्चाई सामने आई। डॉक्टर के चेंबर, साथ लगे कमरे और अस्पताल के अन्य हिस्सों में भारी मात्रा में एक्सपायरी दवाइयां मिलीं। कुछ पर स्पष्ट तौर पर एक्सपायरी डेट अंकित थी, तो कई दवाइयों पर रैपर हटा दिए गए थे या तारीख को छुपा दिया गया था। मौके पर ही सीएमएचओ डॉ. नवनीत शर्मा और ड्रग इंस्पेक्टर की टीम ने पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया और जांच शुरू की।

डॉ. मनीष सिंघल पहले भी टिब्बी और सूरेवाला में लापरवाही व अनियमितताओं को लेकर चर्चा में रह चुके हैं। विवादों के चलते उन्हें सरकारी नौकरी से इस्तीफा देना पड़ा था। अब नगरपरिषद अस्पताल में वे पुनः मनमर्जी पर उतर आए थे। आरोप यह भी है कि कुछ माह पूर्व उन्होंने अनियमितताओं में सहयोग न करने पर दो स्टाफ सदस्यों को निलंबित करवा दिया था। इसके बाद वे अस्पताल में बेरोकटोक अपनी इच्छानुसार काम कर रहे थे।
भ्रष्टाचार की बू और साजिश का संदेह
पूर्व पार्षद प्रदीप ऐरी ने कहा कि दवाइयों के हर परिवहन पर बाउचर बनता है। अगर किसी फर्म ने एक्सपायरी दवा भेजी है, तो उस पर कार्रवाई होनी चाहिए। लेकिन उससे भी बड़ी चिंता का विषय यह है कि अस्पताल के किसी स्टाफ ने उन्हें स्वीकार किया और मरीजों को वितरित भी किया। यह न केवल लापरवाही है, बल्कि मानवता के खिलाफ अपराध है। ऐरी ने आशंका जताई कि इतनी बड़ी मात्रा में एक्सपायरी दवाइयां जानबूझकर खपाने की कोशिश की गई है। उन्होंने प्रशासन से मांग की कि मामले की निष्पक्ष जांच हो और दोषियों को बख्शा न जाए।

क्यों रखा जाता था गैर-ज़रूरी दवाओं का स्टॉक?
सूत्रों के मुताबिक, डॉ. मनीष सिंघल लंबे समय से राजकोष को चपत लगाने में लगे हुए थे। वह नगरपरिषद से भारी मात्रा में ऐसी दवाइयां मंगवाते थे, जिनकी जरूरत अस्पताल में नहीं होती थी, फिर ये दवाएं कथित तौर पर निजी अस्पतालों तक पहुंचाई जाती थीं और डॉक्टर को इसके बदले में आर्थिक लाभ मिलता था।
सीएमएचओ डॉ. नवनीत शर्मा ने कहा कि जांच के दौरान सामान्य बीमारियों की इलाज हेतु दी जाने वाली कई दवाइयां एक्सपायर पाई गईं। फिलहाल सभी दवाओं के बिल और डोनेशन से संबंधित रिकॉर्ड खंगाले जा रहे हैं। स्टाफ से भी जवाब-तलब किया गया है। कुछ दवाइयों की एक्सपायरी डेट पिछले साल की पाई गई है। उन्होंने कहा कि लैब रिपोर्ट और दवाइयों की गुणवत्ता की जांच के लिए आवश्यक रिकॉर्ड मंगवाया गया है। ड्रग इंस्पेक्टर की टीम पूरे मामले की गहराई से जांच कर रही है।

आगे क्या?
नागरिकों के दबाव में पुलिस आरोपित डॉक्टर को थाना ले गई है। उनसे पूछताछ की जा रही है। नागरिक उनकी गिरफ्तारी की मांग रहे हैं। वहीं, अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि इस लापरवाही की जिम्मेदारी कौन लेगा? क्या यह एक व्यक्ति की गलती है या पूरी व्यवस्था की विफलता? अगर यह मामला ठंडे बस्ते में गया तो भविष्य में और भी भयावह परिणाम हो सकते हैं। भाजपा नेताओं ने चेतावनी दी है कि यदि दोषियों पर सख्त कार्रवाई नहीं हुई तो वे आंदोलन की राह पकड़ सकते हैं।

