





भटनेर पोस्ट ब्यूरो.
राजस्थान में कोचिंग संस्थानों की मनमानी पर लगाम कसने के लिए सरकार ने ‘राजस्थान कोचिंग इंस्टीट्यूट कंट्रोल्ड एंड रेगुलेशन बिल 2025’ में अहम संशोधन कर दिए हैं। लंबे समय से चली आ रही शिकायतों, छात्रों की आत्महत्याओं और मुनाफाखोरी के आरोपों के बाद यह बिल सख्ती और राहत, दोनों का संतुलन लेकर आया है। सरकार ने जुर्माने की राशि घटाई जरूर है, लेकिन नियमों को और अधिक कठोर बना दिया है।

पहले प्रस्तावित बिल में पहली बार नियम तोड़ने पर 2 लाख और दूसरी बार 5 लाख रुपये का जुर्माना तय था। अब संशोधन के बाद इसे घटाकर क्रमशः 50 हजार और 2 लाख रुपये कर दिया गया है। लेकिन राहत की इस आड़ में नकेल और कसी गई है। अगर कोई संस्थान बार-बार उल्लंघन करता है तो उसका रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया जाएगा और बकाया वसूली के लिए उसकी संपत्ति तक जब्त की जा सकेगी।

नए प्रावधानों के तहत 100 या उससे अधिक छात्रों वाले कोचिंग सेंटर ही इस कानून के दायरे में आएंगे। छोटे संस्थानों यानी 100 से कम छात्रों वाले को रजिस्ट्रेशन और अन्य औपचारिकताओं से छूट दी गई है। लेकिन राहत के साथ एक पेंच भी है, हर ब्रांच को अलग संस्थान माना जाएगा और हर तीन साल में रजिस्ट्रेशन नवीनीकरण अनिवार्य होगा।

यह बिल छात्रों की जेब और मानसिक बोझ दोनों हल्के करने का दावा करता है। अब कोई भी कोचिंग सेंटर एकमुश्त फीस वसूल नहीं करेगा। फीस चार किस्तों में जमा करनी होगी। अगर छात्र बीच में पढ़ाई छोड़ दे, तो दस दिन के भीतर बचे हुए सत्र की फीस और हॉस्टल की राशि लौटाना अनिवार्य होगा।

इसके साथ ही नोट्स और स्टडी मटेरियल मुफ्त में उपलब्ध कराना होगा। इस प्रावधान से छात्रों और अभिभावकों को बड़ी राहत मिलेगी, क्योंकि अब तक महंगे पैकेज और जबरन वसूली सामान्य बात बन चुकी थी।

बिल में राजस्थान कोचिंग सेंटर प्राधिकरण के गठन का प्रावधान है। जिला स्तर पर कलेक्टर की अध्यक्षता में समितियां बनाई जाएंगी, जिन्हें सिविल कोर्ट जैसी शक्तियां दी जाएंगी। यानी अब शिकायतों पर सीधे और सख्त कार्रवाई संभव होगी।
हर जिले में 24 घंटे कॉल सेंटर और शिकायत निवारण समिति भी बनेगी, जिससे छात्रों और अभिभावकों की आवाज सीधे प्रशासन तक पहुंचेगी।

सरकार ने एक और बड़ा कदम उठाया है। किसी भी कोचिंग संस्थान में अब सरकारी स्कूल या कॉलेज के शिक्षक अध्यापन नहीं कर पाएंगे। यह प्रावधान इसलिए अहम है क्योंकि अक्सर सरकारी शिक्षकों पर आरोप लगता रहा है कि वे अपनी जिम्मेदारियों की अनदेखी कर निजी कोचिंग में पढ़ाकर अतिरिक्त कमाई करते हैं।

छात्रों की सुरक्षा और मानसिक स्वास्थ्य को लेकर भी सरकार सतर्क हुई है। अब कोचिंग संस्थानों को नियमित काउंसलिंग सेशन आयोजित करने होंगे। हॉस्टल में सीसीटीवी कैमरे और अन्य सुरक्षा उपाय अनिवार्य होंगे। हाल के वर्षों में आत्महत्याओं और असुरक्षा की घटनाओं को देखते हुए यह प्रावधान छात्रों और अभिभावकों को भरोसा देने वाला कदम है।

राजस्थान सरकार मानसून सत्र में इस बिल को विधानसभा में पेश करने जा रही है। उम्मीद है कि 3 से 4 सितंबर के बीच यह विधेयक पारित हो जाएगा। एक तरफ कोचिंग संस्थानों की मनमानी पर लगाम कसने की कोशिश है, वहीं छात्रों को आर्थिक और मानसिक दबाव से राहत दिलाने का दावा भी है। वरिष्ठ पत्रकार सुशांत पारीक कहते हैं कि ’कोचिंग हब’ बन चुके राजस्थान में यह बिल एक ऐतिहासिक कदम साबित हो सकता है। अगर इसे ईमानदारी से लागू किया गया तो न केवल छात्रों का शोषण रुकेगा, बल्कि शिक्षा की गुणवत्ता और सुरक्षा भी सुनिश्चित होगी। सरकार ने स्पष्ट संदेश दिया है, मुनाफाखोरी के लिए शिक्षा का शोषण अब बर्दाश्त नहीं होगा।


