


भटनेर पोस्ट ब्यूरो.
हनुमानगढ़ में कांग्रेस ने नया दांव खेला है। युवा नेता सुरेंद्र मारवाल को उद्योग एवं व्यापार प्रकोष्ठ का जिलाध्यक्ष नियुक्त किया गया है। इसे सामाजिक समीकरणों को साधने की कोशिश बताई जा रही है। मूल ओबीसी वर्ग की नाराज़गी और दूरी कई महीनों से कांग्रेस की चिंता बनी हुई थी। अब पार्टी ने सुरेंद्र कुमार मारवाल को आगे कर इस वर्ग को फिर से अपने पाले में लाने का संकेत दिया है।

राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी उद्योग एवं व्यापार प्रकोष्ठ द्वारा किए गए इस फेरबदल का लक्ष्य दोहरा है, एक तरफ संगठनात्मक मजबूती, और दूसरी तरफ सामाजिक गठजोड़ को फिर से चमकाना। प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और प्रकोष्ठ के प्रदेशाध्यक्ष मुकुल गोयल ने मारवाल को जिलाध्यक्ष बनाकर न सिर्फ हनुमानगढ़ में संगठन को सुदृढ़ करने का प्रयास किया है, बल्कि यह संदेश भी दिया है कि कांग्रेस व्यापार और उद्योग जगत के साथ-साथ अन्य पिछड़ा वर्ग की राजनीतिक आवाज़ को भी मंच देना चाहती है।

मारवाल की पृष्ठभूमि और राजनीतिक सक्रियता कांग्रेस के लिए साधन मात्र नहीं, बल्कि रणनीति का अहम हिस्सा बनते दिख रही है। वे मूल ओबीसी वर्ग के मुद्दों को लेकर लगातार संघर्षरत रहे हैं। पार्टी को इस समय ऐसे चेहरे की जरूरत थी जो न सिर्फ सामाजिक रूप से स्वीकार्य हो, बल्कि संगठन में ऊर्जा भी भर सके। यह कदम कांग्रेस के भीतर चल रहे व्यापक पुनर्गठन का एक हिस्सा है, जो 2028 के विधानसभा चुनाव से पहले जमीन तैयार करने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

नियुक्ति आदेश मिलते ही मारवाल ने शीर्ष नेतृत्व के प्रति आभार जताया, हालांकि राजनीति में धन्यवाद केवल औपचारिकता नहीं होते, वे एक संकेत होते हैं कि व्यक्ति अब जिम्मेदारी के बोझ को स्वीकार कर चुका है। मारवाल ने साफ कहा कि वे इस दायित्व को निष्ठा और समर्पण भाव से निभाएंगे।

सुरेंद्र मारवाल ने उद्योग एवं व्यापार प्रकोष्ठ के उद्देश्य को भी स्पष्ट किया, व्यापारियों की समस्याओं का समाधान, व्यापारिक माहौल को बेहतर बनाना और युवाओं को संगठन से जोड़ना। यह बातें साधारण लग सकती हैं, लेकिन राजनीति में व्यापारिक समुदाय को साथ लाना एक बड़ी चुनौती होती है। कांग्रेस लंबे समय से यह मुद्दा झेल रही है कि व्यापारी वर्ग भाजपा से जुड़ा माना जाता है।

मारवाल ने कहा कि वे जिले के प्रत्येक ब्लॉक और नगर में सक्रिय टीम बनाकर व्यापारियों और छोटे उद्यमियों की समस्याओं को प्रमुखता से उठाएंगे। यह ‘सक्रियता’ शब्द कांग्रेस के पुनर्जीवन की कुंजी है। पिछले कुछ वर्षों में संगठनात्मक कमजोरी ने कांग्रेस को चुनावी मोर्चे पर नुकसान पहुंचाया है। पार्टी समझ चुकी है कि बिना मजबूत जमीनी ढांचे के सिर्फ बड़े नेताओं के भाषणों से चुनाव नहीं जीते जाते।

नियुक्ति के बाद स्थानीय नेताओं और व्यापारिक प्रतिनिधियों की ओर से मिले समर्थन ने भी कांग्रेस की रणनीति को मजबूत आधार दिया है। पार्टी इस तरह की नियुक्तियों के माध्यम से यह भी परखती है कि स्थानीय इकाइयों में किस चेहरे की कितनी पकड़ है। मारवाल को मिली प्रतिक्रियाओं से इतना तो साफ है कि हनुमानगढ़ में वे एक स्थापित और स्वीकृत चेहरा हैं।
कुल मिलाकर, कांग्रेस का यह कदम केवल संगठनात्मक विस्तार नहीं, आने वाले राजनीतिक समय की तैयारी है। राजस्थान की राजनीति जातीय समीकरणों से दिलचस्प ढंग से संचालित होती है और मूल ओबीसी वर्ग उस समीकरण में निर्णायक भूमिका निभाता है। प्रदेश में भाजपा सरकार है, लेकिन सामाजिक आधार में सेंध लगाने का मौका किसी भी विपक्षी पार्टी के लिए सोने के समान होता है। मारवाल ने प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, प्रदेश महासचिव ललित तुलवाल, उद्योग एवं व्यापार प्रकोष्ठ के प्रदेशाध्यक्ष मुकुल गोयल, सांसद कुलदीप इंदोरा, विधायक डूगरराम गेदर तथा प्रदेश सचिव सुरेंद्र कुमावत लाम्बा का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि उन्हें जो जिम्मेदारी सौंपी गई है, उसे वे पूर्ण निष्ठा और समर्पण भाव से निभाएंगे।


