



भटनेर पोस्ट पॉलिटिकल डेस्क.
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की सरकार अपने दो वर्ष पूरे करने जा रही है और इसी मौके पर सत्ता, संगठन और प्रशासन यानी तीनों मोर्चों पर बड़े बदलाव की सुगबुगाहट तेज हो गई है। भाजपा आलाकमान चाहता है कि इस अवसर को एक नए संदेश के साथ जनता के सामने पेश किया जाए, ‘नई ऊर्जा, नई टीम और नया शासन मॉडल।’ यही कारण है कि अंता विधानसभा उपचुनाव के नतीजों के बाद राज्य की राजनीति में व्यापक फेरबदल लगभग तय माना जा रहा है।

बदलाव की शुरुआत प्रशासनिक गलियारों से हो चुकी है। मुख्य सचिव सुधांशु पंत के दिल्ली तबादले ने नौकरशाही में हलचल मचा दी है। पंत को केंद्र सरकार के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग में सचिव नियुक्त किया गया है। अब राज्य सरकार को नए मुख्य सचिव की तलाश है। सूत्र बताते हैं कि मुख्यमंत्री कार्यालय और कार्मिक विभाग के बीच वरिष्ठता, अनुभव और मुख्यमंत्री के साथ तालमेल को ध्यान में रखकर कुछ नामों की शॉर्टलिस्ट तैयार की जा चुकी है। यह नियुक्ति न केवल प्रशासनिक दिशा तय करेगी, बल्कि मुख्यमंत्री की प्राथमिकताओं और शासन शैली का भी संकेत देगी।

इसी बीच, राजनीतिक गलियारों में मंत्रिमंडल विस्तार और फेरबदल की चर्चा ने भी जोर पकड़ लिया है। भाजपा संगठन के सूत्रों के अनुसार, मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा अब अपनी टीम को ‘भविष्य की चुनौतियों के अनुकूल’ बनाना चाहते हैं। पार्टी मानती है कि अगले वर्ष होने वाले पंचायत और निकाय चुनावों से पहले जनता के बीच नई ऊर्जा और आत्मविश्वास का संदेश देना आवश्यक है। इसके लिए संभव है कि सरकार ‘गुजरात मॉडल’ की राह पर चले, जहां मंत्रियों से सामूहिक इस्तीफे लेकर सीमित, पर चुनी हुई नई टीम बनाई जाती है।

इस मॉडल का मकसद केवल चेहरों की अदला-बदली नहीं, बल्कि राजनीतिक संदेश देना होता है कि सरकार नतीजा देने वाली कार्यसंस्कृति अपनाने जा रही है। यदि यह फॉर्मूला राजस्थान में लागू होता है, तो भजनलाल शर्मा कुछ चुनिंदा, भरोसेमंद और परिणाम देने वाले चेहरों को ही मंत्रिमंडल में स्थान दे सकते हैं। साथ ही सामाजिक और क्षेत्रीय संतुलन को भी नए सिरे से साधने की कोशिश होगी।

भाजपा नेतृत्व का इरादा स्पष्ट है, राजस्थान में प्रशासनिक स्थिरता से आगे बढ़कर अब प्रदर्शन आधारित शासन की छवि स्थापित करनी है। पार्टी रणनीतिक मोड में है और यह बदलाव उसी दिशा में एक संगठित कदम माना जा रहा है।

राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि आने वाले हफ्तों में भाजपा न केवल नौकरशाही में नई दिशा तय करेगी, बल्कि राजनीतिक स्तर पर भी नए समीकरण गढ़ेगी। इसका असर राज्य के भविष्य के सत्ता-संतुलन पर दूरगामी होगा। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की कार्यशैली अब तक अपेक्षाकृत संयमित और प्रशासनकेंद्रित रही है, लेकिन अब संकेत साफ हैं कि वे अपने तीसरे वर्ष में एक सक्रिय, आक्रामक और परिणामोन्मुख शासन शैली के साथ आगे बढ़ना चाहते हैं।

बीजेपी के भीतर भी इस संभावित फेरबदल को लेकर सरगर्मी है। कुछ मंत्री और विधायकों में असमंजस तो है, लेकिन संगठन का मानना है कि यह कदम आवश्यक है ताकि सरकार की छवि और प्रशासनिक दक्षता दोनों में नयापन लाया जा सके। पार्टी उच्च नेतृत्व इस पूरी प्रक्रिया को जनता के बीच एक ‘रचनात्मक बदलाव’ के रूप में प्रस्तुत करना चाहता है, जहां चेहरों से अधिक फोकस काम और नतीजों पर होगा।

अंता उपचुनाव के नतीजे 14 नवंबर को आने हैं और माना जा रहा है कि उसी के बाद मुख्यमंत्री बदलावों की रूपरेखा पर अंतिम मुहर लगाएंगे। यह समय भी प्रतीकात्मक है, क्योंकि दिसंबर में भजनलाल शर्मा सरकार अपने तीसरे वर्ष में प्रवेश करेगी। भाजपा आलाकमान चाहता है कि यह नया चरण केवल प्रशासनिक नहीं, बल्कि राजनीतिक रूप से भी संदेशवाहक बने कि राजस्थान अब ‘स्थिरता से आगे, प्रदर्शन की ओर’ बढ़ रहा है।

यानी आने वाले हफ्तों में राजस्थान की राजनीति एक दिलचस्प मोड़ लेने जा रही है। नौकरशाही में नई दिशा, मंत्रिमंडल में नई टीम और पार्टी में नई रणनीति तीनों मिलकर एक ऐसा राजनीतिक संतुलन रचने वाले हैं जो भाजपा की आगामी चुनावी तैयारियों की बुनियाद तय करेगा। अगर यह ‘गुजरात मॉडल’ सफल रहा, तो राजस्थान भाजपा न केवल संगठनात्मक रूप से मजबूत होगी बल्कि शासन के नए प्रतिमान भी स्थापित करेगी, जहां सत्ता का अर्थ केवल पद नहीं, बल्कि प्रदर्शन होगा।


