





भटनेर पोस्ट ब्यूरो.
दीपोत्सव के मौके पर पूर्व मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता डॉ. रामप्रताप के हनुमानगढ़ जंक्शन स्थित आवास पर आयोजित पारंपरिक ‘रामा-श्यामा’ कार्यक्रम सियासी चर्चा का केंद्र बन गया। यह आयोजन भले ही धार्मिक-सामाजिक परंपरा का प्रतीक था, लेकिन इसके जरिए भाजपा ने संगठनात्मक एकता और आने वाले चुनावों को लेकर महत्वपूर्ण संकेत दे दिए।

कार्यक्रम में भाजपा नेता अमित चौधरी, हरीश सहू, जिला उपाध्यक्ष ओम सोनी व जिला मंत्री प्रदीप ऐरी ने आगंतुकों की अगवानी की। इस मौके पर बड़ी संख्या में पार्टी कार्यकर्ता, पदाधिकारी और समर्थक मौजूद रहे। पूरे दिन यहां राजनीतिक चर्चाओं का माहौल बना रहा। आगंतुकों का स्वागत करते हुए नेताओं ने उन्हें दीपोत्सव की शुभकामनाएं दीं। डॉ. रामप्रताप का आशीर्वाद लेने के बाद लोग भाजपा नेता अमित चौधरी के साथ फोटो खिंचवाने के लिए लंबी कतार में दिखाई दिए। समर्थकों का उत्साह इस बात का संकेत दे रहा था कि भाजपा अब नगरपरिषद और पंचायतीराज चुनावों की तैयारी के मोड में आ चुकी है।
डॉ. रामप्रताप के आवास के बाहर लगाए गए टेंट में खाने-पीने की समुचित व्यवस्था की गई थी। लोग आते, शुभकामनाएं देते, सियासी हालचाल पूछते और भोजन का आनंद लेते हुए चुनावी समीकरणों पर चर्चा करते। पूरे परिसर में मेले जैसा माहौल था। कई कार्यकर्ता ऐसे भी देखे गए जो आगामी चुनावों में दावेदारी के लिए खुद को प्रोजेक्ट कर रहे थे और वरिष्ठ नेताओं से आशीर्वाद प्राप्त करने की कोशिश में थे।

इस दौरान जिला मंत्री प्रदीप ऐरी ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि यह आयोजन केवल दीपोत्सव का नहीं, बल्कि संगठनात्मक संवाद का भी माध्यम है। उन्होंने स्पष्ट किया, ‘हम राजनीतिक कार्यकर्ता हैं। जब साथ बैठेंगे तो राजनीतिक चर्चा होना स्वाभाविक है। हमने आगामी चुनावों की तैयारियों पर फीडबैक लिया और यह तय किया कि भाजपा पूरे उत्साह के साथ मैदान में उतरेगी और जीत दर्ज करेगी।’

जब ऐरी से यह पूछा गया कि नगरपरिषद के अधिकांश निवर्तमान पार्षद तो विधायक गणेशराज बंसल के खेमे में चले गए हैं, तो क्या पार्टी उनके खिलाफ सख्त रुख अपनाएगी? इस पर उनका जवाब था, ‘राजनीति में सक्रियता जरूरी है। जो कार्यकर्ता संगठन में सक्रिय रहेंगे, उन्हें ही प्राथमिकता मिलेगी।’ हालांकि उन्होंने कुछ स्पष्ट नहीं कहा, लेकिन उनके बयान ने कई सियासी अर्थ खोल दिए।

भाजपा सूत्रों के अनुसार, पार्टी अब बंसल का समर्थन कर रहे पार्षदों को लेकर नरम रुख अपनाने पर विचार कर रही है। संगठन फिलहाल कार्रवाई करने के बजाय उन्हें ‘एक मौका’ देने के पक्ष में है। बशर्ते वे पार्टी के प्रति आस्था प्रकट करें और डॉ. रामप्रताप व अमित चौधरी के नेतृत्व को स्वीकार करें। सूत्रों का कहना है कि आने वाले नगरपरिषद चुनावों में पार्टी विभाजन की छवि से बचना चाहती है। इसलिए सुलह-सफाई की कोशिशों के संकेत ‘रामा-श्यामा’ कार्यक्रम के मंच से ही दे दिए गए।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह आयोजन भाजपा की ‘डैमेज कंट्रोल स्ट्रैटेजी’ का हिस्सा है। पार्टी नेतृत्व नहीं चाहता कि स्थानीय स्तर पर आपसी खींचतान चुनावी परिणामों को प्रभावित करे। यही कारण है कि कार्यक्रम में एकता और सामूहिक नेतृत्व की भावना को प्रमुखता से रेखांकित किया गया।

भाजपा में यह चर्चा भी जोर पकड़ रही है कि नगरपरिषद और पंचायत चुनावों के लिए प्रत्याशी चयन में अब कार्यकर्ताओं की सक्रियता, निष्ठा और संगठन के प्रति प्रतिबद्धता को ही आधार माना जाएगा। जो लोग बंसल के साथ गए थे, अगर वे दोबारा संगठन में लौट आते हैं और सक्रिय भूमिका निभाते हैं, तो उन्हें माफ किया जा सकता है।
कुल मिलाकर, ‘रामा-श्यामा’ कार्यक्रम सिर्फ दीपोत्सव का आयोजन नहीं, बल्कि भाजपा की आगामी चुनावी रणनीति का संकेत बन गया। पार्टी ने यह संदेश दे दिया है कि वह बिखराव नहीं, बल्कि एकजुटता के साथ आगे बढ़ना चाहती है। अब देखना यह होगा कि बंसल खेमे में गए पार्षद संगठन की इस ‘एक अवसर’ वाली पेशकश को कैसे स्वीकारते हैं?
