






भटनेर पोस्ट ब्यूरो.
हनुमानगढ़ ज़िले में बारिश से बिगड़े हालात व घग्घर क्षेत्र का जायज़ा लेने पहुंचे जिला प्रभारी एवं खाद्य एवं आपूर्ति राज्य मंत्री सुमित गोदारा का दौरा शनिवार को अचानक सियासी और प्रशासनिक खींचतान का मंच बन गया। हालात का निरीक्षण करने पहुंचे मंत्री के निशाने पर प्रशासन रहा, जबकि कांग्रेस और बीजेपी के स्थानीय नेता इस बार एक सुर में नजर आए। निरीक्षण के दौरान प्रदेश कांग्रेस कमेटी सचिव और जिला परिषद डायरेक्टर मनीष मक्कासर ने मंत्री से मुखातिब होते हुए सीधे सवाल दागे, ‘साब, आप दो दिन लेट आए। यहां बारिश के पानी की निकासी तक नहीं हो पा रही। हालात बदतर हैं, लोग त्राहि-त्राहि कर रहे हैं। प्रशासन तो खुद तीन-तीन फुट पानी में डूबा हुआ था।’

मक्कासर की यह तल्खी मंत्री तक पहुंची ही थी कि पास खड़े भाजपा जिलाध्यक्ष प्रमोद डेलू ने भी सहमति में सिर हिला दिया। यह नजारा अप्रत्याशित था। दोनों दलों के नेता अतिवृष्टि के बाद पानी निकासी समस्या पर प्रशासन की नाकामी को लेकर एकमत दिखे।

जैसे ही विपक्ष और सत्तापक्ष की यह साझा सहमति सामने आई, मंत्री सुमित गोदारा अचानक भड़क उठे। उन्होंने मौके पर मौजूद ज़िला कलक्टर डॉ. खुशाल यादव की ओर देखा और तल्ख लहजे में कहा, ‘पानी क्यों नहीं निकाला गया? पानी निकालना किसका काम है ?’

स्थिति और न बिगड़े, इससे पहले मनीष मक्कासर ने बीच में दोबारा कुछ बोलना चाहा। लेकिन मंत्री ने उन्हें दो टूक शब्दों में रोकते हुए कहा, ‘इस मसले पर सीधे मुख्यमंत्री साहब से बात करेंगे।’

मंत्री की इस तीखी प्रतिक्रिया से न केवल कांग्रेस के नेता बल्कि भाजपा कार्यकर्ता भी चौंक गए। खुद भाजपा जिलाध्यक्ष, जो अभी कुछ देर पहले सहमति जता रहे थे, मंत्री के इस रुख से सकते में दिखे। प्रशासन भी रक्षात्मक मुद्रा में आ गया। कलक्टर ने सफाई देने की कोशिश की, लेकिन मंत्री का आक्रोश भारी पड़ता नजर आया।

हनुमानगढ़ और आसपास के इलाकों में अतिवृष्टि ने जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है। खेतों में पानी भर जाने से किसानों की फसल चौपट हो रही है। मक्कासर जैसे ग्रामीण क्षेत्रों में तो घरों में पानी घुस गया है, जिससे लोग सुरक्षित ठिकानों की तलाश में भटक रहे हैं। ऐसे में नेताओं का देर से पहुंचना और फिर आपसी खींचतान करना आमजन में निराशा बढ़ा रहा है।

विशेषज्ञों का मानना है कि घग्घर नदी के बहाव क्षेत्र में हर बार बारिश के मौसम में यही हालात बनते हैं, मगर न तो स्थायी समाधान की दिशा में ठोस कदम उठाए गए और न ही निकासी व्यवस्था में सुधार हुआ। यही कारण है कि आज कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दल प्रशासन को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं। लेकिन असली सवाल यही है, क्या यह तल्खी केवल कैमरे के सामने का प्रदर्शन है या सचमुच इस संकट का दीर्घकालिक समाधान निकलेगा? जनता की अपेक्षा है कि नेता दलगत राजनीति से ऊपर उठकर राहत और पुनर्वास के ठोस कदम उठाएं।


