





भटनेर पोस्ट ब्यूरो.
राजस्थान पुलिस की साइबर क्राइम शाखा ने डिजिटल भुगतान के बढ़ते चलन के बीच एक नई किस्म की यूपीआई ठगी को लेकर आमजन को सचेत किया है। विभाग की ताज़ा एडवाइजरी के अनुसार, साइबर अपराधी अब धोखाधड़ी का एक ऐसा तरीका अपना रहे हैं, जिसमें वे पहले खुद पीड़ित को मामूली रकम भेजते हैं और फिर खुद को ‘गलती से ट्रांसफर हो गया’ बताकर फोन करते हैं। इस दौरान वे बड़ी चालाकी से कहते हैं, ‘भाईसाहब, गलती से आपके अकाउंट में पैसे भेज दिए हैं, कृपया वापस कर दीजिए।’ कई लोग बिना किसी जांच के, सहानुभूति या जल्दबाज़ी में राशि लौटा देते हैं, लेकिन यही उनकी सबसे बड़ी भूल साबित होती है। साइबर ठग इस तरीके को दो या तीन बार दोहरा सकते हैं, जिससे पीड़ित को हजारों का नुकसान हो सकता है।

फर्जी मैसेज, असली जैसा दिखावा
चौंकाने वाली बात यह है कि ठगों द्वारा भेजे जाने वाले मैसेज हूबहू असली यूपीआई मैसेज जैसे ही दिखते हैं। इससे आम यूज़र्स भ्रमित हो जाते हैं और यह मान लेते हैं कि उनके खाते में वास्तव में पैसा आया है।
क्या करें, क्या न करें?
साइबर शाखा ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि अगर किसी अनजान नंबर से यूपीआई पेमेंट का संदेश मिले तोकृतुरंत सतर्क हो जाएं। बिना बैंक स्टेटमेंट देखे एक भी पैसा वापस न भेजें। खुद के बैंक या यूपीआई ऐप में लॉगिन कर चेक करें कि कोई राशि आई भी है या नहीं। यदि आप ठगी का शिकार हो जाते हैं तो तुरंत राष्ट्रीय साइबर क्राइम हेल्पलाइन 1930 पर कॉल करें और अपनी शिकायत दर्ज कराएं। साथ ही संबंधित बैंक को भी सूचित करें, ताकि खाते को अस्थायी रूप से फ्रीज़ किया जा सके।
साइबर शाखा की अपील
हर वित्तीय लेन-देन सोच-समझकर करें। फर्जी कॉल्स या संदिग्ध मैसेज पर प्रतिक्रिया देने से बचें। याद रखें, सतर्कता ही सबसे बड़ा सुरक्षा कवच है।




