संतुलित बजट की कुछ चुनौतियां!

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डॉ. संतोष राजपुरोहित.
राजस्थान की वित्त मंत्री दिया कुमारी ने आज यानी 19 फरवरी को साल 2025-26 के लिए बजट पेश किया है। समग्र रूप से देखें तो आम जनता को राहत दिलाने का प्रयास किया गया है लेकिन राज्य की वित्तीय स्थिरता बनाए रखने के लिए मजबूत वित्तीय प्रबंधन और प्रभावी नीति निर्माण की जरूरत होगी।
शिक्षा और कौशल विकास के क्षेत्र में सरकार ने कई घोषणाएं की हैं। इसके तहत स्कूलों, कॉलेजों में सीटों की संख्या बढ़ाई जाएगी। 1,500 स्कूलों में अटल टिंकरिंग लैब बनेगी। अलवर, अजमेर, बीकानेर में डिजिटल प्लानेटेरियम व 1,500 नए स्टार्टअप और 750 स्टार्टअप को फंडिंग का एलान किया गया है। इससे शिक्षा क्षेत्र में निवेश से छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलेगी। अटल टिंकरिंग लैब से तकनीकी और इनोवेशन को बढ़ावा मिलेगा। डिजिटल प्लानेटेरियम से छात्रों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित होगा। स्टार्टअप्स को फंडिंग से उद्यमिता को बढ़ावा मिलेगा, जिससे रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। केवल सीटें बढ़ाने से शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार नहीं होगा; शिक्षकों की ट्रेनिंग और इंफ्रास्ट्रक्चर में भी निवेश चाहिए। डिजिटल प्लानेटेरियम और अटल लैब्स की मेंटेनेंस और संचालन के लिए प्रशिक्षित स्टाफ की जरूरत होगी। स्टार्टअप्स को केवल फंडिंग देना पर्याप्त नहीं है, उन्हें मेंटरशिप, मार्केटिंग और तकनीकी सहयोग भी चाहिए। शिक्षकों की ट्रेनिंग और डिजिटल लर्निंग प्लेटफार्म पर भी ध्यान देना चाहिए था। स्टार्टअप्स के लिए विशेष इन्क्यूबेशन सेंटर की योजना लाई जा सकती थी।
सरकार ने स्वास्थ्य और सामाजिक कल्याण के क्षेत्र में बहुत कुछ करने का दावा किया है। मसलन, सभी जिला अस्पतालों में डायबिटिक क्लीनिक और पीएचसी पर डिजिटल एक्स-रे मशीन लगाने, 50 करोड़ रुपये से हाईवे ट्रॉमा सेंटर का अपग्रेडेशन (पीपीपी मोड) करने, कमजोर आय वाले बुजुर्गों और विधवाओं की पेंशन ₹1,250 करने, कारीगरों की आंखों की मुफ्त जांच और चश्मे देने की घोषणा की गई है। इससे स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार से ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में लोगों को बेहतर उपचार मिलेगा। ट्रॉमा सेंटर अपग्रेडेशन से दुर्घटनाओं में मौतों को कम किया जा सकेगा। पेंशन में वृद्धि से गरीब और वृद्ध नागरिकों की मदद होगी।
देखा जाए तो ₹1,250 की पेंशन महंगाई के दौर में अपर्याप्त है। इसे बढ़ाने की दरकार थी। स्वास्थ्य सुविधाओं का डिजिटलाइजेशन अच्छा है, लेकिन बिजली, इंटरनेट और स्टाफ की उपलब्धता एक चुनौती हो सकती है। पीपीपी मॉडल में निजी क्षेत्र की रुचि और गुणवत्ता नियंत्रण सुनिश्चित करना आवश्यक होगा। दरअसल, वृद्ध और विधवाओं के लिए पेंशन राशि को और बढ़ाया जा सकता था।
स्वास्थ्य सेवाओं में टेलीमेडिसिन और मोबाइल क्लीनिक की योजना लाई जा सकती थी।
कृषि और ग्रामीण विकास के क्षेत्र में सरकार ने कुछ खास घोषणाएं की हैं। इनमें गांवों को ‘आयुष्मान आदर्श गांव’ घोषित कर 11 लाख रुपये दिए जाने, 25 हजार घुमंतू परिवारों को आवास पट्टे देने, 2,000 मिट्टी गूंथने की मशीनें उपलब्ध करवाने आदि प्रमुख हैं। इससे आदर्श गांव योजना से ग्रामीण इलाकों में बुनियादी सुविधाएं बढ़ेंगी। आवास पट्टों से भूमिहीन परिवारों को स्थायित्व मिलेगा। कुम्हार समुदाय को मिट्टी गूंथने की मशीनें मिलने से उनकी उत्पादकता बढ़ेगी। 11 लाख रुपये प्रति गांव के हिसाब से यह राशि कम है, विशेषकर बड़ी जनसंख्या वाले गांवों के लिए।
घुमंतू परिवारों को आवास के साथ-साथ रोजगार के अवसर भी प्रदान करने चाहिए थे। कृषि उत्पादों के प्रसंस्करण और विपणन के लिए ग्रामीण उद्योगों को प्रोत्साहन दिया जा सकता था। ‘आयुष्मान आदर्श गांव’ योजना में स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार और बुनियादी ढांचे को भी शामिल करना चाहिए था।
महिलाओं और बच्चों के कल्याणार्थ सरकार ने बालिका गृह में 50 बेडेड ‘सरस्वती होम’ बनाने, 10 जिला मुख्यालयों पर ‘गर्ल चाइल्ड केयर सेंटर बनाने, 20 लाख महिलाओं को ‘लखपति दीदी’ की श्रेणी में लाने की योजना (1.5 फीसद ब्याज पर ₹1 लाख तक का लोन) आदि का एलान किया है। महिला सशक्तिकरण और बालिका कल्याण के लिए ये योजनाएं सकारात्मक प्रभाव डालेंगी। ‘लखपति दीदी’ योजना से महिलाएं स्वरोजगार की दिशा में कदम बढ़ा सकेंगी। ब्याज दर 1.5 फीसद तो अच्छी है, लेकिन महिलाओं को मार्केट एक्सेस, ट्रेनिंग और मेंटरशिप की भी आवश्यकता है। केवल 10 जिलों में ‘गर्ल चाइल्ड केयर सेंटर’ बनाना पर्याप्त नहीं है। महिलाओं के लिए विशेष कौशल विकास कार्यक्रम और व्यवसायिक प्रशिक्षण को भी जोड़ना चाहिए था। आंगनवाड़ी केंद्रों की संख्या बढ़ाई जा सकती थी।
आर्थिक और वित्तीय स्थिरता के लिए सरकर ने ₹3,500 करोड़ का ‘मा फंड’ और ₹350 करोड़ का ‘गिग एवं अनऑर्गेनाइज्ड वर्कर फंड’ व 10 लाख नए परिवारों को खाद्य सुरक्षा योजना के तहत जोड़ने का एलान किया है। गिग वर्कर्स के लिए फंड से असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को सामाजिक सुरक्षा मिलेगी। खाद्य सुरक्षा योजना से गरीब परिवारों को मदद मिलेगी। लेकिन राजस्व संग्रहण के स्पष्ट स्रोतों का उल्लेख नहीं है। मुफ्त और सब्सिडी वाली योजनाओं से राजकोषीय घाटा बढ़ सकता है। आय के स्रोतों (जैसे जीएसटी, एक्साइज, स्टाम्प ड्यूटी) को बढ़ाने के लिए विशेष योजनाएं लाई जा सकती थीं। रोजगार सृजन के लिए निजी निवेश को आकर्षित करने पर भी ध्यान देना चाहिए था।
अंततः देखा जाए तो इन घोषणाओं के कुछ सकारात्मक पहलु हैं। मसलन, शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला सशक्तिकरण और ग्रामीण विकास पर ध्यान देना और नवीकरणीय ऊर्जा, स्टार्टअप्स और सामाजिक सुरक्षा में निवेश आदि प्रमुख है। इसके साथ की वित्तीय घाटे का जोखिम, योजनाओं का कार्यान्वयन और मॉनिटरिंग महत्वपूर्ण होगी। साथ ही, निजी निवेश पर अत्यधिक निर्भरता, पीपीपी मॉडल) और प्रशासनिक चुनौतियाँ भी कम नहीं। ऐसे में बेहतर होगा कि सभी योजनाओं के लिए स्पष्ट वित्तीय रोडमैप हो। योजनाओं के कार्यान्वयन की नियमित समीक्षा हो। राजस्व संग्रहण में सुधार और सरकारी खर्चों में दक्षता बढ़ाने की आवश्यकता है। राजस्थान बजट 2025-26 में कई सकारात्मक पहल हैं, लेकिन इन्हें सफलतापूर्वक लागू करने और राज्य की वित्तीय स्थिरता बनाए रखने के लिए मजबूत वित्तीय प्रबंधन और प्रभावी नीति-निर्माण की आवश्यकता होगी।
-लेखक भारतीय आर्थिक परिषद के सदस्य हैं

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