अर्थव्यवस्था में सीबीडीसी का क्या है योगदान ?

image description

डॉ. संतोष राजपुरोहित.
दुनिया भर में डिजिटल भुगतान और वित्तीय तकनीक में तेजी से बदलाव आ रहे हैं। क्रिप्टोकरेंसी ने एक नए वित्तीय मॉडल को जन्म दिया, जिसने पारंपरिक बैंकिंग प्रणाली को चुनौती दी। इस प्रतिस्पर्धा को देखते हुए, कई देशों के केंद्रीय बैंक अपनी स्वयं की डिजिटल मुद्राएँ जारी करने की दिशा में काम कर रहे हैं। सीबीडीसी न केवल एक सुरक्षित डिजिटल मुद्रा प्रदान करता है, बल्कि यह वित्तीय समावेशन और मौद्रिक नीति को भी मजबूत करता है।
क्रिप्टोकरेंसी एक विकेंद्रीकृत डिजिटल मुद्रा है जो ब्लॉकचेन तकनीक पर आधारित होती है। यह पारंपरिक मुद्राओं से अलग होती है क्योंकि इसे किसी भी सरकार या केंद्रीय बैंक द्वारा नियंत्रित नहीं किया जाता। प्रमुख क्रिप्टोकरेंसी में बीटीसी सबसे पुरानी और सबसे लोकप्रिय क्रिप्टोकरेंसी है जबकि ईटीएच स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स के लिए प्रसिद्ध है। वहीं एक्सआरपी बैंकिंग और फाइनेंशियल ट्रांसफर में उपयोगी है तथा यूएसडीटी, यूएसडीसी पारंपरिक मुद्राओं से जुड़े डिजिटल टोकन हैं।
क्रिप्टोकरेंसी ने तेज़, सस्ते और सीमाहीन लेन-देन को संभव बनाया, लेकिन यह उच्च अस्थिरता, कानूनी अनिश्चितता और अवैध गतिविधियों के लिए उपयोग की संभावना के कारण विवादों में भी रही है।


केंद्रीय बैंकों की डिजिटल मुद्रा क्या है?
सीबीडीसी एक डिजिटल रूप में केंद्रीय बैंक द्वारा जारी की गई मुद्रा है, जिसे सरकारी समर्थन प्राप्त होता है। यह सामान्य मुद्रा का डिजिटल संस्करण होता है और इसे पूरी तरह से सरकार नियंत्रित करती है। रिटेल सीबीडीसी के तहत आम नागरिकों के लिए, बैंक खातों के बिना भी उपयोग किया जा सकता है। होलसेल्स सीबीडीसी वित्तीय संस्थानों के बीच लेन-देन के लिए है। यह पूरी तरह से सरकार द्वारा प्रबंधित होता है, जबकि क्रिप्टोकरेंसी विकेंद्रीकृत होती है। इसकी कीमत स्थिर रहती है, जबकि क्रिप्टोकरेंसी में भारी उतार-चढ़ाव होता है। सीबीडीसी को कानूनी मान्यता प्राप्त होती है।
सीबीडीसी अपनाने वाले प्रमुख देश और उनकी रणनीति
चीन-डिजिटल युआन यानी चीन सीबीडीसी विकसित करने वाला अग्रणी देश है। इसका उद्देश्य डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देना और क्रिप्टोकरेंसी के उपयोग को नियंत्रित करना है। बड़े पैमाने पर पायलट प्रोजेक्ट चलाए जा रहे हैं। भारत का डिजिटल रुपया। भारतीय रिज़र्व बैंक ने 2023 में डिजिटल रुपया लॉन्च किया। इसका उद्देश्य डिजिटल लेन-देन को तेज़ बनाना और नकदी के उपयोग को कम करना है। यूरोपीय संघ, डिजिटल यूरो। यूरोपीय सेंट्रल बैंक डिजिटल यूरो पर काम कर रहा है। इसका लक्ष्य पेमेंट सिस्टम को मजबूत करना और यूरो की वैश्विक स्थिति को बनाए रखना है। अमेरिका, डिजिटल डॉलर। अमेरिकी फेडरल रिजर्व अभी अध्ययन कर रहा है। क्रिप्टोकरेंसी के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए डिजिटल डॉलर पर विचार किया जा रहा है।


सीबीडीसी के वैश्विक प्रभाव
यह वित्तीय लेन-देन को अधिक पारदर्शी बनाएगा और बैंकों को सशक्त करेगा, साथ ही यदि लोग सीबीडीसी को प्राथमिकता देंगे, तो पारंपरिक बैंकों की जमाराशि में गिरावट आ सकती है। सरकारें सीधा मौद्रिक नियंत्रण कर सकेंगी, जिससे मुद्रास्फीति और ब्याज दरों को नियंत्रित करना आसान होगा। केंद्रीय बैंक डिजिटल भुगतान को और अधिक प्रभावी बना सकेंगे। दूरस्थ और गरीब क्षेत्रों में लोगों को बैंकिंग सेवाओं से जोड़ने में मदद मिलेगी। डिजिटल वॉलेट के माध्यम से बैंक रहित आबादी को भी वित्तीय सेवाएँ मिलेंगी। सीबीडीसी के आने से सरकारें क्रिप्टोकरेंसी के जोखिमों को कम कर सकेंगी। सरकार समर्थित डिजिटल मुद्राएँ अधिक विश्वसनीय होंगी। सीबीडीसी की सफलता डेटा सुरक्षा पर निर्भर करेगी। साइबर हमलों और डेटा उल्लंघनों से बचाव एक प्रमुख चुनौती होगा।
सीबीडीसी और क्रिप्टोकरेंसी: भविष्य की संभावनाएँ’
सीबीडीसी और ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी का उपयोग। ब्लॉकचेन का उपयोग करने से पारदर्शिता और सुरक्षा में वृद्धि होगी। स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स के माध्यम से स्वचालित भुगतान संभव होंगे। सीबीडीसी और प्राइवेट डिजिटल पेमेंट सिस्टम का एकीकरण हो सकता है। सरकारें निजी क्षेत्र की फिनटेक कंपनियों के साथ मिलकर डिजिटल भुगतान को और मजबूत बना सकती हैं। सीबीडीसी अंतरराष्ट्रीय व्यापार में उपयोग किया जा सकता है, जिससे डॉलर पर निर्भरता कम हो सकती है। चीन, रूस और अन्य देश डॉलर के बजाय डिजिटल युआन या डिजिटल रूबल में व्यापार कर सकते हैं। सीबीडीसी वैश्विक वित्तीय प्रणाली में एक क्रांतिकारी परिवर्तन ला सकता है। यह पारंपरिक बैंकिंग सिस्टम को मजबूत करेगा, वित्तीय समावेशन को बढ़ाएगा और डिजिटल भुगतान को आसान बनाएगा। हालांकि, इसके साथ ही डेटा गोपनीयता, साइबर सुरक्षा, और क्रिप्टोकरेंसी पर प्रभाव जैसी चुनौतियाँ भी बनी हुई हैं। आने वाले वर्षों में सीबीडीसी का प्रभाव पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था को नया रूप देगा। यदि इसे सही ढंग से लागू किया जाता है, तो यह एक सुरक्षित, तेज़ और कुशल डिजिटल वित्तीय प्रणाली का निर्माण कर सकता है।
-लेखक भारतीय आर्थिक परिषद के सदस्य हैं

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *