

भटनेर पोस्ट ब्यूरो.
बिहार के पटना जिले का मसौढ़ी इन दिनों एक अजीबोगरीब घटना को लेकर राष्ट्रीय सुर्खियों में है। कारण जानकर पहले तो कोई हंसी नहीं रोक पाएगा, लेकिन फिर सवाल जरूर उठेगा कि क्या अब हमारे सरकारी दस्तावेज़ भी खिलवाड़ बन चुके हैं? जी हां, 24 जुलाई 2025 को ‘डॉग बाबू’ नाम से बाकायदा आवासीय प्रमाण पत्र जारी कर दिया गया, जिसमें उनके पिता का नाम ‘कुत्ता बाबू’ और माता का नाम ‘कुतिया देवी’ दर्शाया गया है। यही नहीं, ग्राम काउली चक, वार्ड नंबर 15, थाना मसौढ़ी के निवासी ‘डॉग बाबू’ के नाम यह प्रमाण पत्र सरकारी पोर्टल से डाउनलोड किया गया, जिस पर राजस्व अधिकारी मुरारी चौहान के डिजिटल हस्ताक्षर भी मौजूद हैं।

जैसे ही यह ‘दस्तावेजीय मज़ाक’ सोशल मीडिया और स्थानीय स्तर पर वायरल हुआ, पटना के जिलाधिकारी त्याग राजन ने इसे गंभीरता से लिया और तत्काल मसौढ़ी अनुमंडलाधिकारी को जांच का जिम्मा सौंपा। डीएम ने स्पष्ट किया कि यह मामला केवल हास्यास्पद नहीं, बल्कि सरकारी प्रक्रिया की साख और विश्वसनीयता पर सीधा प्रहार है। जांच में अब तक जो सामने आया, वह और भी ज्यादा चौंकाने वाला है। आवेदन प्रक्रिया में किसी ने जानबूझकर फर्जी जानकारी भरी, लेकिन उसे शुरुआती स्तर पर न तो रोका गया और न ही रिजेक्ट किया गया। यहां तक कि प्रमाण पत्र जारी होने तक कोई सतर्कता नहीं बरती गई, जबकि अंत में वह दस्तावेज ‘रिजेक्ट’ स्थिति में दिख रहा है, यानी प्रमाण पत्र जारी होने के बाद उसे रद्द किया गया।
इस पूरे घटनाक्रम ने एक बार फिर सरकारी सिस्टम की खामियों की ओर इशारा किया है, क्या कोई भी मनचाही जानकारी देकर सिस्टम से प्रमाण पत्र बनवा सकता है? क्या डिजिटल दस्तावेजों की प्रक्रिया में कोई मानवीय निगरानी नहीं होती? क्या कंप्यूटर ऑपरेटर और प्रमाण पत्र जारी करने वाले अधिकारियों की कोई जवाबदेही नहीं है?
दोषियों पर होगी कार्रवाई
डीएम त्याग राजन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर इस संबंध में जानकारी देते हुए कहा कि मामले की गंभीरता को देखते हुए आवेदक, कंप्यूटर ऑपरेटर और प्रमाण पत्र जारी करने वाले पदाधिकारी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करवाई जा रही है। साथ ही विभागीय और अनुशासनिक कार्रवाई के आदेश भी दिए गए हैं।
