







भटनेर पोस्ट ब्यूरो.
हनुमानगढ़ जिला मुख्यालय के गांव मक्कासर में बीती रात हुई जोरदार बारिश ने स्थानीय लोगों की जिंदगी को पूरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया। बारिश का पानी इतनी तेज़ी से आया कि गली नंबर दस और जोहड़ एरिया के करीब 80 मकान पानी में डूब गए। आधे से अधिक मकानों में पानी भर जाने से परिवारों को मजबूरन अपने घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों की तलाश करनी पड़ी। पीड़ितों की मदद के लिए प्रशासन की ओर से कोई तत्काल कदम नहीं उठाया गया। स्थानीय लोग बेहाल थे, लेकिन इस उदासीनता के बीच मानवता की मिसाल शाह सतनाम जी ग्रीन एस वैल्फेयर कमेटी और डेरा सच्चा सौदा के सेवादारों द्वारा दिखाई गई।

डेरा सच्चा सौदा के सेवादार सुखचंद इन्सां बताते हैं कि डेरा हैल्पलाइन और गांव की साध-संगत के माध्यम से उन्हें जानकारी मिली कि जोहड़ एरिया के मकान पानी में डूब गए हैं और परिवार मदद के लिए त्राहिमाम कर रहे हैं। जानकारी मिलते ही कमेटी के सेवादार तुरंत मक्कासर के लिए रवाना हुए।

गांव में स्थिति ऐसी थी कि ट्रैक्टर-ट्रॉली पानी में प्रवेश नहीं कर पा रही थी। इसके बावजूद सेवादारों ने हार नहीं मानी। उन्होंने अपने कंधों पर घरों का सामान उठाकर ट्रैक्टर-ट्रॉली में डालना शुरू किया। देखते ही देखते दर्जनों परिवारों का कीमती सामान सुरक्षित राजकीय विद्यालय तक पहुंच गया। इस दौरान सेवादार ‘धन-धन सतगुरु तेरा ही आसरा’ का जयघोष करते हुए सेवा का संदेश दे रहे थे।

इस सेवा कार्य में शाह सतनाम जी ग्रीन एस वैल्फेयर कमेटी की हनुमानगढ़ इकाई के दर्जनों सेवादार जुटे, जिनमें पारुल इन्सां, हिमांशु इन्सां, गिरधारी लाल इन्सां, गोपाल इन्सां, सुरेन्द्र इन्सां, त्रिलोक इन्सां, प्रेम इन्सां, कुलदीप इन्सां, अंग्रेज इन्सां, गौरव इन्सां, अमरदीप इन्सां, प्रताप इन्सां, सुनील बजाज, योगेश, मनवीर, गौरव असीजा, विजय असीजा, रघुवीर इन्सां, शुभम इन्सां, अरुण इन्सां, सुमित इन्सां, अजय, सोनू इन्सां सहित दर्जनों अन्य सहयोगियों ने हिस्सा लिया।

ग्रामीणों ने सेवादारों के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह सेवा कार्य न केवल मानवीय संवेदनाओं की प्रतिकृति है, बल्कि प्रशासन की उदासीनता और तैयारियों की कमी को भी उजागर करता है। जब प्रशासन घरों में भरे पानी और संकटग्रस्त परिवारों के सामने खड़ा न हो, तब समाज के स्वयंसेवक ही पीड़ितों की उम्मीद बनकर सामने आते हैं।

जिला परिषद डायरेक्टर व पीसीसी सचिव मनीष मक्कासर के मुताबिक, मक्कासर के लोग आज भी भय और असहायता की स्थिति में हैं। प्रशासन की ओर से तत्काल राहत और बचाव की कोशिशें नजर नहीं आई हैं। ऐसे में यह सवाल उठता है कि जब आपदा आती है, तब क्या केवल स्वयंसेवक ही जनता की सुरक्षा और मदद के लिए पर्याप्त हैं?




