




भटनेर पोस्ट ब्यूरो.
छठ महोत्सव अब किसी एक क्षेत्र की सीमाओं में बंधा पर्व नहीं रहा, बल्कि यह पूरे भारत की सांस्कृतिक एकता और अध्यात्मिक समरसता का प्रतीक बनता जा रहा है। सूर्याेपासना के इस पर्व ने न केवल क्षेत्रीयता की दीवारों को तोड़ा है, बल्कि समाज में एकता, समर्पण और सेवा की भावना को भी नई दिशा दी है। इसी भाव के साथ हनुमानगढ़ टाउन स्थित आदर्श विद्या मंदिर के गुरुजनों व विद्यार्थियों ने इस वर्ष कोहला नहर पर एक अनूठी पहल की, जिसने हर किसी को भावविभोर कर दिया।
छठ महोत्सव के दौरान विद्यालय की ओर से आयोजित इस सेवा कार्यक्रम में आदर्श विद्या मंदिर समिति के संरक्षक कृष्णचंद्र शर्मा, प्राचार्य आचार्य सुदर्शन सोनी, समिति सदस्य राजीव मिढ़ा, एडवोकेट देवकीनंदन चौधरी, आरएसएस के बौद्धिक प्रमुख रविंद्र वर्मा, और राज कुमार शर्मा सहित अनेक पदाधिकारी एवं शिक्षक उपस्थित रहे। इन सभी के नेतृत्व में विद्यालय की अध्यापिकाओं व विद्यार्थियों ने व्रतियों का स्वागत किया और उन्हें पुष्प अर्पित कर श्रद्धा प्रकट की।

विद्यालय से नेहा, श्वेता, ईशा, मोहिनी, ज्योति, रजनी, महक, रीत, भवानी, कर्ण, गोविंद, लक्ष्य, दीपक, बनवारी, कपिल शर्मा, प्रदीप शर्मा, प्रियंका बजाज, चंचल मदान, मनीष, अमित मिश्रा, तनीश चौधरी, जयंत झा ने कंधे तक पानी में उतरकर व्रतियों को पुष्प समर्पित किए। यह दृश्य देखते ही श्रद्धालु भावविभोर हो उठे। विद्यार्थियों का उत्साह और श्रद्धा देखकर हर कोई कह उठा, यह है भारत की सच्ची संस्कृति, जहां सेवा ही पूजा है।

कार्यक्रम के दौरान श्रद्धालुओं और व्रतियों ने कहा कि विद्यालय के विद्यार्थियों ने जिस निष्ठा और समर्पण से इस पर्व में भागीदारी निभाई, वह भावी पीढ़ी के लिए प्रेरणा बनेगा। जहां छठ व्रत में मातृशक्ति सूर्यदेव की आराधना में लीन थी, वहीं इन विद्यार्थियों ने पुष्प अर्पण कर अपनी संस्कृति के प्रति गहरी आस्था प्रदर्शित की।

इस अवसर पर संरक्षक कृष्णचंद्र शर्मा ने कहा कि छठ महोत्सव भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक एकता का प्रतीक है। जिस प्रकार सूर्यदेव किसी एक क्षेत्र या समाज के देवता नहीं हैं, उसी तरह यह पर्व भी किसी सीमित भूगोल का नहीं, बल्कि पूरे मानव समाज के उत्थान का संदेश देता है। उन्होंने विद्यालय परिवार की भागीदारी को एक नई मिसाल बताते हुए कहा कि बच्चों ने जो सेवा का भाव दिखाया, वह भारतीय संस्कारों की जीवंत झलक है।

प्राचार्य आचार्य सुदर्शन सोनी ने कहा कि विद्यालय केवल ज्ञान देने का माध्यम नहीं, बल्कि संस्कारों की पाठशाला है। विद्यार्थियों ने छठ पर्व पर जिस तरह से सेवा और सहयोग की भावना प्रदर्शित की, वह बताता है कि भारतीय संस्कृति की जड़ें कितनी गहरी हैं।

समिति सदस्य राजीव मिढ़ा और एडवोकेट देवकीनंदन चौधरी ने भी कहा कि इस आयोजन से न केवल विद्यार्थियों में सांस्कृतिक जुड़ाव बढ़ा है, बल्कि समाज में भी एकता का संदेश गया है। आरएसएस के बौद्धिक प्रमुख रविंद्र वर्मा ने कहा कि आज आवश्यकता है कि हम पर्वों को केवल अनुष्ठान न मानें, बल्कि उनके पीछे छिपे सामाजिक और आध्यात्मिक संदेश को आत्मसात करें। नहर किनारे जब विद्यार्थियों ने व्रतियों को पुष्प अर्पित किए, तब छठ गीतों की गूंज, ढलते सूर्य की लाली और श्रद्धा से भरे चेहरों ने वातावरण को और भी पवित्र बना दिया।

एडवोकेट देवकीनंदन चौधरी ने कहाकि छठ महोत्सव पर आदर्श विद्या मंदिर की पहल ने यह सिद्ध कर दिया कि भारत में संस्कार, सेवा और श्रद्धा की परंपरा अब भी जीवित है। आदर्श विद्या मंदिर का यह प्रयास आने वाली पीढ़ियों के लिए न सिर्फ प्रेरणास्रोत बनेगा, बल्कि यह भी बताएगा कि पर्वों का वास्तविक अर्थ केवल पूजा नहीं, बल्कि समाज में एकता, सहयोग और प्रेम की भावना को बढ़ाना है।



