






भटनेर पोस्ट डेस्क
राजस्थान में शिक्षा को सशक्त बनाने के उद्देश्य से चल रहे मुख्यमंत्री शिक्षित राजस्थान अभियान के तहत शिक्षा विभाग ने एक नया आयाम छुआ है। इसी क्रम में हनुमानगढ़ जिले के पीलीबंगा ब्लॉक के अतिरिक्त मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी (एसीबीईओ) रजनीश गोदारा द्वारा किए गए कार्यों ने राज्य स्तर पर मिसाल कायम की है। उनके नेतृत्व में अडॉप्टेड स्कूल्स में शिक्षा सुधार के प्रयास इतने प्रभावी रहे कि विभाग ने इन्हें प्रेरक उदाहरण के रूप में प्रस्तुत करते हुए एक विशेष पोस्टर भी जारी किया है।

दरअसल, 30 अक्टूबर 2025 को शिक्षा विभाग द्वारा आयोजित राज्य स्तरीय वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में शिक्षा शासन सचिव कृष्ण कुणाल ने सभी जिलों के अधिकारियों के साथ संवाद किया। इस बैठक में अडॉप्टेड स्कूल्स के अवलोकन की झलकियाँ और श्रेष्ठ प्रथाएँ (बेस्ट प्रैक्टिसेज) साझा की गईं। इस दौरान सचिव कृष्ण कुणाल ने विशेष रूप से पीलीबंगा ब्लॉक के एसीबीईओ रजनीश गोदारा से संवाद किया और उनके द्वारा अपनाए गए विद्यालयों में किए गए सुधारात्मक कार्यों की विस्तार से जानकारी ली। गोदारा ने बताया कि किस तरह उन्होंने विद्यालयों की शैक्षणिक स्थिति का गहराई से मूल्यांकन कर वहां की चुनौतियों की पहचान की और ठोस सुधार योजनाएँ लागू कीं।

सचिव कृष्ण कुणाल ने उनके प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि ‘रजनीश गोदारा का यह मॉडल शिक्षा में सुधार के लिए अन्य अधिकारियों के लिए भी अनुकरणीय उदाहरण है।’ उन्होंने इसे पूरे राज्य के लिए एक प्रेरक पहल बताया।
पीलीबंगा के एसीबीईओ रजनीश गोदारा की इस उपलब्धि पर मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी पन्नालाल कड़ेला, जिला शिक्षा अधिकारी (माध्यमिक) हनुमानगढ़ जितेन्द्र बठला, मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी पीलीबंगा मधुबाला पूनिया सहित अनेक शिक्षकों ने बधाइयाँ दीं और इसे शिक्षा सुधार के क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धि बताया।

रजनीश गोदारा के नेतृत्व में अडॉप्टेड स्कूल्स में किए गए सुधारात्मक कार्य योजनाबद्ध और व्यवहारिक रहे। उन्होंने विद्यालयों के दौरे के दौरान शिक्षण गुणवत्ता, विद्यार्थी उपस्थिति और अधिगम स्तर की समीक्षा की। उन्होंने पाया कि कई बालक अपनी कक्षा के स्तर के अनुरूप शैक्षणिक दक्षता प्राप्त नहीं कर पा रहे थे। इसके समाधान के लिए उन्होंने संस्था प्रधानों और शिक्षकों की बैठकें आयोजित कीं और कारणों की समीक्षा की।

उन्होंने शिक्षकों को निर्देश दिया कि बालकों के अभिभावकों से नियमित संवाद स्थापित करें ताकि विद्यार्थियों की उपस्थिति सुनिश्चित हो सके। इसके साथ ही उन्होंने शिक्षकों को बच्चों को नियमित गृहकार्य (होमवर्क) देने और समय पर उसकी जांच करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि अनुशासन और निरंतर अभ्यास ही विद्यार्थियों के बौद्धिक विकास की कुंजी हैं।

विद्यालयों में प्रार्थना सभा और बाल सभा को अधिक प्रभावी बनाने पर भी बल दिया गया। गोदारा ने शिक्षकों से कहा कि हर बच्चे को अपनी बात रखने और अभिव्यक्ति का अवसर मिले, चाहे वह कविता सुनाना हो, कहानी कहना हो या किसी विषय पर विचार प्रकट करना। इस अभ्यास से बच्चों में आत्मविश्वास और संप्रेषण कौशल का विकास हुआ।

गोदारा ने विद्यालय के स्टोर रूम को रचनात्मक रूप से रीडिंग रूम में परिवर्तित करवाया ताकि विद्यार्थियों में पढ़ने की आदत विकसित हो। उन्होंने बच्चों को प्रेरित किया कि वे विद्यालय पुस्तकालय से कहानी और कविता की पुस्तकें पढ़ें और अपने अनुभव साझा करें। इससे बच्चों में रीडिंग स्किल और भाषाई अभिव्यक्ति में उल्लेखनीय सुधार देखा गया। शिक्षा को केवल विद्यालय तक सीमित न रखते हुए उन्होंने इसे घर और परिवार से जोड़ने की पहल भी की। उन्होंने बच्चों को प्रेरित किया कि वे घर पर अपने दादा-दादी, नाना-नानी या माता-पिता से कहानियाँ सुनें और अगले दिन स्कूल में अपने सहपाठियों के साथ साझा करें। इससे एक ओर बालकों में कहानी कहने की रुचि बढ़ी, वहीं दूसरी ओर घर-परिवार के बुजुर्गों से भावनात्मक जुड़ाव भी सशक्त हुआ।

साथ ही, बच्चों के लेखन कौशल को विकसित करने के लिए ‘कार्ड के चित्रों को देखकर वाक्य बनाना’ जैसी गतिविधियाँ शुरू की गईं। यह अभ्यास बच्चों की कल्पनाशक्ति को बढ़ाने और सार्थक वाक्य निर्माण की क्षमता विकसित करने का एक अभिनव तरीका साबित हुआ। शिक्षाविद्ों का कहना है कि एसीबीईओ रजनीश गोदारा का यह मॉडल इस बात का प्रमाण है कि थोड़ी संवेदनशीलता, दूरदर्शिता और टीम भावना के साथ शिक्षा प्रणाली में बड़े बदलाव लाए जा सकते हैं। उनके प्रयासों से न केवल विद्यालयों का वातावरण बदला, बल्कि शिक्षकों और विद्यार्थियों दोनों में नई ऊर्जा आई।

राज्य सरकार ने ‘मुख्यमंत्री शिक्षित राजस्थान अभियान’ के तहत ऐसे अडॉप्टेड स्कूल मॉडल्स को पूरे प्रदेश में फैलाने की योजना बनाई है, ताकि हर ब्लॉक में शिक्षा सुधार की यह लहर पहुँचे। पीलीबंगा का यह उदाहरण अब अन्य जिलों के लिए भी मार्गदर्शक बन गया है। रजनीश गोदारा के प्रयास यह साबित करते हैं कि शिक्षा सुधार केवल नीतियों से नहीं, बल्कि जमीनी पहल और मानवीय दृष्टिकोण से संभव है। जब अधिकारी खुद स्कूलों में जाकर हालात समझते हैं और शिक्षक-विद्यार्थी के बीच संवाद से समाधान खोजते हैं, तब शिक्षा सच में ‘शिक्षित राजस्थान’ की दिशा में आगे बढ़ती है।


