



भटनेर पोस्ट डेस्क.
पहलगाम में हुए आतंकी हमले में निर्दाेष पर्यटकों की नृशंस हत्या के विरोध में हनुमानगढ़ जंक्शन-टाउन क्षेत्र में बाजार दोपहर तक पूर्णतः बंद रहा। आम जनमानस में इस हमले को लेकर गहरा शोक और आक्रोश देखा गया। बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद के आह्वान पर व्यापारिक संगठनों ने स्वेच्छा से अपने प्रतिष्ठान बंद रखे। विशेष बात यह रही कि इस बार मेडिकल स्टोर्स संचालकों ने भी इस विरोध प्रदर्शन में भाग लेते हुए अपने प्रतिष्ठान आधे दिन के लिए बंद रखे, जो पहले कभी नहीं देखा गया था। पूर्व प्रांत संयोजक एवम हिन्दू नेता आशीष पारीक ने कहा कि यह हमला केवल पहलगाम या किसी एक समुदाय पर नहीं, बल्कि समूचे हिंदुस्तान पर हुआ है। जैसे ही व्हाट्सऐप के माध्यम से व्यापारियों को बंद की सूचना दी गई, पूरे क्षेत्र में व्यापारी भाइयों ने एकजुटता दिखाते हुए अपने प्रतिष्ठान स्वेच्छा से बंद कर दिए। यह दर्शाता है कि देश की जनता आतंकवाद के विरुद्ध एकजुट होकर खड़ी है और इस प्रकार के हमलों को किसी भी रूप में सहन नहीं करेगी।

बाजार बंद के साथ ही शहर के प्रमुख चौराहों, शहीद भगत सिंह चौक और महाराजा अग्रसेन चौक पर श्रद्धांजलि सभाओं का आयोजन किया गया। इन सभाओं में आशीष पारीक ने कहा कि हमें भारतीय सेवा के शौर्य एवं भारत सरकार पर पूर्ण विश्वास है जैसे हर भारतीय की इच्छा है उसको भारतीय सेना पूरा करेगी। बड़ी संख्या में आम नागरिक, सामाजिक कार्यकर्ता, छात्र-छात्राएं और व्यापारी शामिल हुए। लोगों ने हाथों में मोमबत्तियां लेकर मौन धारण कर दिवंगतों को श्रद्धांजलि अर्पित की। सभा में वक्ताओं ने आतंकी हमले की कड़ी निंदा करते हुए सरकार से दोषियों के खिलाफ सख्त और ठोस कार्रवाई की मांग की। श्रद्धांजलि सभा के दौरान लोगों ने पाकिस्तान विरोधी नारे लगाए और भारत सरकार से अपील की कि आतंकवाद को जड़ से समाप्त करने के लिए निर्णायक कदम उठाए जाएं। उपस्थित जनसमूह ने यह भी संकेत दिया कि यदि जल्द ही सख्त कार्रवाई नहीं हुई, तो देशभर में उग्र प्रदर्शन किए जाएंगे। इस हमले के खिलाफ हनुमानगढ़ के नागरिकों की एकजुटता यह साबित करती है कि आतंकवाद किसी धर्म या क्षेत्र का मुद्दा नहीं, बल्कि मानवता के खिलाफ युद्ध है। इस प्रकार के घटनाक्रमों के खिलाफ संपूर्ण देश एक स्वर में खड़ा है और आतंक के विरुद्ध निर्णायक लड़ाई के लिए तैयार है।
अवसर पर विश्व हिंदू परिषद के जिलाध्यक्ष डॉ निशांत बतरा, पृथ्वी गोदारा, कुलदीप नरूका, महेश जसूजा, महेंद्र पूनिया अमृतसर, नितिन बंसल, प्रकाश तंवर, राजन अरोड़ा, प्रवीण मोदी, श्रीकृष्ण वर्मा, रविंद्र सिंह शेखावत, प्रदीप मित्तल, भगवान सिंह खुड़ी, सुनील चाहर, ओम सारस्वत, राजू ओझा, गोपाल शर्मा, रजत राव, सुभाष खीचड़ व अन्य कार्यकर्ता मौजूद थे।
