





भटनेर पोस्ट ब्यूरो.
हनुमानगढ़ जिले के ऐतिहासिक धरोहर भटनेर किले की जर्जर बुर्जियों के गिरने की आशंका ने प्रशासन और स्थानीय नागरिकों की चिंता बढ़ा दी है। पुरातत्व विभाग ने संभावित खतरे को देखते हुए किले के आसपास बसे परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट करने का आग्रह किया है। संरक्षण सहायक द्वारा जिला कलक्टर को लिखे पत्र में किले के समीप आबादी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की सुरक्षा को प्राथमिकता देने का अनुरोध किया गया है।

पत्र मिलने के तुरंत बाद प्रशासन ने सक्रिय कदम उठाए और प्रभावित क्षेत्रों में मुनियादी कार्रवाई शुरू कर दी। स्थानीय लोगों को चेतावनी दी गई है कि वे संभावित खतरे को गंभीरता से लें और पूरी तरह सतर्क रहें। हालांकि, प्रशासन के सामने एक बड़ा सवाल यह है कि आबादी को कहां और कैसे सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया जाए।

‘भटनेर पोस्ट डॉट कॉम’ की पड़ताल में यह सामने आया कि वार्ड नंबर 47 में भटनेर किले के समीप बसे आबादी क्षेत्र में करीब आधा दर्जन से अधिक संपन्न लोगों के कब्जे हैं। उन्होंने छोटे-छोटे कमरे बनाकर उन्हें किराए पर दे रखा है। ऐसे में प्रशासन के सामने यह चुनौती है कि किराएदारों और मूल कब्जाधारकों की पहचान कर ही आगे की रणनीति बनाई जा सके।

भाजपा नेता नितिन बंसल का कहना है कि यह एक गंभीर समस्या है। उन्होंने बताया, ‘ऐसा पहले भी हुआ है जब पुरातत्व विभाग ने मकानों को खाली करने के लिए कहा था। यह आसान नहीं है, क्योंकि आर्थिक रूप से कमजोर परिवार अपने घर छोड़ने में हिचकिचाते हैं। इसलिए प्रशासन को वैकल्पिक सुविधा प्रदान करनी होगी। पूर्व मंत्री डॉ. रामप्रताप के प्रयासों से ढोली बस्ती को गुरुसर मार्ग पर शिफ्ट किया गया था। उसी तर्ज पर नगर परिषद को अब प्रभावित परिवारों के लिए जगह आबंटित करनी चाहिए और प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत ढाई लाख रुपए की तत्काल मदद से मकान बनवाए जाने चाहिए। इससे गरीब परिवारों को अपना घर मिलेगा और किले के आसपास की जगह खाली हो सकेगी।’

बाल कल्याण समिति के पूर्व सदस्य एडवोकेट देवकीनंदन चौधरी ने भी समस्या की गंभीरता को रेखांकित किया। उन्होंने ‘भटनेर पोस्ट डॉट कॉम’ से कहा, ‘यह मुद्दा सिर्फ प्रशासनिक नहीं है, बल्कि सामाजिक दृष्टि से भी संवेदनशील है। चार-पांच दशक से पुराने मकानों को छोड़ना कोई आसान काम नहीं है। अगर प्रभावित परिवारों को अच्छे लोकेशन पर भूखंड और मकान बनाने का बजट उपलब्ध कराया जाए, तो ही समस्या का स्थायी समाधान संभव है।’

इस बीच, एडीएम व नगर परिषद के प्रशासक उम्मेदीलाल मीणा ने बताया कि पुरातत्व विभाग का पत्र प्राप्त होने के बाद तुरंत मुनियादी कार्रवाई शुरू कर दी गई है। उन्होंने कहा, ‘हमने लोगों को संभावित खतरे से आगाह किया है और आज ही पुरातत्व विभाग के को बुलाया है। बैठक के बाद नियमानुसार अगली कार्रवाई की जाएगी।’

विशेषज्ञों का मानना है कि भटनेर किले की बुर्जियों की स्थिति लंबे समय से खतरनाक रही है। लगातार मौसम और समय के प्रभाव ने जर्जर संरचना को और कमजोर किया है। ऐसे में किसी अप्रत्याशित घटना से भारी जनहानि की हानि संभव है। ऐतिहासिक धरोहरों की सुरक्षा के साथ-साथ स्थानीय नागरिकों की सुरक्षा को प्राथमिकता देना प्रशासन की जिम्मेदारी है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि भटनेर किले के समीप बसने वाले कई परिवार लंबे समय से यहां रह रहे हैं और उनकी जीवनशैली इसी आसपास विकसित हुई है। अचानक शिफ्टिंग की योजना से उनका आर्थिक और सामाजिक जीवन प्रभावित हो सकता है। इसलिए प्रशासन को उनकी सहमति और सहयोग के साथ वैकल्पिक व्यवस्था करनी होगी। नगर परिषद और जिला प्रशासन के प्रयासों का उद्देश्य है कि किले के आसपास की आबादी को सुरक्षित किया जाए और भविष्य में किसी अप्रत्याशित हादसे से बचा जा सके।

गौरतलब है, भटनेर किला न केवल हनुमानगढ़ की ऐतिहासिक पहचान है, बल्कि यह पर्यटन और सांस्कृतिक धरोहर के रूप में भी महत्वपूर्ण है। विशेषज्ञों के अनुसार, यदि किले की बुर्जियों को समय रहते सुरक्षित नहीं किया गया, तो यह न केवल ऐतिहासिक धरोहर को नुकसान पहुंचा सकता है, बल्कि आसपास की आबादी के लिए भी गंभीर खतरा बन सकता है।
ऐसे में, प्रशासन, पुरातत्व विभाग और स्थानीय समाज को मिलकर ऐसी रणनीति बनानी होगी जिसमें सुरक्षित स्थानों पर शिफ्टिंग, आर्थिक सहायता और कानूनी प्रक्रियाओं का संतुलित संयोजन हो। ऐसा करके ही भटनेर किले की सुरक्षा और स्थानीय नागरिकों की सुरक्षा दोनों सुनिश्चित की जा सकती हैं।



