


भटनेर पोस्ट डॉट कॉम.
राजस्थान में पंचायती राज संस्थाओं और शहरी निकायों के चुनाव को लेकर एक बार फिर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। लंबे समय से टाले जा रहे इन चुनावों को लेकर आमजन, राजनीतिक दलों और प्रशासनिक अमले में लगातार जिज्ञासा बनी हुई है कि आखिर यह चुनाव कब होंगे। हाईकोर्ट भी राज्य सरकार से इस विषय पर स्पष्ट जवाब मांग चुका है। अब माना जा रहा है कि प्रदेश में दिसंबर 2025 तक पंचायत और निकाय चुनाव एक साथ कराए जा सकते हैं। पंचायती राज संस्थाओं के पुनर्गठन और परिसीमन को लेकर गठित कैबिनेट सब-कमेटी अपनी रिपोर्ट तैयार कर चुकी है, जिसे आगामी 15 से 20 दिनों में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को सौंपा जाएगा। इसके बाद मुख्यमंत्री स्तर पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा और चुनावी कार्यक्रम तय होगा।
कैबिनेट सब-कमेटी के सदस्य एवं मंत्री अविनाश गहलोत ने पुष्टि की है कि रिपोर्ट लगभग तैयार है और अंतिम चरण में है। वहीं, यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा का कहना है कि पंचायत और निकायों में एक साथ चुनाव कराने से प्रक्रिया सरल होगी और प्रशासनिक व आर्थिक संसाधनों का बेहतर उपयोग संभव हो सकेगा। राज्य की भजनलाल सरकार ‘वन स्टेट वन इलेक्शन’ की दिशा में सक्रियता से काम कर रही है। इसके पीछे तर्क यह दिया जा रहा है कि अलग-अलग समय पर चुनाव होने से न सिर्फ प्रशासनिक बोझ बढ़ता है, बल्कि बार-बार आचार संहिता लागू होने से विकास कार्यों में भी व्यवधान आता है।
सूत्रों के अनुसार, सरकार का मानना है कि यदि पंचायत और नगर निकाय चुनाव एक साथ कराए जाएं, तो न सिर्फ समय और संसाधनों की बचत होगी, बल्कि प्रशासनिक समन्वय भी बेहतर होगा। कैबिनेट सब-कमेटी की रिपोर्ट में नए परिसीमन, वार्डों के पुनर्निर्धारण, ग्राम पंचायतों की सीमा तय करने, नवगठित पंचायतों की अधिसूचना, और जिला परिषदों की पुनःसंरचना जैसे विषयों को शामिल किया गया है।
सूत्रों के अनुसार, राज्य सरकार ने ग्राम पंचायतों की सीमाओं का निर्धारण कर लिया है। कई स्थानों पर नई पंचायतों का गठन हुआ है, तो वहीं कुछ पुरानी पंचायतों को अन्य ग्राम पंचायतों में समायोजित कर दिया गया है। इसके साथ ही, कुछ ग्रामीण क्षेत्रों को नगर परिषद या नगर निगम में सम्मिलित करने की प्रक्रिया भी पूरी की जा चुकी है।
राज्य सरकार की चुनावों में हो रही देरी को लेकर राजस्थान हाईकोर्ट ने भी सख्त रुख अपनाया था। एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने सरकार से जवाब मांगा था कि आखिर कब पंचायत चुनाव कराए जाएंगे। इसके जवाब में अप्रैल महीने में राज्य सरकार ने एक शपथपत्र दाखिल किया था, जिसमें बताया गया कि परिसीमन और पुनर्गठन की प्रक्रिया मई और जून तक चलेगी, उसके बाद ही चुनावों की तिथि घोषित की जा सकेगी।
चुनावों को लेकर सियासी हलकों में भी चर्चाएं तेज हो गई हैं। विपक्ष लगातार सरकार पर चुनाव टालने के आरोप लगा रहा है, जबकि सत्ता पक्ष इसे एक सुनियोजित और समन्वित रणनीति बता रहा है, जिससे राज्य में स्थायी प्रशासनिक व्यवस्था कायम की जा सके।
भाजपा सूत्रों की मानें तो पार्टी जल्द ही संगठनात्मक स्तर पर भी चुनावी तैयारियों में जुटेगी और ग्राम स्तर से लेकर जिला स्तर तक सक्रियता दिखाई जाएगी। अब सबकी निगाहें कैबिनेट सब-कमेटी की रिपोर्ट पर टिकी हैं, जो आने वाले कुछ ही हफ्तों में मुख्यमंत्री को सौंपी जाएगी। अगर सब कुछ योजना के अनुसार चलता है, तो राजस्थान में दिसंबर 2025 में एक साथ पंचायत और निकाय चुनाव कराए जा सकते हैं। यह न सिर्फ राज्य के चुनावी इतिहास में एक अहम कदम होगा, बल्कि श्वन स्टेट वन इलेक्शनश् की दिशा में भी एक बड़ी पहल मानी जाएगी।
