भटनेर पोस्ट ब्यूरो.
जब आप साफ दिल और दक्ष प्रबंधन के मुताबिक किसी संगठन का प्रारूप तय करते हैं तो यकीनन वह इतिहास रचता है। हनुमानगढ़ का भटनेर किंग्स क्लब भी एक उदाहरण है। पांच साल पहले बनाया गया यह संगठन आज लोकप्रियता के शिखर पर है तो इसके पीछे कुछ लोग हैं जो न सिर्फ रणनीति बनाते हैं बल्कि उसे अमली जामा पहनाने में एकाग्र होकर जुटे रहते हैं। भटनेर किंग्स क्लब 13 अगस्त को पांच साल का सफर तय कर रहा है। जाहिर है, संस्थापक व संरक्षक आशीष विजय के मन में कई तरह के भाव होंगे। इसलिए भटनेर पोस्ट डॉट कॉम ने ‘वीकली टॉक’ की इस कड़ी में संरक्षक आशीष विजय से बातचीत की। प्रस्तुत है संपादित अंश……
भटनेर किंग्स क्लब पांच साल का सफर पूरा कर रहा है। कैसा लग रहा है?
-बहुत अच्छा लग रहा है। आपको पता है, जब क्लब को लेकर अध्यक्ष कुलभूषण जिंदल व अन्य साथियों के साथ चर्चा हुई तो मकसद एकमात्र था कि इसी बहाने कुछ साथी हर संडे को एकत्रित होंगे और हम सब क्रिकेट खेलेंगे ताकि सप्ताह भर के कामों के इतर थोड़ा रिलेक्स फील करें। सच बताएं, उस वक्त दिमाग में यह बात नहीं थी कि भटनेर किंग्स क्लब का उद्देश्य आकार लेगा, उसका विस्तार होगा और एक हजार से अधिक सदस्य शामिल होंगे। आज सोचता हूं, भटनेर किंग्स क्लब ने न सिर्फ हमारे जैसे बल्कि सैकड़ों लोगों को खुश होने का मौका दिया है। इसी बहाने न सिर्फ पुराने दोस्तों के साथ फिर रिश्ते रिचार्ज हुए बल्कि अलग-अलग प्रोफेशन से जुड़े लोगों का सानिध्य मिला। सबके सहयोग से आज भटनेर किंग्स क्लब संभाग के प्रमुख संगठनों में शुमार हो गया, यह हम सबके लिए संतोष और गौरव की बात है।
पांच साल की सबसे बड़ी उपलब्धि क्या मानते हैं ?
-देखिए…., उपलब्धियों की लंबी सूची है। कहां से शुरू करूं, समझ में नहीं आ रहा। दरअसल, क्रिकेट खेलने के शौक ने भटनेर किंग्स क्लब को जन्म दिया। इस लिहाज से देखें तो हर साल होने वाला ‘भटनेर प्रीमियर लीग’ की सफलता हमारी बड़ी उपलब्धि मानी जाती है। सच तो यह है कि क्लब के सभी सदस्यों सहित शहर के क्रिकेटप्रेमियों को इस आयोजन का इंतजार रहता है। रही बात समाजसेवा की तो कई प्रकल्प हैं। जरूरतमंद परिवारों की नौ बेटियों को क्लब ने गोद लिया है। उनके नाम बचत खाते खुलवाए गए हैं जिसमें हर माह निर्धारित राशि जमा करवाई जाती है। उनकी पढ़ाई खर्चे में भी सहयोग किया जाता है। प्रचण्ड गर्मी के दौरान क्लब सदस्यों ने भगत सिंह चौक पर महीने भर 24 घंटे की शीतल व शुद्ध पेयजल की सुविधा उपलब्ध करवाई। गोशालाओं व पक्षियों के लिए भी कार्यक्रम किए जाते हैं।
जिले में सौ से अधिक सामाजिक संगठन हैं। भटनेर किंग्स क्लब को कहां पाते हैं ?
-देखिए…. इस तरह की बात हम कभी सोचते ही नहीं। सच तो यह है कि सभी संगठन अच्छा काम करते हैं अपने हिसाब से। इसलिए हमें किसी पर टिप्पणी करने का हक नहीं। दूसरी बात, भटनेर किंग्स क्लब का किसी से कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है। हम तो सबके साथ हैं, भले वह किसी भी क्षेत्र में काम कर रहा है। जैसा आपने कहाकि जिले के सौ से अधिक सामाजिक संगठनों में भटनेर किंग्स क्लब कहां है तो यह हम नहीं बल्कि लोग तय करेंगे। हम तो काम करने वाले हैं। हमारा प्रयास है कि क्लब के माध्यम से कुछ ऐसा हो जिससे समाज को राहत मिले। कुल मिलाकर, इतनी सी बात है कि जिले के बाकी संगठनों की तरह भटनेर किंग्स क्लब भी एक संगठन है। हां, सदस्यों के सहयोग से कम समय में बेहतर काम हुए, हो रहे हैं। यह हमेशा जारी रहे। हम तो सिर्फ इतना ही जानते हैं।
क्लब में शहर के गणमान्य लोग बतौर सदस्य जुड़े हुए हैं। सबके साथ सामंजस्य बनाना कितना मुश्किल है?
-देखिए, भटनेर किंग्स क्लब की बड़ी खासियत है कि यहां पर पदाधिकारी व सदस्य में कोई अंतर नहीं है। सबको पता है, किसी भी संगठन को चलाने के लिए चंद सदस्यों को अग्रणी भूमिका निभानी पड़ती है। बाकी सबका बराबर का सहयोग रहता है। जब कोई भेदभाव ही नही ंतो फिर सामंजस्य बनाने की कोई जरूरत ही कहां है? भले भटनेर किंग्स क्लब बड़ा संगठन बन चुका है लेकिन इसमें हमेशा आपसी से सामंजस्य ही निर्णय होते हैं। जब सबको समान सम्मान मिलता है तो दिक्कत क्यों आएगी?
क्लब के विस्तार की कोई योजना है ?
-भटनेर किंग्स क्लब का संगठनात्मक ढांचा संतोषजनक है। विशाल परिवार होते हुए भी अब तक बुराइयां से दूर है। यही वजह है हमने संगठन को विस्तार देते हुए यूथ विंग का गठन किया। आशीष गौतम को अध्यक्ष बनाया गया। यूथ विंग को एक्टिव किया जाएगा। 18 से 30 साल उम्र के युवाओं को इससे जोड़ा जाएगा। ऐसे युवा नशे की बुराइयों से बचे रहें, उन्हें शिक्षा के साथ कॅरिअर को लेकर कोई दुविधा है तो उसे दूर करने के लिए सेमीनार आदि करवाए जाएंगे। इस तरह की योजना पर मंथन चल रहा है। निकट भविष्य में इसको लेकर कुछ कदम उठाए जा सकते हैं।