




भटनेर पोस्ट डेस्क.
हनुमानगढ़ में बार संघ चुनाव के तहत न्यायालय परिसर स्थित लाइब्रेरी भवन में मतदान शुरू हो चुका है। मतदान की प्रक्रिया पूरी होते ही मतगणना शुरू होगी और परिणाम घोषित कर दिए जाएंगे। अगले कार्यकाल के लिए बार संघ का नया अध्यक्ष कौन होगा, यह सवाल पूरे अधिवक्ता समुदाय के बीच चर्चा का सबसे बड़ा केंद्र बना हुआ है। लंबे समय बाद ऐसा चुनावी परिदृश्य देखने को मिल रहा है, जहां गणित बेहद उलझा हुआ प्रतीत हो रहा है और वरिष्ठ अधिवक्ता भी किसी एक दिशा में अनुमान लगाने से बच रहे हैं।

आम तौर पर अध्यक्ष और महासचिव पद को लेकर ही सबसे अधिक खींचतान दिखाई देती रही है, जबकि उपाध्यक्ष, कोषाध्यक्ष, पुस्तकालयाध्यक्ष जैसे अधिकांश पद अक्सर सहमति से भर दिए जाते थे। इस बार वह प्रचलन टूट गया है। निर्विरोध निर्वाचन की परंपरा को इस वर्ष चुनावी मुकाबले ने चुनौती दी है, जिससे पूरा चुनाव और भी दिलचस्प और प्रतिस्पर्धी बन गया है।

अध्यक्ष पद पर इस बार मुकाबले ने सबसे ज्यादा जिज्ञासा पैदा की है। मैदान में जितेंद्र सारस्वत, भगवान दास रोहिल्ला, नरेन्द्र कुमार, रोहित सिंह खींची और विनोद कुमार डूडी जैसे पांच उम्मीदवार मौजूद हैं। इतने बड़े पैनल के आमने-सामने होने से वोटों का समीकरण बिखरता दिख रहा है, और साफ अनुमान लगाना मुश्किल हो रहा है कि कौन उम्मीदवार निर्णायक बढ़त बना पाएगा। बार संघ के भीतर इस बार किसी एक धड़े के पक्ष में एकतरफा समर्थन दिखाई नहीं दे रहा, जो मुकाबले को और रोचक बनाए हुए है।

उपाध्यक्ष पद पर बृजमोहन बिश्नोई, गुरदेव सिंह धिन्द और रामस्वरूप नादेवाल के बीच त्रिकोणीय संघर्ष है। उपाध्यक्ष पद से जुड़े निर्णय अक्सर अध्यक्ष पद की राजनीति को भी प्रभावित करते हैं, इसलिए इस मुकाबले पर भी अधिवक्ताओं की नज़र टिकी हुई है। तीनों उम्मीदवार अपने-अपने समर्थकों के साथ सक्रिय दिखाई दे रहे हैं और मतदान से पहले तक उन्होंने सदस्यों से लगातार संपर्क बनाकर माहौल अपने पक्ष में मोड़ने की कोशिश की।

महासचिव पद के लिए हेमराज वधवा, मोहित सिंह ऐरन और नवदीप कड़वासरा आमने-सामने हैं। महासचिव बार संघ की गतिविधियों का मुख्य संचालनकर्ता माना जाता है, इसलिए इस पद पर पकड़ मजबूत करने के लिए त्रिकोणीय मुकाबला बेहद जोरदार बन गया है। तीनों उम्मीदवार अपनी दक्षता, अनुभव और संगठनात्मक क्षमता को प्रमुखता देते हुए सदस्यों को आकर्षित करने की कोशिश में लगे हुए हैं।

कोषाध्यक्ष पद पर इस बार सीधी टक्कर है। देवेन्द्र सिंह शेखावत और मोहित के बीच आमने-सामने का मुकाबला है, जहां दोनों ने वित्तीय प्रबंधन और पारदर्शिता को अपनी प्राथमिकता बताया। कोषाध्यक्ष का पद भले शांत दिखता हो, लेकिन संघ की आर्थिक गतिविधियों के कारण इसकी अहमियत कम नहीं होती।

पुस्तकालयाध्यक्ष पद पर भी मुकाबला सीधे-सीधे दो उम्मीदवारों, ध्रुव कुमार और सुनील सोनी के बीच है। बार संघ का पुस्तकालय अधिवक्ताओं की शोध और तैयारी का मुख्य केंद्र होता है, इसलिए इस पद पर चुनावी दिलचस्पी स्वाभाविक है। दोनों उम्मीदवारों ने लाइब्रेरी सुविधाओं को बेहतर बनाने और डिजिटल संसाधनों को मजबूत करने के वादे किए।
चुनाव को लेकर पूरे न्यायालय परिसर में हलचल बनी हुई है। अधिवक्ता मतदान के साथ ही अपने-अपने समूहों में संभावित परिणामों पर चर्चा कर रहे हैं। मतदान प्रतिशत ऊंचा रहने की उम्मीद है, क्योंकि इस बार का मुकाबला पूरी तरह खुला है और कोई भी नतीजा किसी भी ओर झुक सकता है। वरिष्ठ अधिवक्ताओं का कहना है कि इतने वर्षों बाद ऐसा चुनाव देखने को मिल रहा है जहां एक भी पद पर जीत का अनुमान लगाना आसान नहीं है।
मतगणना के बाद जिस भी उम्मीदवारों की टीम कमान संभालेगी, उससे उम्मीद की जाएगी कि वह बार संघ की वकीलों की अस्मिता, एकजुटता और व्यावसायिक विकास को और आगे बढ़ाए। हनुमानगढ़ बार इस समय अपने नए नेतृत्व की प्रतीक्षा में है, और आज का मतदान इस दिशा में एक निर्णायक कदम बन गया है।


