



भटनेर पोस्ट पॉलिटिकल डेस्क.
टिब्बी में एथनॉल प्लांट को लेकर भड़के विवाद और हालिया हिंसक झड़प के बाद राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप भी तेज हो गए हैं। इसी क्रम में भाजपा जिलाध्यक्ष प्रमोद डेलू ने साफ कहा कि किसानों की आड़ में हिंसा भड़काने की कोशिश कांग्रेस और माकपा के नेताओं ने की। उनका दावा है कि असली किसान कभी हिंसा नहीं करता; यह काम राजनीतिक लाभ तलाशने वालों का है। डेलू का कहना है कि परियोजना कांग्रेस सरकार के समय स्वीकृत हुई थी और भाजपा शुरू से किसानों के संपर्क में रहकर समाधान की कोशिश कर रही है। उनकी बातों से टिब्बी का मामला सिर्फ औद्योगिक विवाद नहीं, बल्कि राजनीतिक टकराव भी बनता दिखता है। प्रस्तुत है ‘भटनेर पोस्ट’ के साथ हुई भाजपा जिलाध्यक्ष प्रमोद डेलू की बातचीत का संपादित अंश….

एथनॉल प्लांट को लेकर डेढ़ साल से विवाद है। भाजपा चुप क्यों है ?
-भाजपा चुप नहीं है। हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं। मामला कांग्रेस सरकार के समय का है। गहलोत सरकार ने राईजिंग राजस्थान के तहत एथेनॉल प्लांट को मंजूरी दी थी। जमीन का अधिग्रहण हुआ। किसानों ने जमीन दी। मनमाफिक रेट मिले। अब तो प्लांट का निर्माण व प्रक्रिया प्रोसेस में है। हम तो संबंधित किसानों के साथ निरंतर प्रयास में हैं। इसलिए भाजपा की चुप्पी वाली बात ठीक नहीं है।

हिंसक झड़प के लिए किसे जिम्मेदार मानते हैं ?
-किसान कभी हिंसक नहीं हो सकता। उसेे नुकसान का अर्थ पता है। कल जो दुःखुद घटना घटी, इसके लिए कांग्रेस और माकपा के वो नेता जिम्मेदार हैं जिन्होंने उत्तेजक भाषण किया। लोगों को उकसाया। फिर कहता हूं, हिंसा करने वाले किसान नहीं थे, वे उन पार्टियों के लाए गए उपद्रवी थे, जिनका इस आंदोलन से कोई लेना देना नहीं था। कांग्रेस और माकपा के नेता अपनी राजनीति चमकाने के लिए क्षेत्र को आंदोलन में धकेल रहे हैं।

मामले को लेकर बीजेपी सार्थक भूमिका क्यों नहीं निभा रही ?
-ऐसा नहीं है। भाजपा शुरू से किसानों के संपर्क में रही है। हमारे नेता और कार्यकर्ता लगातार उनसे संपर्क बनाए हुए हैं। इसी का परिणाम है कि प्रशासन ने जिला मुख्यालय पर कार्यशाला रखी ताकि प्रेजेंटेशन के माध्यम से किसानों की आशंकाओं का समाधान हो। लेकिन वार्ता के लिए किसान प्रतिनिधि नहीं पहुंचे। हम किसानों के साथ हैं, उन्हें कांग्रेस और माकपा की राजनीति को समझने की जरूरत है। कांग्रेस और माकपा के लोग अपनी राजनीति चमकाने के लिए इसे तूल दे रहे हैं।

वार्ता के लिए माहौल बनाने में पार्टी मददगार हो सकती थी। क्यों नही र्प्रयास किए गए ?
-हमने लगातार प्रयास किया लेकिन आंदोलन की बागडोर जिनके हाथों में है, वे कांग्रेस और माकपा की राजनीति को समझ नहीं पा रहे। हम तो शुरू से वार्ता करवाने के पैरोकार हैं, प्रयासरत हैं। अब भी प्रयास चल रहा है। किसानों की बात सरकार और संगठन तक पहुंचाई है।
अब पार्टी क्या कर रही है ?
-जैसा कि पहले कहा कि हम शुरू से सक्रिय हैं। कल की घटना के बाद हमने संगठन स्तर पर मुख्यमंत्री, प्रदेशाध्यक्ष और प्रभारी मंत्री को वस्तुस्थिति की जानकारी दी है। पार्टी ने इस मामले को लेकर स्पेशल ऑब्वर्जर को भेजने की बात कही है। वे आएंगे, हालात का जायजा लेंगे और अपनी रिपोर्ट संगठन और सरकार को सौंपेंगे। हम किसानों के साथ हैं और किसान भी हमारे साथ हैं। कुछ लोग बीजेपी और किसानों के बीच प्रगाढ़ संबंध को पचा नहीं पा रहे, इसलिए ऐसे हालात पैदा कर रहे हैं।



