




भटनेर पोस्ट ब्यूरो.
हनुमानगढ़ जिले में अंधता रोकथाम की दिशा में लंबे समय से निरंतर काम कर रहे वरिष्ठ नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. रवि त्रेहण फिर सुर्खियों में हैं। जिले में मोतियाबिंद और अन्य नेत्र रोगों के बढ़ते मामलों के बीच वे विभिन्न सामाजिक संस्थाओं की मदद से नियमित नेत्र जांच और ऑपरेशन कैंप आयोजित कर रहे हैं। यह काम महज डॉक्टर का नहीं, पूरे समाज के सहयोग से चलने वाली वह साझी मुहिम बन चुकी है, जो नज़रें बचाने के साथ-साथ उम्मीद भी लौटा रही है। नगरपरिषद, नेकी की रसोई, गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी और अन्य संस्थाओं के आर्थिक सहयोग से चल रहे इन कैंपों में पहले मरीजों की विस्तृत जांच होती है, उसके बाद जरूरत पड़ने पर उनका ऑपरेशन किया जाता है। खर्चों का वहन संबंधित संस्था, दानदाताओं या सहयोगकर्ताओं की ओर से किया जाता है। इस वजह से आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों को बड़ी राहत मिल रही है, जिन्हें कभी पैसों के कारण सर्जरी टालनी पड़ती थी।

शुक्रवार को नेकी की रसोई संस्था के सहयोग से एक और ऑपरेशन कैंप आयोजित किया गया, जिसमें कुल 11 मरीजों की आंखों के सफल ऑपरेशन किए गए। यह सभी ऑपरेशन सामाजिक कार्यकर्ताओं देवेंद्र हिसारिया और राजेश हिसारिया के आर्थिक सहयोग से हुए। दोनों भाई वर्षों से स्वास्थ्य और शिक्षा से जुड़े सामाजिक कार्यों में सक्रिय हैं।

डॉ. रवि त्रेहण ने बताया कि जिले में मोतियाबिंद के मरीज लगातार सामने आ रहे हैं, और समय पर इलाज होने पर व्यक्ति सामान्य जीवन फिर से जी सकता है। उन्होंने कहा कि ऐसे कैंपों का उद्देश्य सिर्फ ऑपरेशन करना नहीं, बल्कि लोगों में नेत्र स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता बढ़ाना भी है। ऑपरेशन के बाद डॉ. त्रेहण ने मरीजों को आंखों की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण सलाह दी। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन के बाद मरीज कम से कम एक हफ्ते तक धूल, धूप और तेज हवा से आंखों को बचाकर रखें। आंखों पर पानी न डालें और डॉक्टर द्वारा दी गई दवाइयों और आई ड्रॉप्स का समय पर उपयोग करें। उन्होंने यह भी कहा कि अनावश्यक हाथ लगाने से संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है, इसलिए साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें।

डॉ. त्रेहण के अनुसार, उम्र 50 वर्ष पार कर चुके लोगों को साल में एक बार आंखों की नियमित जांच अवश्य करवानी चाहिए। यह एहतियात मोतियाबिंद, ग्लूकोमा और रेटिना संबंधी समस्याओं को समय रहते पहचानने में मदद करती है। उन्होंने कहा कि बदलती जीवनशैली, मोबाइल स्क्रीन और डायबिटीज के बढ़ते मामलों ने नेत्र रोगों का जोखिम और बढ़ा दिया है, इसलिए सतर्क रहना जरूरी है।




