



भटनेर पोस्ट ब्यूरो.
हनुमानगढ़ बार संघ में इस बार चुनावी माहौल सिर्फ चुनाव जीतने के लिए प्रयास तक सीमित नहीं रहेगा बल्कि पेशे की मर्यादा और वकालत की पवित्रता बचाने पर केंद्रित रहेगा। लंबे समय से चल रही एक शिकायत कि कई सदस्य एलएलबी की डिग्री लेकर दूसरा व्यवसाय कर रहे हैं लेकिन बार की सदस्यता पर काबिज हैं, अब निर्णायक मोड़ पर पहुँच गई है। बार संघ ने साफ संकेत दे दिया है कि वकालत पेशे से दूर रहने वाले ऐसे सदस्यों की सदस्यता पर अब छूट नहीं मिलेगी। संगठन ने तय कर लिया है कि सिर्फ वही लोग वकील कहलाने और वोट डालने के अधिकारी होंगे जो वास्तव में रोज कोर्ट में सक्रिय रहते हैं और कानून की सेवा करते हैं।

बार संघ के सचिव प्रकाश रोझ ने आगामी चुनाव को निष्पक्ष तरीके से संपन्न करवाने के लिए ओपन हाउस की बैठक बुलाई। बैठक में सचिव प्रकाश रोझ, कोषाध्यक्ष राजीव शर्मा, पूर्व अध्यक्ष प्रदुम्न परमार, पूर्व अध्यक्ष उग्रसेन नैण, पूर्व लोक अभियोजक दिनेश दाधीच, रघुवीर वर्मा, नितिन छाबड़ा, दलीप कुमार, जितेंद्र कुमार, विक्रमजीत, दलीप कुमार रोहिल्ला, हेमलता, अशोक छोड़ा, मनोज त्यागी, दीपक कुमार सहित बड़ी संख्या में अधिवक्ता मौजूद रहे। इस बैठक का केंद्र बार की सदस्यता और वकालत की वास्तविकता दोनों को स्पष्ट करना था।

अधिवक्ताओं ने एकमत होकर कहा कि बार संघ का सदस्य होना केवल फॉर्म भर देने या वार्षिक शुल्क जमा करने का नाम नहीं है। वकालत एक ऐसा पेशा है जहाँ उपस्थिति ही पहचान है। कोर्ट की गलियों की धूल, फाइलों का वजन और तर्कों की आग से दूर कोई व्यक्ति यदि केवल बार कार्ड थामे घूम रहा है तो यह पेशे की विश्वसनीयता पर आघात है। इसी भावना के साथ प्रस्ताव रखा गया कि जो लोग नियमित रूप से कोर्ट में उपस्थित नहीं होते या किसी अन्य व्यवसाय में सक्रिय हैं, उनके वोट नहीं बनाए जाएँ।

बार संघ ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि कोई सदस्य वकालत छोड़कर किसी और कारोबार में लग चुका है और फिर भी वोट बनाने की कोशिश करता है, तो उसके विरुद्ध विधिक कार्रवाई भी की जाएगी। यह कदम केवल अनुशासन बनाए रखने के लिए नहीं, बल्कि उस न्यायिक व्यवस्था की रक्षा के लिए भी है जो अधिवक्ताओं की ईमानदार भागीदारी पर टिकी होती है।
निष्पक्ष चुनाव करवाने की दिशा में कदम बढ़ाते हुए ओपन हाउस में ही तय कर लिया गया कि चुनाव अधिकारी कौन होंगे। चर्चा और सहमति के बाद अधिवक्ता कैलाश धामू और सुरेंद्र कुमार सुथार के नाम पर आम सहमति बनी। दोनों अधिवक्ताओं का अनुभव, न्यायिक प्रक्रिया की समझ, और संगठन के प्रति समर्पण इन सबको देखते हुए उन्हें यह जिम्मेदारी सौंपी गई। अधिकारियों ने कहा कि जल्द ही चुनाव कार्यक्रम घोषित किया जाएगा और प्रक्रिया को पूरी पारदर्शिता के साथ आगे बढ़ाया जाएगा।

पूर्व अध्यक्ष प्रदुम्न परमार व पूर्व विशिष्ट लोक अभियोजक दिनेश दाधीच ने कहाकि वकालत का पेशा हमेशा से गरिमा, अनुशासन और बौद्धिक ईमानदारी का प्रतिनिधित्व करता रहा है। बार संघ हनुमानगढ़ का यह फैसला एक तरह से पेशे को स्वच्छ और सक्रिय रखने की पहल भी है। हनुमानगढ़ बार संघ का प्रयास, स्थानीय पेशेवर माहौल में एक उदाहरण बन सकता है और संभव है कि अन्य जिलों में भी इसी तरह की पहल की सुगबुगाहट दिखाई दे।


