




भटनेर पोस्ट डेस्क.
हनुमानगढ़ टाउन के शहीद स्मारक परिसर में बुधवार को संविधान दिवस के अवसर पर “संविधान को समझें” क्विज़ प्रतियोगिता और विचार संवाद कार्यक्रम हुआ। संविधान सभा, मौलिक अधिकारों और संवैधानिक दायित्वों पर केंद्रित यह कार्यक्रम युवाओं को जागरूक करने की एक सार्थक पहल साबित हुआ। आयोजन का संचालन शहीद स्मारक और लाइब्रेरी के संस्थापक व कार्यक्रम संयोजक एडवोकेट शंकर सोनी ने किया। क्विज़ प्रतियोगिता में भटनेर लॉ लर्नर्स हनुमानगढ़ की छात्रा टीम ने 12 अंकों के साथ प्रथम स्थान प्राप्त कर बाज़ी मारी। एसकेडी यूनिवर्सिटी की टीम 8 अंकों के साथ द्वितीय स्थान पर रही। एनएम लॉ कॉलेज की टीम ने 9 अंक तो जुटाए, पर निर्धारित समय पर स्थल पर नहीं पहुँच पाने के कारण उन्हें अंतिम मूल्यांकन में शामिल नहीं किया गया। सभी प्रतिभागियों को पुरस्कार और प्रशंसा पत्र प्रदान किए गए।

कार्यक्रम की सबसे महत्वपूर्ण कड़ी रहा एडवोकेट शंकर सोनी का उद्बोधन। उन्होंने युवाओं के सामने संवैधानिक व्यवस्थाओं की वर्तमान स्थिति, लोकतांत्रिक मूल्यों की व्यवहारिक चुनौतियाँ और नागरिक कर्तव्यों की अनदेखी से पैदा हो रहे जोखिमों पर साफ, सधा और तथ्यपूर्ण दृष्टिकोण रखा। उनके भाषण का केंद्र यह रहा कि संविधान केवल किताबों में बंद दस्तावेज़ नहीं, बल्कि हर नागरिक के व्यवहार, संवाद और निर्णय में जीवित रहने वाली आत्मा है।

उन्होंने कहा कि आज युवा वर्ग सूचना के महासागर में तो है, पर संवैधानिक चेतना की दिशा कभी-कभी धुँधली पड़ जाती है। ऐसे समय में क्विज़ जैसे कार्यक्रम नए युग के नागरिकों के लिए कम्पास की तरह काम करते हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि मौलिक अधिकारों की चर्चा जितनी ज़रूरी है, उतनी ही ज़रूरी है अपने दायित्वों को निभाने की आदत, जिसकी कमी आज कई राष्ट्रीय, सामाजिक समस्याओं की जड़ बनी हुई है।

शंकर सोनी ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एक महान अधिकार है, लेकिन इसमें अनुशासन, संवाद और ज़िम्मेदारी का भाव उसी तरह आवश्यक है जैसे शरीर के लिए श्वास के साथ संयम। उन्होंने नागरिक कर्तव्यों को ‘राष्ट्र की जीवन रेखा’ बताया और युवाओं से आग्रह किया कि वे समाज में कानून के पालन, पारदर्शिता और सार्वजनिक संसाधनों के सम्मान पर विशेष ध्यान दें।

संविधान की सार्थकता पर हुए मंथन में एडवोकेट सुचेता जैन ने प्रतिभागियों को मौलिक अधिकारों और संवैधानिक दायित्वों की व्यावहारिक समझ प्रदान की। सुरेंद जलंधरा ने सामाजिक परिवेश में बढ़ती चुनौतियों के बीच युवा जागृति और सक्रियता के महत्व पर जोर दिया। वक्ताओं ने भारतीय संविधान की जीवटता और उसमें समाहित समानता, न्याय और स्वतंत्रता के मूल्यों को आज के समय में और अधिक प्रासंगिक बताया।

कार्यक्रम के समापन सत्र में शहीद स्मारक और लाइब्रेरी हनुमानगढ़ के संस्थापक एडवोकेट शंकर सोनी ने उन युवाओं और सहयोगकर्ताओं को सम्मानित किया जिन्होंने राष्ट्रहित और सामाजिक जिम्मेदारी से जुड़ी गतिविधियों में लगातार योगदान दिया। राही सोशल वेलफेयर सोसाइटी के योगेश कुमावत, लखवीर सिंह, योगेश सुथार, रोहिताश, राजेंद्र सिंह प्रीत व प्रदीप गोठवाल को भी सम्मानित किया गया।

योगेश कुमावत ने बताया कि कार्यक्रम ने न केवल संविधान दिवस को औपचारिकता से आगे बढ़ाया, बल्कि युवाओं के बीच संवैधानिक समझ और जिम्मेदारी को लेकर ठोस संवाद स्थापित किया। क्विज़ प्रतियोगिता ने साबित किया कि नई पीढ़ी सिर्फ प्रतिस्पर्धा में आगे बढ़ने को तैयार नहीं, बल्कि संविधान की भावना को समझकर समाज में सकारात्मक भूमिका निभाने की इच्छुक भी है।


