




भटनेर पोस्ट ब्यूरो.
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री राजेंद्र राठौड़ ने रविवार को अपने खास व्यंग्यात्मक अंदाज़ में राजनीति की नब्ज़ पर चोट की। अवसर था भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सतीश पूनिया की पुस्तक ‘अग्निपथ नहीं जनपथ’ के विमोचन समारोह का, जहाँ राठौड़ ने राजनीति को ‘सांप-सीढ़ी का खेल’ बताते हुए कहा, ‘राजनीति में ऊपर चढ़ने की कोशिश में कब कोई सांप डस ले, कहा नहीं जा सकता।’

राठौड़ ने हंसते हुए आगे कहा, ‘सतीश जी, आपको और मुझे सांप ने तब डसा जब हम सत्ता के शीर्ष के बेहद करीब थे।’ इस टिप्पणी पर सभागार ठहाकों से गूंज उठा। मंच पर बैठे नेता, साहित्यकार और सामाजिक कार्यकर्ता भी हंसी रोक नहीं पाए। उन्होंने कहा, ‘अब सतीश जी किताबें लिख रहे हैं और मैं आलेख। जब मेरे आलेखों की संख्या 51 पूरी होगी, तब मैं भी एक किताब निकालूंगा। पर शर्त ये है कि उसके विमोचन पर आप मुझे गुलाब जी के साथ लेकर आना।’ उनकी इस बात पर उपस्थित जनसमूह ने जोरदार तालियां बजाईं।

राठौड़ ने इस मौके पर पूर्व विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सी.पी. जोशी की प्रशंसा करते हुए कहा कि राजनीति में संवाद और मर्यादा बनाए रखना जरूरी है, और डॉ. जोशी ने इसे सदन में जीवंत उदाहरण के रूप में स्थापित किया। उन्होंने गहलोत सरकार की तारीफ करने में भी कंजूसी नहीं बरती। पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने स्वीकार किया कि कोरोना काल में तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जिस तरह स्वास्थ्य प्रबंधन संभाला, वह सराहनीय था। उनके इस संतुलित वक्तव्य ने समारोह को और भी सार्थक बना दिया।

डॉ. सतीश पूनिया की पुस्तक ‘अग्निपथ नहीं जनपथ’ उनके विधायक कार्यकाल पर आधारित है। इसमें उनके जनसेवा से जुड़े अनुभव, जनता के साथ संवाद और संगठनात्मक यात्राओं का विस्तृत उल्लेख किया गया है। समारोह में भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों के वरिष्ठ नेता, समाजसेवी और साहित्यकार बड़ी संख्या में मौजूद रहे, जिसने आयोजन को एक ‘गैर राजनीतिक, पर राजनीतिक रंग’ दे दिया।

कार्यक्रम में पहुंचे नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने राठौड़ की टिप्पणी पर तंज कसते हुए कहा, ‘जब मुझे कार्यक्रम का निमंत्रण मिला, तो लगा नहीं था कि मंच पर इतनी विविधता देखने को मिलेगी। लेकिन यहां आधा मंच हमारे समर्थन का निकला।’ उन्होंने व्यंग्य में आगे कहा, ‘कार्यक्रम भले ही गैर राजनीतिक बताया गया हो, पर यहां तो सांप-सीढ़ी का खेल चल रहा है।’
जूली ने राठौड़ के बयान पर कटाक्ष करते हुए कहा, ‘अगर विधानसभा होती तो मैं जरूर पूछता कि वो सांप कौन है जिसने राठौड़ और सतीश पूनिया को डसा?’ उन्होंने जोड़ा कि भाजपा आजकल अपनी अंदरूनी कलह में उलझी है, ‘अब तो ये एक-दूसरे को ही डस रहे हैं।’

इस मौके पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने भी हंसते हुए कहा, ‘मुझे भी सांप ने डसा है, और अब हमारे ही लोग हमें डस रहे हैं।’ उनके इस वाक्य ने पूरे सभागार को एक बार फिर ठहाकों से भर दिया।
कार्यक्रम भले ही साहित्यिक मंच के रूप में आयोजित था, लेकिन पूरे आयोजन में राजनीति की गंध साफ़ महसूस हुई। राठौड़ के ‘सांप-सीढ़ी’ वाले बयान से लेकर जूली और मदन राठौड़ की प्रतिक्रियाओं तक, हर टिप्पणी में अंदरूनी राजनीति और आपसी समीकरणों के संकेत झलकते रहे। अंततः यह विमोचन समारोह एक साहित्यिक उत्सव से ज़्यादा राजनीतिक नज़ाकतों का मंच बन गया, जहाँ व्यंग्य था, संवाद था और सबसे बढ़कर राजनीति की चालों पर मुस्कराने का अवसर भी।


