





भटनेर पोस्ट ब्यूरो.
राजस्थान में लौटते मानसून की बारिश ने जहां एक ओर मौसम में ठंडक घोल दी है, वहीं किसानों की चिंता भी बढ़ा दी है। तीन दिनों तक हुई बारिश ने कई जिलों में कहर बरपाया। खेतों में कटाई के बाद रखी फसलें भीग गईं, जिससे किसानों को भारी नुकसान झेलना पड़ा है। मौसम विभाग ने संकेत दिए हैं कि अब बारिश का सिलसिला थम चुका है, लेकिन इस बरसात ने सर्दियों की शुरुआती दस्तक दे दी है। मौसम विज्ञान केंद्र जयपुर के निदेशक राधेश्याम शर्मा के अनुसार, ‘लौटते मानसून के साथ हुई इस बारिश से दिन के तापमान में गिरावट दर्ज की गई है, लेकिन इसका असली असर रातों में देखने को मिलेगा। अगले पंद्रह दिनों तक बारिश की संभावना नगण्य है और दीपावली तक मौसम साफ रहने की उम्मीद है।’ उन्होंने यह भी बताया कि अक्टूबर के आखिर और नवंबर की शुरुआत में मौसम विभाग सर्दियों को लेकर अपना विस्तृत आकलन जारी करेगा।

बारिश के बाद दिन का तापमान गिरने से सुबह और शाम के समय ठंडी हवाओं का एहसास होने लगा है। मौसम वैज्ञानिकों का मानना है कि यह बदलाव धीरे-धीरे पूरे राज्य को ठंड की चपेट में ले आएगा। जयपुर, सीकर, झुंझुनूं, अलवर, हनुमानगढ़ और श्रीगंगानगर जिलों में तापमान में 3 से 5 डिग्री तक की गिरावट दर्ज की गई है।

लेकिन इस मौसमीय बदलाव ने किसानों के चेहरों पर चिंता की लकीरें खींच दी हैं। प्रदेश के कई इलाकों में किसान खरीफ की फसल काटकर खेतों में ही रखे हुए थे कि अचानक हुई बरसात ने मेहनत पर पानी फेर दिया। खेतों में तैयार मूंग, ग्वार और बाजरा जैसी फसलें भीग गईं, जिससे नमी बढ़ने के कारण उनकी गुणवत्ता पर असर पड़ सकता है।

विशेषज्ञों का कहना है कि पोस्ट-मानसून बारिश का असर “मिश्रित” होता है। उन्होंने बताया, ‘जहां फसल कटकर गोदामों में रखी जा चुकी है, वहां किसी तरह की दिक्कत नहीं होगी। लेकिन पछेती फसलों वाले किसानों को नुकसान झेलना पड़ेगा। खरीफ फसलों के लिए यह बरसात नुकसानदेह साबित हो सकती है, लेकिन आगामी रबी फसलों जैसे गेहूं, चना और सरसों के लिए यह जमीन की नमी बनाए रखने में सहायक होगी।’

राजस्थान के उत्तर और पश्चिमी हिस्सों में इस बारिश से खेतों में जलभराव की स्थिति भी बनी। किसानों को आशंका है कि अगर धूप जल्दी नहीं निकली तो फसल सड़ सकती है। वहीं, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यह नमी अगले सीजन की बुवाई के लिए फायदेमंद होगी, क्योंकि यह मिट्टी को नरम बनाकर बुवाई के लिए बेहतर आधार तैयार करती है।

कुल मिलाकर, लौटते मानसून की यह बरसात किसानों के लिए आशीर्वाद और अभिशाप दोनों साबित हुई है। एक ओर खरीफ की मेहनत पर बारिश ने चोट की है, तो दूसरी ओर रबी फसलों के लिए जमीन तैयार कर दी है। अब किसानों की निगाहें आसमान से ज्यादा आने वाली ठंड पर टिकी हैं, जो इस बार सामान्य से पहले दस्तक देती नजर आ रही है।



