





भटनेर पोस्ट ब्यूरो.
हनुमानगढ़ में गोवंश हत्या के मामलों को लेकर उठी आग अब फैलती हुई दिख रही है। आरएसएस से संबद्ध बजरंग दल पुलिस की कार्यशैली से बुरी तरह खफा है और जंक्शन थाना प्रभारी के निलंबन की मांग पर अड़ गया है। दरअसल, बीते कुछ महीनों में हनुमानगढ़ और आसपास के इलाकों में गोवंश की हत्या के कई मामले सामने आए हैं। लोको जंक्शन क्षेत्र में नंदी का सिर काटे जाने की घटना से लेकर मक्कासर और सुरेशिया वार्ड 58 में हुए बर्बर कांडों ने हिंदू संगठनों के भीतर गहरा आक्रोश पैदा किया है। परंतु पुलिस की कार्रवाई ‘नगण्य’ बताई जा रही है। यही निष्क्रियता अब बजरंग दल को आंदोलन की राह पर ले आई है।

बजरंग दल के जिला संयोजक कुलदीप सिंह नरूका का कहना है, ‘जंक्शन थाना प्रभारी ने तैश में आकर बजरंग दल कार्यकर्ताओं को थाने में उठा लिया, उनसे दुर्व्यवहार किया और अपशब्द बोले। यह उनके अहंकार का प्रतीक है। सीआई लक्ष्मण सिंह ने खुलेआम कहा कि ना तुम मेरा कुछ बिगाड़ सकते हो, ना सरकार।’

भाजपा के जिला प्रवक्ता आशीष पारीक ने भी खुलकर नाराजगी जताई और थाना प्रभारी को तत्काल निलंबित करने की मांग की। उन्होंने कहा, ‘गोवंश हत्या के मामलों में न केवल अपराधियों को संरक्षण मिल रहा है, बल्कि जिन्होंने आवाज उठाई, उन्हीं को प्रताड़ित किया जा रहा है।’

विश्व हिंदू परिषद के जिलाध्यक्ष डॉ. निशांत बतरा ने कहा कि ‘हनुमानगढ़ में गोहत्या की घटनाएं दिन-प्रतिदिन बढ़ रही हैं, लेकिन पुलिस प्रशासन ठोस कदम नहीं उठा रहा। सुरेशिया में नंदी की निर्मम हत्या ने पूरे क्षेत्र को झकझोर दिया है।’
उधर, आरएसएस से संबद्ध दो संगठनों ने जंक्शन थाना प्रभारी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है लेकिन बीजेपी नेतृत्व ने ‘मौन’ साध रखा है। ऐसे में बजरंग दल के जिला संयोजक का यह कहना मायने रखता है, ‘हमने प्रदेश नेतृत्व को वस्तुस्थिति से अवगत करवा दिया है, उनके निर्देशों के आधार पर आगामी रणनीति तय की जाएगी।’

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह प्रकरण संघ परिवार के भीतर की असहजता को उजागर करता है। जब सत्ता की जिम्मेदारी भाजपा के पास होती है, तब उसके सहायक संगठन अक्सर ‘हिंदू हित’ बनाम ‘सरकारी मर्यादा’ के द्वंद्व में फंस जाते हैं। इस बार वही स्थिति हनुमानगढ़ में दिख रही है।

बजरंग दल और विहिप ने साफ चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों पर शीघ्र ठोस कार्रवाई नहीं हुई, तो आंदोलन को राज्यव्यापी स्वरूप दिया जाएगा। लेकिन सवाल यह है कि जब गोवंश संरक्षण जैसे भावनात्मक मुद्दे पर ही पुलिस प्रशासन पर ‘पक्षपात’ और ‘अहंकार’ के आरोप लगें, तो यह भाजपा के वोटबैंक और वैचारिक धरातल, दोनों के लिए चुनौती बन सकता है।




