






भटनेर पोस्ट डेस्क.
प्रख्यात कवि व आलोचक डॉ. अर्जुन देव चारण का मानना है कि नानूराम संस्कर्ता ने ज्ञान परंपरा को न केवल गंभीरता से समझा बल्कि उसे आगे बढ़ाने में अपना महत्वपूर्ण अवदान दिया है। वे एक ऐसे संत साहित्यकार थे जिन्होंने सांस्कृतिक मूल्यों की जड़ों को अभिसंचित करने का यशस्वी कार्य किया। डॉ. चारण लूणकरणसर स्थित कालू के डूढाणी आदर्श विद्या मंदिर सभागार में नानूराम संस्कर्ता राजस्थानी साहित्य सम्मान समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि मातृभाषा राजस्थानी का सुदीर्घ साहित्यिक इतिहास है। उन्होंने नई पीढ़ी से मातृभाषा के समृद्ध साहित्य के गंभीरतापूर्वक पठन और मनन का आह्वान किया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार मधु आचार्य ‘आशावादी’ ने कहा कि नानूराम संस्कर्ता का साहित्य अपने समय और समाज का जीवंत दस्तावेज है। वे लोक से जुड़े हुए एक बड़े रचनाकार थे जिन्होंने अपने अंचल और ग्रामीण संस्कृति को शब्दों में ढाला। कार्यक्रम में मुंबई से आए कवि गद्यकार डॉ. ओम नागर को नानूराम संस्कर्ता साहित्य सम्मान से नवाजा गया। अतिथियों द्वारा मां सरस्वती, और नानूराम संस्कर्ता के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन और पुष्प अर्पण करने के कार्यक्रम की शुरुआत हुई। छात्राओं ने स्वागत गायन प्रस्तुत किया। देवीलाल महिया ने सम्मानित साहित्यकार और सम्मानित पुस्तक का परिचय दिया।

डॉ. हरिमोहन सारस्वत ने लोकार्पित होने वाली पांचो किताबें पर केंद्रित पत्रवाचन किया। लोक साहित्य प्रतिष्ठा की ओर से शिवराज संस्कर्ता ने अतिथियों का स्वागत करते हुए प्रतिष्ठान की गतिविधियों के बारे में जानकारी दी। डॉ. मदन गोपाल लढ़ा ने नानूराम संस्कर्ता के व्यक्तित्व और कृतित्व पर पत्र वाचन करते हुए कहा कि वे राजस्थानी के आधुनिक कहानी के प्रारंभिक कहानीकारों में से एक है वही प्रकृति काव्य की दृष्टि से भी उनका अवदान बहुत महत्वपूर्ण है।

कार्यक्रम संयोजन करते हुए राजूराम बिजारणिया ने संस्कृता की चर्चित कविता ‘क्यूं भूल रैया निज भाषा ने, जो मायड़ राजस्थानी है।’ का वाचन किया। रामजीलाल घोड़ेला ने आगन्तुकों का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर विधिप्रकाश, सुशील कुमार संस्कर्ता, ज्योति स्वरूप संस्कर्ता, मोटाराम चौधरी, परताराम सींवर, कमल किशोर पीपलवा, ओमप्रकाश तंवर, नेमीचंद गहलोत संस्कर्ता के साहित्य पर चर्चा की।

उधर, सरोकार, लूणकरणसर की तरफ से मायड़ भाषा की उल्लेखनीय सेवा के लिए ‘राजस्थानी सेवा सम्मान’ इस बार प्रसिद्ध कवि पत्रकार डॉ.हरिमोहन सारस्वत ‘रूंख’ को दिया गया। ख्यातनाम कवि आलोचक और रंगकर्मी आदरणीय डॉ. अर्जुन देव चारण और वरिष्ठ साहित्यकार पत्रकार मधु आचार्य ‘आशावादी’ और सरोकार लूणकरणसर के सदस्यों द्वारा कालू में आयोजित नानूराम संस्कर्ता राजस्थानी साहित्य सम्मान समारोह के दौरान डॉ. सारस्वत को राजस्थानी भाषा की मान्यता के लिए कर रहे संघर्ष के लिए यह सम्मान प्रदान किया।

एक साथ हुआ पांच किताबों का लोकार्पण
समारोह के दौरान प्रख्यात कवि आलोचक डॉ.अ र्जुन देव चारण और वरिष्ठ साहित्यकार मधु आचार्य ‘आशावादी’ के कर कमलों से एक साथ पांच पुस्तकों का विमोचन हुआ। समारोह में नानूराम संस्कर्ता के शिवराज संस्कर्ता द्वारा संपादित निबंध संग्रह ‘आधी दुनिया का पूरा आकाश’, मदन गोपाल लढ़ा के ‘भारतीय साहित्य के निर्माता-नानूराम संस्कर्ता’ और राजस्थानी कविता संग्रह ‘ग्रह गोचर’ राजूराम बिजारणियां के राजस्थानी गजल संग्रह ‘आज कबीरी चादर धर दे’ और रामजीलाल घोड़ेला के राजस्थानी कहानी संग्रह ‘धमीड़ अर दूजी कहाणियां’ सहित पांच पुस्तकों का लोकार्पण संपन्न हुआ। डॉ.हरिमोहन सारस्वत ‘रूंख’ ने सभी पुस्तकों पर अपनी समीक्षात्मक प्रतिक्रिया दी।




