





भटनेर पोस्ट ब्यूरो.
नवरात्रि पर जब पूरा देश देवी उपासना में लीन है, राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का संकल्प और साधना लोगों को नई प्रेरणा दे रही है। मुख्यमंत्री न केवल नवरात्रि के व्रत रखते हैं, बल्कि पिछले आठ महीनों से उन्होंने अन्न का पूरी तरह त्याग कर रखा है। यह केवल एक धार्मिक रस्म नहीं, बल्कि आत्म-अनुशासन और साधना का ऐसा मार्ग है, जिसे वे मां दुर्गा की प्रेरणा और आशीर्वाद से संभव मानते हैं। जहां आमतौर पर लोग व्रत के दौरान एक बार फलाहार, मिठाई या अन्य हल्के भोजन का सेवन कर लेते हैं, वहीं मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का व्रत पूरी तरह संयम और साधना से जुड़ा है। वे नवरात्रि में दिनभर सिर्फ नींबू पानी और नारियल पानी पर रहते हैं। उनका मानना है कि व्रत केवल भूख सहने का अभ्यास नहीं, बल्कि आत्मबल और मन की एकाग्रता प्राप्त करने का साधन है। यह आत्म-अनुशासन का पर्व है, जिसमें शरीर से अधिक महत्व मन और आत्मा की शुद्धि का है।

मुख्यमंत्री ने अपने नियमित भोजन से भी अन्न को पूरी तरह अलग कर दिया है। वे फल, उबली हुई सब्जियां, नींबू पानी, नारियल पानी, चाय और गाय का दूध ही ग्रहण करते हैं। योग, ध्यान और नियमित वॉक उनकी दिनचर्या का अभिन्न हिस्सा बन चुके हैं। उनका कहना है कि स्वस्थ शरीर और शांत मन ही सेवा कार्यों की सच्ची नींव हैं, और इसी संतुलन से वे अपनी जिम्मेदारियों को बेहतर ढंग से निभा पा रहे हैं।

आश्चर्य की बात यह है कि इतने लंबे समय से अन्न त्याग और कठोर संयमित जीवन जीने के बावजूद मुख्यमंत्री की कार्यक्षमता में कोई कमी नहीं आई। नवरात्रि के इन दिनों में भी वे प्रशासनिक जिम्मेदारियों को पूरी निष्ठा से निभा रहे हैं। अब तक वे 42 से अधिक कार्यक्रमों में हिस्सा ले चुके हैं, जिनमें उद्घाटन, शिलान्यास और अवलोकन शामिल हैं।

सीएमओ सूत्रों के मुताबिक, मुख्यमंत्री लगभग 18 बार जयपुर से बाहर भी विभिन्न कार्यक्रमों और दौरों पर जा चुके हैं। यह सब बताता है कि उनके लिए उपवास किसी बाधा का कारण नहीं, बल्कि ऊर्जा का स्रोत बन गया है।

मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का मानना है कि साधना और सेवा का संतुलन ही जीवन का सबसे बड़ा उद्देश्य है। व्रत केवल धार्मिक कर्तव्य नहीं, बल्कि आत्म-अनुशासन का शस्त्र है। इसके जरिए व्यक्ति अपने मन और आत्मा को मजबूत बनाता है और समाज व राष्ट्र सेवा में पूरी एकाग्रता के साथ जुट पाता है।

भाजपा नेता ओम सोनी कहते हैं, ‘मुख्यमंत्री की साधना आज लाखों लोगों के लिए प्रेरणा है। राजनीति के व्यस्त कार्यक्रमों और प्रशासनिक जिम्मेदारियों के बीच ऐसा संयमित जीवन जीना न केवल व्यक्तिगत अनुशासन की मिसाल है, बल्कि यह संदेश भी देता है कि अगर संकल्प दृढ़ हो, तो साधना और सेवा दोनों एक साथ चल सकते हैं।’

भाजपा नेता देवेंद्र पारीक के मुताबिक, मुख्यमंत्री का यह व्रत वास्तव में साधना है, जो यह सिखाता है कि आत्मबल और आत्म-नियंत्रण ही जीवन के सबसे बड़े संसाधन हैं। यही साधना उन्हें निरंतर ऊर्जा देती है और यही शक्ति उन्हें जनता की सेवा के लिए समर्पित रखती है।




